मामला शाहजहांपुर जेल का है, जहां 21 दिसंबर को जेल परिसर में क़ैदियों को कंबल बांटने का कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसमें आसाराम की तस्वीर वाला बैनर लगाया गया था. सोशल मीडिया पर इस कार्यक्रम की तस्वीर वायरल होने के बाद सरकार ने मामले की जांच के आदेश दिए थे.
लखनऊः उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिला जेल के अधीक्षक और जेलर सहित छह अधिकारियों को बलात्कार के दोषी आसाराम की तस्वीर वाला बैनर लगाकर एक कार्यक्रम आयोजित कराने के मामले में दोषी पाया गया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, शाहजहांपुर स्थित जिला कारागार में बलात्कार के आरोप में जेल में बंद स्वयंभू संत आसाराम के समर्थन में 21 दिसंबर को एक कार्यक्रम कर उनका महिमामंडन करने का मामला सामने आया था.
जेल में यह आयोजन आसाराम के अनुयायियों ने लखनऊ से आकर किया था. कार्यक्रम के दौरान आसाराम की तस्वीर वाला बैनर लगाकर कैदियों को कथित तौर पर कंबल और ऋषि प्रसाद पत्रिका का वितरण किया गया था.
सोशल मीडिया पर इस कार्यक्रम की तस्वीर वायरल होने के बाद सरकार ने मामले की जांच के आदेश दिए थे.
आरोप हैं कि इस कार्यक्रम में वे दो लोग भी शामिल थे, जिन पर आसाराम मामले में गवाह की हत्या के लिए मामला दर्ज किया गया है.
मामले की जांच वरिष्ठ अधीक्षक आरएन पांडेय ने की. महानिदेशक (जेल) आनंद कुमार ने कहा कि जांच रिपोर्ट के आधार पर जेल अधीक्षक राकेश कुमार, जेलर राजेश कुमार और जेल के चार वॉर्डन सहित कुल छह जेल अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू की जाएगी.
बता दें कि बलात्कार के दोषी आसाराम राजस्थान की जोधपुर जेल में बंद हैं.
जांच में यह पता चला कि जेल के भीतर हुए कार्यक्रम के दौरान लखनऊ के तीन लोगों द्वारा कैदियों को कंबल बांटे गए.
हालांकि, जेल अधिकारियों का कहना है कि इनमें से कोई भी नारायण पांडेय या अर्जुन नहीं था, जो आसाराम मामले में गवाह की हत्या के आरोपी हैं.
पांडेय को शाहजहांपुर में 2015 में गवाह कृपाल सिंह की हत्या के लिए 2015 में पांडेय को गिरफ्तार किया गया था. उसे 2019 में जमानत पर रिहा किया गया.
अधिकारी ने कहा, ‘हमने पुलिस रिकॉर्ड की जांच की और पाया कि 21 दिसंबर को जेल आने वाला अर्जुन अलग इंसान है, यह वह अर्जुन नहीं है, जिसकी पुलिस तलाश कर रही है.’
गौरतलब है कि शाहजहांपुर की एक नाबालिग छात्रा, जो आसाराम के जोधपुर के नजदीक स्थित एक आश्रम में पढ़ती थी, ने आसाराम पर बलात्कार का मामला दर्ज कराया था.
पीड़िता ने आसाराम पर उसे जोधपुर के नजदीक मनाई इलाके में स्थित आश्रम में बुलाने और 15 अगस्त 2013 की रात उसके साथ बलात्कार करने का आरोप लगाया था.
शाहजहांपुर की रहने वाली पीड़िता मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा स्थित आसाराम के आश्रम में पढ़ाई कर रही थी. इसके बाद फरार हुए आसाराम को जोधपुर पुलिस ने 31 अगस्त 2013 को गिरफ्तार किया था.
आसाराम को इंदौर से गिरफ्तार कर एक सितंबर 2013 को जोधपुर लाया गया और जेल भेज दिया गया. इसके बाद अप्रैल 2018 में उन्हें अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. तब से आसाराम जेल में ही बंद हैं.
आसाराम प्रकरण में एक प्रमुख गवाह कृपाल सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, उसी मामले में शाहजहांपुर जिला कारागार में अर्जुन और नारायण बंद थे, जिन्हें कुछ समय पूर्व जमानत मिल गई थी.