अमेरिका: संसद परिसर में ट्रंप समर्थकों के बवाल में चार की मौत, वाशिंगटन में 15 दिन की इमरजेंसी

हज़ारों की संख्या में ट्रंप समर्थक कैपिटल बिल्डिंग पर एकत्र हुए जब कांग्रेस के सदस्य इलेक्टोरल कॉलेज वोटों की गिनती कर रहे थे और राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों को सत्यापित किया जाना था. समर्थकों को भड़काने का आरोप लगाते हुए अनेक सांसदों ने निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को तत्काल पद से हटाए जाने की मांग की है.

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वाशिंगटन डीसी में कैपिटल बिल्डिंग के बाहर एक विस्फोट के बाद का नजारा. (फोटो: रॉयटर्स)

हज़ारों की संख्या में ट्रंप समर्थक कैपिटल बिल्डिंग पर एकत्र हुए जब कांग्रेस के सदस्य इलेक्टोरल कॉलेज वोटों की गिनती कर रहे थे और राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों को सत्यापित किया जाना था. समर्थकों को भड़काने का आरोप लगाते हुए अनेक सांसदों ने निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को तत्काल पद से हटाए जाने की मांग की है.

वाशिंगटन डीसी में कैपिटल बिल्डिंग के बाहर एक विस्फोट के बाद का नजारा. (फोटो: रॉयटर्स)
वाशिंगटन डीसी में कैपिटल बिल्डिंग के बाहर एक विस्फोट के बाद का नजारा. (फोटो: रॉयटर्स)

वाशिंगटन: अमेरिकी चुनाव में निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हार के परिणाम को बदलने के प्रयास में सैकड़ों की तादाद में ट्रंप के समर्थक बुधवार को कैपिटल बिल्डिंग में इकट्ठे हो गए और जिसके बाद ट्रंप समर्थकों और पुलिस में हिंसक झड़पें हुईं.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, इस दौरान वे अमेरिकी संसद के अंदर घुस गए और नए राष्ट्रपति के रूप में जो बाइडेन के नाम पर मोहर लगाने की संवैधानिक प्रक्रिया बाधित कर दिया.

ट्रंप समर्थकों ने एकदम अराजकता और उत्पात का माहौल बना दिया था. इस दौरान पुलिस के साथ उनकी झड़प हुई. इन घटनाओं में एक महिला सहित चार लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए.

सीबीएस न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने कहा कि एक महिला को कैपिटल के अंदर गोली मारी गई जबकि तीन अन्य की मौत स्वास्थ्य आपातस्थिति के कारण हो गई.

वही, एफबीआई ने कहा कि उसने दो संदिग्ध विस्फोटक डिवाइसों को निष्क्रिय कर दिया.

बुधवार को कांग्रेस के सदस्य इलेक्टोरल कॉलेज वोटों की गिनती कर रहे थे, इसी दौरान बड़ी संख्या में ट्रंप के समर्थक सुरक्षा व्यवस्था को ध्वस्त करते हुए कैपिटल बिल्डिंग में घुस गए.

पुलिस को इन प्रदर्शनकारियों को काबू करने में काफी मश्क्कत का सामना करना पड़ा. इन हालात में प्रतिनिधि सभा और सीनेट तथा पूरे कैपिटल को बंद कर दिया गया. उपराष्ट्रपति माइक पेंस और सांसदों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया.

वाशिंगटन पुलिस के मुताबिक, इस हिंसा में कुल चार लोगों की मौत हो गई है. इनमें से एक महिला की मौत पुलिस की गोली से हुई है. जब पूरे इलाके को खाली करवाया गया तो ट्रंप समर्थकों के पास बंदूकों के अलावा अन्य खतरनाक चीजें भी मौजूद थीं.

बिगड़ते हालात के बीच  वाशिंगटन में पब्लिक इमरजेंसी लगा दी गई है. वाशिंगटन के मेयर के मुताबिक, इमरजेंसी को 15 दिन के लिए बढ़ाया गया है. लेकिन इस बीच बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी कर्फ्यू का उल्लंघन करते हुए सड़कों पर उतर आए हैं.

ट्रंप पर समर्थकों को उकसाने का आरोप

अमेरिका में तीन नवंबर को हुए राष्ट्रपति चुनाव को लेकर पिछले कई महीनों से लगातार दिए जा रहे विभाजनकारी और भड़काऊ बयानों के कारण कैपिटल पर बुधवार को यह हमला हुआ.

रिपब्लिक पार्टी के प्रत्याशी रहे ट्रंप ने अब तक चुनाव नतीजों को स्वीकार नहीं किया है और अपने गैर प्रमाणित दावे को दोहराया है कि राष्ट्रपति चुनाव में धांधली की गई है.

