केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने 19 फरवरी को अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से हिंदुत्ववादी विचारक एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व प्रमुख एमएस गोलवलकर को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें महान विचारक बताया था. इस ट्वीट की तमाम लोगों ने आलोचना की थी.
नई दिल्लीः केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय द्वारा हिंदुत्ववादी विचारक और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पूर्व प्रमुख एमएस गोलवलकर की जयंती पर ट्वीट करने पर हुई आलोचना के एक दिन बाद मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर कहा है कि वह समाज के हर वर्ग की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है और किसी भी विचारधारा को चुप कराने में विश्वास नहीं करता.
संस्कृति मंत्रालय ने 19 फरवरी को एमएस गोलवलकर की तस्वीर के साथ ट्वीट करते हुए कहा था, ‘एक महान विचारक, विद्वान और असाधारण नेता एमएस गोलवलकर की जयंती पर उन्हें याद कर रहे हैं. उनके विचार प्रेरणा का स्रोत बने रहेंगे और पीढ़ियों का मार्गदर्शन करते रहेंगे.’
इसके बाद कांग्रेस सांसद शशि थरूर और गौरव गोगोई सहित कई ट्विटर यूजर्स ने गांधी जी के आदर्शों का विरोध करने वाले शख्स गोलवलकर को श्रद्धांजलि देने के मंत्रालय के कदम की आलोचना की थी.
कई लोगों ने गोलवलकर की किताबों का उल्लेख करते हुए उनके सांप्रदायिक विचारों और यहूदियों के नरसंहार के लिए हिटलर का समर्थन करने जैसे उनकी विचारधारा की निंदा की थी.
थरूर ने कहा था कि गोलवलकर ने भारतीय ध्वज और संविधान का कभी सम्मान नहीं किया.
गोगोई ने ट्वीट कर कहा था कि संस्कृति मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने एक बार संसद में उनसे कहा था कि गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे की पूजा करने में कुछ भी गलत नहीं है.
India is most culturally diverse nation in the world and an epitome of multiculturalism. Ministry of Culture represents the aspirations of every section of society and do not believe in silencing any ideologies or voices which is not the part of traditional narrative. https://t.co/2jzrPAefcJ
— Nitin Tripathi (@_NitinTripathi) February 20, 2021
एक दिन बाद 20 फरवरी को मंत्री के मीडिया सलाहकार नितिन त्रिपाठी ने ट्वीट कर कहा था, ‘भारत दुनिया में सांस्कृतिक रूप से विविध राष्ट्र है और बहुसंस्कृतिवाद का प्रतीक है. संस्कृति मंत्रालय समाज के हर वर्ग की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है और किसी भी विचारधारा या आवाज को चुप कराने में विश्वास नहीं करता.’
त्रिपाठी ने एक अन्य ट्वीट में कहा था, ‘विशिष्ट सामाजिक-सांस्कृतिक गुण, रीति-रिवाज, परंपरा और मूल्यों का हर कीमत पर सम्मान किया जाना चाहिए और यह सदियों से भारत जैसे लोकतंत्र के आवश्यक तत्वों में से एक है.’
इस बीच कई केंद्रीय मंत्रियों और भाजपा के मुख्यमंत्रियों ने ट्वीट कर गोलवलकर की प्रशंसा की. भाजपा सांसद राकेश सिन्हा ने इस ट्वीट के लिए संस्कृति मंत्रालय को बधाई तक दी थी.
बता दें कि केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने 19 फरवरी को अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से हिंदुत्व विचारक एवं आरएसएस के पूर्व प्रमुख एमएस गोलवलकर को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें महान विचारक बताया था.
मंत्रालय ने ट्वीट कर कहा था कि गोलवलकर एक महान विचारक, विद्वान और असाधारण नेता थे, जिनके विचार पीढ़ियों का मार्गदर्शन करेंगे.
गोलवलकर के विचारों को बड़े पैमाने पर लोकतंत्र के खिलाफ माना जाता है. इतना ही नहीं, खुद आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने एक आउटरीच कार्यक्रम के दौरान उनके कुछ विचारों से दूरी बना ली थी.
2006 में आरएसएस ने खुद गोलवलकर की एक किताब को अस्वीकार किया था.
सावरकर के साथ गोलवलकर को महात्मा गांधी की हत्या के लिए गिरफ्तार किया गया था. दोनों को केवल इसलिए रिहा किया गया, क्योंकि कुछ गवाह जिन्होंने उनके खिलाफ गवाही दी थी, वे अदालत में सुनवाई के दौरान गायब रहे थे.
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