वैश्विक लैंगिक भेद रिपोर्ट में भारत का 156 देशों में 140वां स्थान, 28 पायदान फिसला

वैश्विक लैंगिक भेद अनुपात रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण एशिया में केवल पाकिस्तान और अफगानिस्तान इस सूची में भारत से नीचे हैं. भारत के पड़ोसी मुल्कों में से बांग्लादेश इस सूची में 65, नेपाल 106, पाकिस्तान 153, अफगानिस्तान 156, भूटान 130 और श्रीलंका 116वें स्थान पर हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

वैश्विक लैंगिक भेद अनुपात रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण एशिया में केवल पाकिस्तान और अफगानिस्तान इस सूची में भारत से नीचे हैं. भारत के पड़ोसी मुल्कों में से बांग्लादेश इस सूची में 65, नेपाल 106, पाकिस्तान 153, अफगानिस्तान 156, भूटान 130 और श्रीलंका 116वें स्थान पर हैं. 

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: वैश्विक आर्थिक मंच की वैश्विक लैंगिक भेद अनुपात रिपोर्ट 2021 में 156 देशों की सूची में भारत 28 पायदान की गिरावट के साथ 140वें स्थान पर है और दक्षिण एशिया में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला तीसरा देश है.

वैश्विक लैंगिक भेद अनुपात सूची 2020 में भारत का स्थान 153 देशों की सूची में 112वां था.

आर्थिक भागीदारी और अवसर की सूची में भी गिरावट आई है और रिपोर्ट के अनुसार इस क्षेत्र में लैंगिक भेद अनुपात तीन प्रतिशत और बढ़कर 32.6 प्रतिशत पर पहुंच गया है.

इसमें कहा गया है कि सबसे ज्यादा कमी राजनीतिक सशक्तिकरण उपखंड में आई है. यहां महिला मंत्रियों की संख्या (वर्ष 2019 में 23.1 प्रतिशत थी जो 2021 में घट कर 9.1 प्रतिशत) काफी कम हुई है.

रिपोर्ट में कहा गया, ‘महिला श्रम बल भागीदारी दर 24.8 प्रतिशत से गिरकर 22.3 प्रतिशत रह गई. इसके साथ ही पेशेवर और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका घटकर 29.2 प्रतिशत हो गई. वरिष्ठ और प्रबंधक पदों पर महिलाओं की भागीदारी भी कम ही रही है. इन पदों पर केवल 14.6 प्रतिशत महिलाएं ही हैं और केवल 8.9 फीसदी कंपनियां हैं, जहां शीर्ष प्रबंधक पदों पर महिलाएं हैं.’

रिपोर्ट के अनुसार, यह अंतर महिलाओं के वेतन में और शिक्षण दर में भी दिखाई देता है.

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में महिलाएं पुरुषों के तुलना में सिर्फ 20 फीसदी कमा पाती हैं, जो कि देश को इस मामले में सबसे निचले 10 देशों की सूची में डालता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि जन्म के समय लिंगानुपात में व्यापक अंतर जेंडर आधारित प्रथाओं के कारण होता है. उन्होंने कहा कि चार में एक से अधिक महिलाओं ने अपने जीवनकाल में हिंसा का सामना किया है. इसके अलावा एक तिहाई (34.2) महिलाएं अशिक्षित हैं, जबकि पुरुषों के मामले में ये आंकड़ा 17.6 फीसदी है.

भारत के पड़ोसी मुल्कों में से बांग्लादेश इस सूची में 65, नेपाल 106, पाकिस्तान 153, अफगानिस्तान 156, भूटान 130 और श्रीलंका 116वें स्थान पर हैं.

दक्षिण एशिया में केवल पाकिस्तान और अफगानिस्तान सूची में भारत से नीचे हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण एशिया में बांग्लादेश का प्रदर्शन सबसे अच्छा है. इसने पुरुषों एवं महिलाओं के बीच की 71.9 फीसदी खाई को भर दिया है. वहीं भारत इस दिशा में सिर्फ 62.5 फीसदी तक ही पुरुष एवं महिलाओं के बीच की दूरी को भर पाया है.

वहीं 12वीं बार आइसलैंड पहले स्थान पर कायम रहा है. यह देश पुरुष एवं महिला भागीदारी की दिशा में सबसे समानतावादी देश है. ऐसे टॉप-10 देशों की सूची में फिनलैंड, नॉर्वे, न्यूजीलैंड, स्वीडन, नामीबिया, रवांडा, लिथुआनिया, आयरलैंड और स्विटजरलैंड हैं.

इस मामले में ब्रिटेन 23वां और अमेरिका 30वें स्थान पर हैं.

लैंगिक समानता की दिशा में अफगानिस्तान सबसे निचले स्तर पर है. यमन, इराक, पाकिस्तान, सीरिया, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, ईरान, माली, चाड और सउदी अरब महिलाओं के लिए सबसे असमानतावदी टॉप-10 देश हैं.

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने वैश्विक लैंगिक भेद अनुपात रिपोर्ट 2021 में भारत के 140वें स्थान पर खिसकने को लेकर गुरुवार को सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की मानसिकता के अनुसार यह सरकार महिलाओं को अशक्त करने में लगी है.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘संघ की मानसिकता के अनुसार केंद्र सरकार महिलाओं को अशक्त करने में लगी है- ये भारत के लिए बहुत खतरनाक है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)