उन्होंने अमेरिकी अदालतों में चुनाव को लेकर करीब एक दर्जन वाद दाखिल किए लेकिन असफल रहे. वहीं, दूसरी ओर डेमोक्रेटिक पार्टी के विजेता प्रत्याशी जो बाइडेन 20 जनवरी को देश के 46वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेने की तैयारी कर रहे हैं.

चुनाव से पहले ही हारने पर सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण से इनकार करने वाले ट्रंप ने बुधवार को ही व्हाइट हाउस के पास हजारों की संख्या में इकट्ठा अपने समर्थकों को संबोधित किया और उनसे कहा कि वे वोटिंग प्रक्रिया को लेकर अपना गुस्सा जताने के लिए कैपिटल की ओर बढ़ें.

उन्होंने अपने समर्थकों से कहा कि वे अपने निर्वाचित अधिकारियों पर परिणामों को अस्वीकार करने के लिए दबाव डालें, उनसे ‘लड़ने के लिए’ आग्रह करें.

रैली से पहले ट्रंप ने मंगलवार को ट्वीट किया था, ‘ वाशिंगटन उन लोगों से भर गया है जो नहीं चाहते है कि चरमपंथी वाम डेमोक्रेट चुनाव में जीत का हरण कर सके. हमारे देश ने बहुत सहा अब वे और नहीं सहन करेंगे. हम आपको यहां ओवल ऑफिस (अमेरिकी राष्ट्रपति का कार्यालय) से सुनेंगे (प्यार करेंगे). एक बार फिर अमेरिका को महान बनाएंगे.’

यह रैली ठीक उसी समय रखी गई थी जब कांग्रेस के संयुक्त सत्र में राष्ट्रपति निर्वाचन मंडल के मतों की गिनती होनी थी और तीन नवंबर को हुए राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों को सत्यापित किया जाना था.

दंगाई को तितर-बितर करने के लिए कैपिटल के अंदर पुलिस को आंसू गैस छोड़ने पड़े. वाशिंगटन मेट्रोपॉलिटन पुलिस प्रमुख रॉबर्ट कॉन्टे ने कहा कि भीड़ के सदस्यों ने पुलिस पर हमला करने के लिए रासायनिक अड़चन का इस्तेमाल किया और कई घायल हो गए.

रिपब्लिकन नेताओं ने अपनी जिम्मेदारियों के निर्वहन का भरोसा दिलाया

पुलिस ने भारतीय समयानुसार गुरुवार की सुबह 4 बजे कैपिटल बिल्डिंग को सुरक्षित घोषित किया और भारतीय समयानुसार सुबह के 6.30 बजे सांसदों ने दोबारा चुनाव प्रमाणन प्रक्रिया को शुरू किया.

सत्र की अध्यक्षता करने वाले उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने कहा, ‘आज जिन्होंने हमारे कैपिटल में उत्पात मचाया है, आप नहीं जीते हैं. अपने काम पर वापस चलते हैं.’

सीनेट रिपब्लिकन लीडर मिच मैककॉनेल ने आक्रमण को असफल विद्रोह कहा और वादा किया कि ‘हम अराजकता या अपमान के आगे नहीं झुकेंगे.’

उन्होंने कहा, ‘हम अपने पोस्ट में वापस आ गए हैं. हम संविधान के तहत और अपने राष्ट्र के लिए अपने कर्तव्य का निर्वहन करेंगे. और हम इसे आज रात करने जा रहे हैं.’

वहीं, इस अप्रत्याशित हमले के बाद कई रिपब्लिकन सांसदों ने चुनाव परिणामों को चुनौती देने के अपने प्रयासों को सीमित या खत्म करने की बात कही है.

रिपब्लिकन सीनेटर केली लोफलर ने कहा कि उन्होंने बाइडेन को प्रमाणपत्र दिए जाने पर आपत्ति जताने की तैयारी की थी लेकिन दोपहर में हुई घटना के बाद उन्होंने अपना विचार बदल दिया है.

बता दें कि, जॉर्जिया की दो सीटों में एक पर केली को हार का सामना करना पड़ा है और इसके साथ ही सीनेट (उच्च सदन) पर डेमोक्रेटिक पार्टी का कब्जा हो गया है.

वाशिंगटन के मेयर मुरियल बाउजर ने भारतीय समयानुसार सुबह 5.30 बजे से शहरभर में कर्फ्यू का आदेश दे दिया. कैपिटल पुलिस की सहायता के लिए नेशनल गार्ड सैनिक, एफबीआई एजेंट्स और अमेरिकी सीक्रेट सर्विस को तैनात कर दिया गया है.

