छत्तीसगढ़: आश्रय गृह के कर्मचारियों पर तीन महिलाओं ने यौन शोषण का आरोप लगाया

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर ज़िले का मामला है. गैर सरकारी संगठन शिव मंगल शिक्षण समिति द्वारा संचालित उज्जवला गृह की तीन महिलाओं ने कर्मचारियों पर शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है. हालांकि आश्रय गृह के संचालक ने आरोपों से इनकार किया है.

बिलासपुर उज्जवला गृह (फोटो सभार: एनजीओ shivmangalwel.org)

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर ज़िले का मामला है. गैर सरकारी संगठन शिव मंगल शिक्षण समिति द्वारा संचालित उज्जवला गृह की तीन महिलाओं ने कर्मचारियों पर शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है. हालांकि आश्रय गृह के संचालक ने आरोपों से इनकार किया है.

बिलासपुर उज्जवला गृह (फोटो सभार: एनजीओ shivmangalwel.org)
बिलासपुर उज्जवला गृह (फोटो सभार: shivmangalwel.org)

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में एक आश्रय गृह की तीन महिलाओं ने इसके कर्मचारियों पर शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है. महिलाओं को हाल ही में नारी निकेतन में स्थानांतरित किया गया है. हालांकि आश्रय गृह के संचालक ने आरोपों से इनकार किया है.

पुलिस ने कहा है कि उसने मामले का संज्ञान लिया है और महिलाओं के बयान को मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराया जाएगा. बिलासपुर के पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल ने कहा कि पुलिस मामले की छानबीन कर रही है.

एक अन्य सरकारी अधिकारी ने बताया कि आश्रय स्थल को बंद कर दिया गया है और यहां रहने वाली महिलाओं को उनके घरों में या अन्य सरकारी आश्रय स्थलों में भेज दिया गया है.

दैनिक भास्कर के मुताबिक महिला बाल विकास के जिला अधिकारी सुरेश सिंह के अनुसार उज्जवला गृह में कुल 10 पीड़ित महिलाएं थीं.

इनमें से आरोप लगाने वाली तीन महिलाओं को पुलिस ने पहले ही उनके परिजनों को सौंप दिया था. उन्होंने कहा कि जांच होने तक यह केंद्र सील रहेगा. विभागीय जांच चल रही है. जांच के बाद आगे की कार्रवाई होगी.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, गैर सरकारी संगठन शिव मंगल शिक्षण समिति उज्जवला गृह का संचालन करती है.

महिलाओं ने यह भी आरोप लगाया है कि इसके कर्मचारी एक सेक्स रैकेट चला रहे थे. इसके साथ ही महिलाओं और उनके परिवारों ने जब पुलिस में इसकी शिकायत की तो पुलिस अधिकारियों द्वारा कथित तौर पर उन्हें धमकी दी गई और उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया.

रिपोर्ट के अनुसार, अज्ञात लोगों के खिलाफ जमानती धाराओं के तहत एक प्राथमिकी दर्ज होने के तीन दिन बाद भी पुलिस ने अभी तक कोई मेडिकल परीक्षण नहीं किया है.

महिलाओं ने बुधवार को बिलासपुर रेंज के आईजी रतन लाल डांगी को इस संबंध में एक और आवेदन दिया है, जिसमें उज्जवला गृह के कर्मचारियों द्वारा धमकी के साथ शारीरिक और यौन शोषण का उल्लेख किया गया है.

पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल ने कहा, ‘हमने कोई मेडिकल परीक्षण नहीं करवाया है क्योंकि महिलाएं ऐसा नहीं चाहती थीं. उन्होंने यौन शोषण के बारे में सुना है, लेकिन पीड़ित होने से इनकार किया है. हम जांच कर रहे हैं. यदि महिलाएं कहती हैं कि उन्हें हिंसा का शिकार होना पड़ा, तो हम इसकी जांच करवाएंगे.’

शिव मंगल शिक्षण समिति के अध्यक्ष जितेंद्र मौर्य से संपर्क किए जाने पर उन्होंने आरोपों से इनकार किया. उन्होंने एक महिला के परिवार पर अश्लील भाषा का इस्तेमाल करने का आरोप लगाते हुए पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई है.

मौर्य ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘महिला एवं बाल विकास विभाग ने जांच के लिए टीम बनाई है. ये महिलाएं झूठ बोल रही हैं और उनके पास उनके द्वारा कही गई किसी भी बात का कोई सबूत नहीं है. हम पुलिस द्वारा लाई गईं महिलाओं को अपने साथ रखते हैं.’

उन्होंने बताया कि उज्जवला गृह में रहने वाली सात अन्य महिलाओं को अभी सखी केंद्र भेजा गया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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