उत्तराखंड आपदा: एक और शव मिला, मृतक संख्या बढ़कर 62 हुई, 142 लोग अब भी लापता

बीते सात फरवरी को उत्तराखंड के चमोली ज़िले की ऋषिगंगा घाटी में पर ग्लेशियर टूटने से हिमस्खलन हुआ था, जिससे नदी के किनारे 13.2 मेगावाट की एक जलविद्युत परियोजना ध्वस्त हो गई थी, जबकि धौलीगंगा के साथ लगती एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगढ़ जलविद्युत परियोजना को व्यापक नुकसान पहुंचा था.

उत्तराखंड के तपोवन बांध के पास स्थित एक सुरंग के बाहर बचाव अभियान जारी है. (फोटो: पीटीआई)

बीते सात फरवरी को उत्तराखंड के चमोली ज़िले की ऋषिगंगा घाटी में पर ग्लेशियर टूटने से हिमस्खलन हुआ था, जिससे नदी के किनारे 13.2 मेगावाट की एक जलविद्युत परियोजना ध्वस्त हो गई थी, जबकि धौलीगंगा के साथ लगती एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगढ़ जलविद्युत परियोजना को व्यापक नुकसान पहुंचा था.

उत्तराखंड के तपोवन बांध के पास स्थित एक सुरंग के बाहर बचाव अभियान जारी है. (फोटो: पीटीआई)
उत्तराखंड के तपोवन बांध के पास स्थित एक सुरंग के बाहर बचाव अभियान जारी है. (फोटो: पीटीआई)

गोपेश्वर: उत्तराखंड के चमोली जिले में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र से एक और शव मिला है, जिससे ग्लेशियर टूटने की आपदा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 62 हो गई है. वहीं एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगढ़ जल विद्युत परियोजना स्थल पर 13वें दिन भी खोज और बचाव अभियान जारी रहा.

चमोली जिले की पुलिस ने शुक्रवार को कहा कि एक शव जोशीमठ और पीपलकोटी के बीच हेलंग में अलकनंदा के तट से बृहस्पतिपार देर रात मिला.

पुलिस ने बताया कि शव टीएचडीसी के एक कॉफर बैराज में मिला. पुलिस ने कहा कि इसके साथ ही 7 फरवरी की आपदा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 62 हो गई है जबकि 142 लोग अभी भी लापता हैं.

तपोवन-विष्णुगढ़ जल विद्युत परियोजना के इनटेक टनल से अब तक 13 शव मिल चुके हैं जहां आपदा के बाद से अब तक बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान जारी है.

पुलिस ने बताया कि इसके अलावा, प्रभावित क्षेत्र में विभिन्न स्थानों से 28 मानव अंग भी मिले हैं, जिनमें से एक की पहचान कर ली गई है. पुलिस ने कहा कि अब तक मिले 62 में से 33 शवों की पहचान कर ली गई है. पुलिस ने बताया कि अज्ञात शवों के डीएनए को संरक्षित किया जा रहा है.

बता दें कि बीते सात फरवरी को चमोली जिले की ऋषिगंगा घाटी में पर ग्लेशियर टूटने से हिमस्खलन हुआ था, जिससे नदी के किनारे 13.2 मेगावाट की एक जलविद्युत परियोजना ध्वस्त हो गई थी, जबकि धौलीगंगा के साथ लगती एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगढ़ जलविद्युत परियोजना को व्यापक नुकसान पहुंचा था.

ग्लेशियर टूटने से अलकनंदा और इसकी सहायक नदियों में अचानक आई विकराल बाढ़ के कारण हिमालय की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भारी तबाही मची गई थी.

अचानक आई इस आपदा के चलते वहां स्थित दो पनबिजली परियोजनाओं (ऋषिगंगा और तपोवन विष्णुगढ़) में काम कर रहे तकरीबन 200 लोग लापता हो गए थे, जिनके शव लगातार मिल रहे हैं.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इस घटना के बाद उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन बल (एसडीआरएफ) ने ऋषि गंगा में अचानक जलस्तर में वृद्धि होने से ग्रामीणों और आपदा प्रबंधन अधिकारियों को सचेत करने के लिए चमोली जिले के रेणी गांव में एक जल-आधारित चेतावनी जल-स्तर सेंसर प्रणाली स्थापित की है.

एसडीआरएफ के कमांडेंट नवनीत भुल्लर ने कहा कि एक जल-स्तर सेंसर स्थापित किया गया है, जो नदी के जल स्तर 3.5 मीटर से ऊपर उठने पर बजेगा, जिसकी आवाज सामान्य तौर पर पांच किलोमीटर और बिजली कटने पर एक किमी. के दायरे तक सुनाई देगा.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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