अमेरिकी कांग्रेस ने औपचारिक रूप से बाइडेन की जीत को सत्यापित किया

अमेरिकी कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को संयुक्त सत्र में औपचारिक रूप से तीन नवंबर को हुए चुनाव में राष्ट्रपति पद के लिए जो बाइडेन एवं उपराष्ट्रपति पद पर कमला हैरिस के निर्वाचन की पुष्टि कर दी.

कांग्रेस के संयुक्त सत्र में निर्वाचन का सत्यापन बृहस्पतिवार तड़के किया गया. निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सैकड़ों समर्थकों द्वारा कांग्रेस की कार्यवाही बाधित किए जाने के बाद बुधवार देर रात संयुक्त सत्र की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई.

निर्वाचन मंडल के मतों की पुष्टि कैपिटल हिल पर हिंसा की घटना के बाद आई है जिसमें चार लोगों की मौत हुई है और इलाके में लॉकडाउन लगाना पड़ा है. इस हिंसा में सुरक्षाकर्मियों के लिए अपनी जान बचाकर भागने की नौबत आ गई और इमारत के भीतर गोलीबारी की घटना हुई.

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति चुनाव में बाइडेन करीब आठ करोड़ मतों के साथ निर्वाचन मंडल के 306 मतों को हासिल करने में सफल हुए थे.

संसद में दो घंटे तक चली सत्यापान की कार्यवाही का सांसदों ने पार्टी लाइन से हटकर समर्थन किया. यहां तक कि उन्होंने दो राज्यों- एरिजोना एवं पेनसिल्वेनिया – में निर्वाचन संबंधी आपत्तियों को भी खारिज कर दिया.

सीनेट ने छह मतों के मुकाबले 93 मतों से एरिजोना के चुनाव नतीजों पर आपत्ति को अस्वीकार किया जबकि प्रतिनिधि सभा ने इसे 121 के मुकाबले 303 मतों से खारिज किया.

इसी प्रकार सीनेट ने पेनसिल्वेनिया के चुनाव नतीजों पर आपत्ति को सात के मुकाबले 97 मतों से अस्वीकार किया जबकि प्रतिनिधि सभा में आपत्ति 138 के मुकाबले 282 मतों से नामंजूर हुई.

भारतीय मूल के चार सांसदों- रो खन्ना, एमी बेरा, राजा कृष्णमूर्ति और प्रमिला जयपाला- ने आपत्ति के खिलाफ मत दिया.

अमेरिकी सांसदों ने की ट्रंप को शीघ्र पद से हटाने की मांग

अमेरिका के अनेक सांसदों ने निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को तत्काल पद से हटाए जाने की मांग की है.

सांसदों का आरोप है कि ट्रंप ने अपने समर्थकों को भड़काया जिसके बाद उनके समर्थक कैपिटल परिसर में घुस गए और हंगामा किया और इससे अमेरिकी लोकतंत्र को ठेस पहुंची है.

कांग्रेस सदस्य स्टीवन होर्सफोर्ड ने कहा, ‘ कांग्रेस के निर्वाचित सदस्य के तौर पर यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इलेक्टोरल कॉलेज के प्रमाणीकरण को छह जनवरी को दर्ज करें , जैसा की संविधान में रेखांकित है. आज राष्ट्रपति ट्रंप ने हमे इस जिम्मेदारी को पूरा करने से रोका और लोकतंत्र को बाधित किया.’

कई सांसदों ने होर्सफोर्ड के बयान से सहमति जताई. उन्होंने कहा,‘ 1812 के युद्ध के बाद से पहली बार आज अमेरिकी कैपिटल में सेंधमारी हुई. आज जो मैंने हिंसा और अराजकता देखी वह लोकतांत्रिक प्रतिष्ठानों को बनाए रखने के सिद्धांतों और नियमों के ठीक विपरीत है और आधुनिक वक्त में ये अप्रत्याशित हैं.’

कांग्रेस सदस्य अर्ल ब्लूमेनॉयर ने ट्रंप के खिलाफ महाभियोग चलाने की मांग की. उन्होंने उप राष्ट्रपति माइक पेंस और अमेरिकी कैबिनेट से राष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए संविधान के 25वें संशोधन का इस्तेमाल करने की मांग भी की.

उन्होंने कहा,‘ यहां क्या हुआ हमें यह स्पष्ट होना चाहिए. बुरी तरह हारे चुनाव के प्रमाणन को रोकने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति ने घरेलू आतंकवादियों की एक भीड़ को पेन्सिलवेनिया एवेन्यू में हमला करने और अमेरिकी कैपिटल पर कब्जा करने के लिए भेजा.’

