नीतीश सरकार द्वारा जारी एक आदेश में विरोध प्रदर्शन या सड़क जाम करने वालों को सरकारी नौकरी और ठेकों से वंचित रखने की बात कही गई है. विपक्षी नेता तेजस्वी यादव ने इस पर कहा कि नीतीश कुमार मुसोलिनी और हिटलर को चुनौती दे रहे हैं. नौकरी भी नहीं देंगे और विरोध भी प्रकट नहीं करने देंगे.
पटना: बिहार सरकार ने सोशल मीडिया पर मंत्रियों और अधिकारियों के खिलाफ ‘आपत्तिजनक’ टिप्पणी करने वालों पर कार्रवाई करने का आदेश देने के बाद एक और विवादित कदम उठाया है.
इस नए नियम के तहत अगर किसी ने भी विरोध प्रदर्शन किया या सड़क जाम की तो उसे सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी.
सरकार की तरफ से जारी आदेश में सड़क जाम करने वालों को सरकारी नौकरी और सरकारी ठेके से वंचित रखने का प्रावधान किया गया है.
एनडीटीवी के मुताबिक, सरकार की तरफ से जारी आदेश में कहा गया, ‘यदि कोई व्यक्ति विधि-व्यवस्था की स्थिति,विरोध प्रदर्शन, सड़क जाम इत्यादि मामलों में संलिप्त होकर किसी आपराधिक कृत्य में शामिल होता है और उसे इस कार्य के लिए पुलिस के द्वारा आरोप पत्रित किया जाता है तो उनके संबंध में चरित्र सत्यापन प्रतिवेदन में विशिष्ट एवं स्पष्ट रूप से प्रविष्टि की जाए. ऐसे व्यक्तियों को गंभीर परिणामों के लिए तैयार रहना होगा क्योंकि उनमें सरकारी नौकरी/सरकारी ठेके आदि नहीं मिल पाएंगे.’
जारी आदेश में कहा गया है कि पुलिस द्वारा किसी भी व्यक्ति के संबंध में समर्पित सत्यापन प्रतिवेदन बेहद संवेदनशील दस्तावेज है. इसे बिना अनावश्यक देरी के आवेदक को परेशान किए बगेर सही-सही तैयार किया जाना आवश्यक है.
अमर उजाला के अनुसार, राज्य सरकार से जुड़े ठेके में चरित्र प्रमाण पत्र अनिवार्य किए जाने के बाद डीजीपी एसके सिंघल ने पुलिस सत्यापन प्रतिवेदन (पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट) के संबंध में एक विस्तृत आदेश जारी किया है.
पुलिस सत्यापन रिपोर्ट के दौरान किन बातों का ख्याल रखना है और किन बिंदुओं पर जांच करनी है, इस आदेश में यह भी स्पष्ट किया है.
आदेश में कहा गया कि विरोध प्रदर्शन के दौरान सड़क जाम करने, हिंसा फैलाने या किसी भी तरह विधि व्यवस्था में समस्या उत्पन्न करने जैसे आपराधिक कृत्य में शामिल होता है और अगर उसके खिलाफ पुलिस चार्जशीट दाखिल कर देती है, तो उनके पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट में इसका स्पष्ट उल्लेख होगा. ऐसे में न सरकारी नौकरी मिलेगी और न ही सरकारी ठेका ले सकेंगे.
सरकार के इस फैसले को लेकर विपक्षी नेता तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार पर निशाना साधा है.
मुसोलिनी और हिटलर को चुनौती दे रहे नीतीश कुमार कहते है अगर किसी ने सत्ता व्यवस्था के विरुद्ध धरना-प्रदर्शन कर अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग किया तो आपको नौकरी नहीं मिलेगी। मतलब नौकरी भी नहीं देंगे और विरोध भी प्रकट नहीं करने देंगे
बेचारे 40सीट के मुख्यमंत्री कितने डर रहे है? pic.twitter.com/h0TDkuR5vP
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) February 2, 2021
तेजस्वी यादव ने ट्वीट करते हुए लिखा है, ‘मुसोलिनी और हिटलर को चुनौती दे रहे नीतीश कुमार कहते है अगर किसी ने सत्ता व्यवस्था के विरुद्ध धरना-प्रदर्शन कर अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग किया तो आपको नौकरी नहीं मिलेगी. मतलब नौकरी भी नहीं देंगे और विरोध भी प्रकट नहीं करने देंगे. बेचारे 40 सीट के मुख्यमंत्री कितने डर रहे है?’
तानाशाही CM @NitishKumar को बिहार में सजग, जागरूक और मुखर नागरिक नहीं चाहिए, सिर्फ गुलाम कठपुतली चाहिए!
न्यायालय को ऐसे मूल अधिकारों पर कुठाराघात करने वाले निर्देशों का स्वतः संज्ञान लेना चाहिए! https://t.co/CXcAKO9256
— Rashtriya Janata Dal (@RJDforIndia) February 2, 2021
वहीं, तेजस्वी यादव के ट्वीट को उनकी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के ट्विटर हैंडल से रिट्वीट करते हुए लिखा गया है, ‘तानाशाही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को को बिहार में सजग, जागरूक और मुखर नागरिक नहीं चाहिए, सिर्फ गुलाम कठपुतली चाहिए! न्यायालय को ऐसे मूल अधिकारों पर कुठाराघात करने वाले निर्देशों का स्वतः संज्ञान लेना चाहिए!’
प्रभात खबर के मुताबिक कांग्रेस एमएलसी प्रेमचंद्र मिश्रा ने सरकार के इस फैसले को अलोकतांत्रिक करार दिया.
उन्होंने कहा, ‘क्या बिहार में धरना-प्रदर्शन करना अपराध हो गया है. ये नया पैटर्न बीते तीन-चार साल से नीतीश कुमार ने शुरू किया है. गैर भाजपा, गैर जदयू को लोगों पर अकारण केस दर्ज किया जाता है.’
उन्होंने कहा, ‘सरकार ये याद रखे कि आप हमेशा सत्ता में नहीं रहेंगे. प्रदेश की जनता इस फैसले का जवाब जरूर देगी.’
बता दें कि 21 जनवरी को जारी हुए एक ऐसे ही आदेश में कहा गया है कि जो भी उनकी सरकार, मंत्रियों एवं अधिकारियों के खिलाफ सोशल मीडिया पर तथाकथित ‘अपमानजनक टिप्पणी’ करेगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी और यह साइबर अपराध की श्रेणी में माना जाएगा.
बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई में अपर पुलिस महानिदेशक नैयर हसनैन खान ने राज्य सरकार के सभी प्रधान सचिव/सचिव को पत्र लिखकर कहा था कि वे ऐसे मामलों को उनके संज्ञान में लाएं जहां सोशल मीडिया के माध्यम से व्यक्तियों एवं संगठनों द्वारा सरकार पर अवांछनीय टिप्पणी की गई हो, ताकि इसे लेकर उचित कार्रवाई की जा सके.