यौन उत्पीड़न के आरोपों को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकताः सुप्रीम कोर्ट

शीर्ष अदालत की यह टिप्पणी साल 2018 के एक मामले के संबंध में आई है, जहां मध्य प्रदेश के एक पूर्व जिला जज पर एक जूनियर महिला अधिकारी ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं. जज ने उनके ख़िलाफ़ हाईकोर्ट द्वारा शुरू की गई अनुशासनात्मक कार्यवाही को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.

New Delhi: A view of the Supreme Court of India in New Delhi, Monday, Nov 12, 2018. (PTI Photo/ Manvender Vashist) (PTI11_12_2018_000066B)
(फोटो: पीटीआई)

शीर्ष अदालत की यह टिप्पणी साल 2018 के एक मामले के संबंध में आई है, जहां मध्य प्रदेश के एक पूर्व जिला जज पर एक जूनियर महिला अधिकारी ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं. जज ने उनके ख़िलाफ़ हाईकोर्ट द्वारा शुरू की गई अनुशासनात्मक कार्यवाही को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.

New Delhi: A view of the Supreme Court of India in New Delhi, Monday, Nov 12, 2018. (PTI Photo/ Manvender Vashist) (PTI11_12_2018_000066B)
सुप्रीम कोर्ट (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मध्य प्रदेश के पूर्व जिला न्यायाधीश से हाईकोर्ट द्वारा गठित की गई इनहॉउस विभागीय जांच का सामना करने को कहा है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्व जिला जज शंभू सिंह रघुवंशी पर एक जूनियर न्यायिक अधिकारी का यौन उत्पीड़न करने का आरोप है, जिसके बाद मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू करने के आदेश दिए थे.

पूर्व जिला जज ने हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए टिप्पणी की कि यौन उत्पीड़न के मामलों की अनदेखी नहीं की जा सकती.

तीन सदस्यीय पीठ की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा, ‘यह एक जोखिम भरा मामला है जिसका नतीजा आपके खिलाफ हो सकता है. ऐसा भी हो सकता है कि आप आरोपमुक्त हो जाएं लेकिन आज की तारीख में आप आरोपी हैं. यौन उत्पीड़न के आरोपों को इस तरह नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.’

सुप्रीम कोर्ट में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ओर से पेश वकील ने कहा कि पूर्व जिला जज ने जो मैसेज अपनी जूनियर महिला अधिकारी को भेजा था, वह काफी आपत्तिजनक था.

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में आरोपी पूर्व जिला जज से अपनी याचिका वापस लेने को कहा, जिसके बाद याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत से याचिका वापस लेने की इजाजत मांगी.

अदालत ने याचिका वापस लेने की इजाजत देते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को इस बात की स्वतंत्रता है कि वह जांच समिति के समक्ष पेश हो सकते हैं.

मालूम हो कि यह 2018 का मामला है. राज्य के पूर्व जिला जज पर एक जूनियर महिला अधिकारी ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था, जिसके बाद उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की गई थी, जिसके बाद आरोपी जज ने सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती देने के लिए याचिका दायर की थी.