ब्लूमेनॉयर ने कहा, ‘इस व्यक्ति को तत्काल हटाए जाने की जरूरत है और मुझे उम्मीद है कि वह अपनी हरकतों का अंजाम भुगतेंगे.’

कांग्रेस सदस्य इल्हान उमर ने कहा, ‘सभी नेताओं को इस तख्तापलट की निंदा करनी चाहिए. और राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाया जाना चाहिए और उन्हें राजद्रोह के आरोप में पद से हटा दिया जाना चाहिए.’

इन सांसदों के अलावा अयान्न प्रिस्ले, जिम्मी गोम्ज,कैथे मैनिंग, एंथनी ब्राउन ने भी राष्ट्रपति को शीघ्र पद से हटाने की मांग की है.

ट्रंप प्रशासन में शुरू हुआ इस्तीफों का दौर

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों द्वारा कैपिटोल परिसर में हिंसा के बाद अमेरिका की प्रथम महिला मेलानिया ट्रंप की चीफ ऑफ स्टाफ स्टीफनी ग्रीसम, व्हाइट हाउस की उप प्रेस सचिव सारा मैथ्यूज ने इस्तीफा दे दिया.

ग्रीसम इससे पहले व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव के रूप में भी सेवा दे चुकी हैं. उनके बाद कैली मैकनेनी को अप्रैल में प्रेस सचिव बनाया गया.

बुधवार को इस्तीफा देने वाली वह पहली व्यक्ति और वरिष्ठ कर्मचारी हैं. ग्रीसम ने ट्विटर पर एक बयान में कहा कि व्हाइट हाउस में सेवा देना, उनके लिए सम्मानजनक रहा और वह बच्चों की मदद करने के मेलानिया ट्रंप के मिशन का हिस्सा बनकर भी गौरवान्वित महसूस करती हैं तथा उन्हें इस प्रशासन की कई उपलब्धियों पर गर्व है.

मैथ्यूज ने भी इस्तीफा देने के बाद कहा, ‘संसद में काम करने वाले कर्मी के रूप में मैंने आज जो देखा, उससे बेहद दुखी हूं. मैं अपने पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे रही हूं. हमारे देश को शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता हस्तांतरण की जरूरत है.’

‘एबीसी’ न्यूज की खबर के मुताबिक व्हाइट हाउस की सामाजिक मंत्री रिकी निसेटा ने भी ट्रंप समर्थकों के हिंसक प्रदर्शन के मद्देनजर इस्तीफा दे दिया है.

ट्रंप ने झूठे दावे को दोहराया

ट्विटर पर एक वीडियो पोस्ट करते हुए ट्रंप ने चुनावी धांधली को लेकर अपने दावे को दोहराया लेकिन प्रदर्शनकारियों से वापल लौटने के लिए कहा.

उन्होंने कहा, ‘अब आपको घर जाना चाहिए, हमें शांति चाहिए. हम आपसे प्यार करते हैं. आप बहुत खास हैं.’

इसके बाद ट्विटर ने ट्रंप के वीडियो को रिट्वीट करने से यूजर्स को प्रतिबंधित कर दिया जबकि फेसबुक ने हिंसा की आशंका जताते हुए उसे पूरी तरह से हटा दिया.

इसके बाद ट्विटर ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म के नागरिक अखंडता नियमों के लगातार और गंभीर उल्लंघन के कारण 12 घंटे के लिए ट्रंप के अकाउंट को लॉक कर दिया है और स्थायी निलंबन की धमकी दी.

फेसबुक ने कहा कि वह दो नीतियों के उल्लंघन के चलते राष्ट्रपति के आकउंट को 24 घंटे के लिए निलंबित रहेगा.

पूर्व राष्ट्रपतियों और उम्मीदवारों ने कहा- ‘अपमान और शर्मिंदगी का पल’

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कैपिटल बिल्डिंग में हिंसा भड़काने के लिए निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि यह देश के लिए ‘बेहद अपमान और शर्मिंदगी’ का पल है.

अमेरिकी कैपिटल में बुधवार के हजारों ट्रंप समर्थक दंगाइयों के घुसने और संसद के संयुक्त सत्र को बाधित करने के बाद पूर्व राष्ट्रपति ओबामा का यह बयान आया है.

ओबामा ने एक बयान में कहा, ‘इतिहास कैपिटल में हुई आज की हिंसा की घटना को याद रखेगा जिसे वैध चुनावी नतीजे के बारे में लगातार निराधार झूठ बोलने वाले एक निवर्तमान राष्ट्रपति ने भड़काया. यह अमेरिका के लिए बेहद अपमान और शर्म की बात है.’

पूर्व राष्ट्रपति ओबामा ने कहा, ‘लेकिन, अगर हम ऐसा कहेंगे कि यह एकदम अचानक हुई घटना है तो हम खुद से मजाक कर रहे होंगे.’

ओबामा ने रिपब्लिकन पार्टी और इसके मीडिया समर्थकों पर भी हमला करते हुए कहा कि वो राष्ट्रपति चुनावों में जो बाइडेन की जीत को लेकर अपने समर्थकों से सच छुपाते रहे हैं.

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने कहा कि वह और उनकी पत्नी ने पूरा घटनाक्रम देखा. उन्होंने कहा, ‘यह सब दिल तोड़ने वाला है. यह कैसे किसी ‘बनाना रिपब्लिक’ (कमजोर लोकतंत्र) में चुनाव परिणाम को विवादित बना दिया जाता है, हमारे लोकतांत्रिक गणराज्य में नहीं. चुनाव के बाद से ही कुछ नेताओं के अमार्यदित व्यवहार, हमारी संस्थाओं, हमारी परंपराओं और कानून लागे करने वाली हमारी एजेंसियों के प्रति अनादर के भाव से मैं हतप्रभ हूं.’

पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने इसे अप्रत्याशित घटना बताते हुए कहा, ‘यह हमारे संविधान, हमारे देश, हमारी संसद पर हमला है. पिछले कुछ समय से चलाई गये झूठे अभियान से आज यह दिन देखने को मिला है. हमें निश्चित रूप से आज की हिंसा को भुलाकर आगे बढ़ना होगा और अपने संविधान का सम्मान करना चाहिए.’

पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने कहा, ‘देश के ‘आतंकियों’ ने अमेरिका के लोकतंत्र पर हमला किया और सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण की प्रक्रिया को बाधित किया.’

उन्होंने कहा, ‘हमें फिर से कानून का राज स्थापित करना होगा और उन्हें जवाबदेह बनाना होगा. लोकतंत्र संवेदनशील है. हमारे नेताओं को इसकी रक्षा करने की जिम्मेदारी लेनी होगी.’

राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रह चुके रिपब्लिकन नेता जेब बुश ने आरोप लगाया कि ट्रंप ने इस हिंसा के लिए लोगों को उकसाया.

मोदी सहित दुनियाभर के नेताओं ने शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण की अपील की

निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों द्वारा कैपिटल हिल में की गई हिंसा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनियाभर के उन चुनिंदा नेताओं में शामिल रहे जिन्होंने अमेरिका में शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण की अपील की है.

यह वैश्विक राजनीति में एक अप्रत्याशित क्षण है क्योंकि सामान्य तौर पर अमेरिका और पश्चिमी देश शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण की अपील करने वाले देशों में शामिल रहते हैं.

प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर कहा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया को गैरकानूनी प्रदर्शनों से बदलने की अनुमति नहीं दी जा सकती.

उन्होंने कहा, ‘वाशिंगटन डीसी में हिंसा और दंगे की खबरों से चिंतित हूं. सत्ता का सुव्यवस्थित और शांतिपूर्ण हस्तांतरण जारी रहना चाहिए. लोकतांत्रिक प्रक्रिया को गैरकानूनी प्रदर्शनों के जरिए बदलने की अनुमति नहीं दी जा सकती.’

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि जनमत की जगह लेने में हिंसा कभी सफल नहीं हो सकती है. अमेरिका में लोकतंत्र बहाल होना चाहिए और यह होगा.

ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने पूरी घटना को शर्मनाक बताया. उन्होंने कहा, ‘संयुक्त राज्य अमेरिका दुनिया भर में लोकतंत्र के लिए खड़ा है और अब यह महत्वपूर्ण है कि सत्ता का शांतिपूर्ण और व्यवस्थित हस्तांतरण होना चाहिए.’

फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रां ने फ्रांसीसी और अमेरिकी झंडे के बीच खड़े होकर कहा कि वाशिंगटन में बुधवार को जो हुआ वह अमेरिका नहीं था. उन्होंने अमेरिकी लोकतंत्र की मजबूती में विश्वास जताया.

ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने भी निंदा करते हुए शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण की उम्मीद जताई.

यूरोपीय संघ के विदेश मामलों के प्रमुख जोसेफ बॉरेल ने कहा कि यह अमेरिकी लोकतंत्र, इसकी संस्थाओं और कानून के शासन पर एक हमला है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)