किसान प्रदर्शन स्थलों पर सरकार को टीकाकरण शुरू करना चाहिए: संयुक्त किसान मोर्चा

केंद्र के तीन विवादित कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रदर्शनकारी किसानों किसानों से कहा है कि वे मास्क पहनें और कोविड-19 दिशानिर्देशों का पालन करें. मोर्चा ने केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि चुनावी रैलियों में वह कोरोना वायरस को नज़रअंदाज़ कर रही है.

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बीते साल नवंबर माह से किसान दिल्ली की ​तीन सीमाओं- सिंघू, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. (फोटो: रॉयटर्स)

केंद्र के तीन विवादित कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रदर्शनकारी किसानों किसानों से कहा है कि वे मास्क पहनें और कोविड-19 दिशानिर्देशों का पालन करें. मोर्चा ने केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि चुनावी रैलियों में वह कोरोना वायरस को नज़रअंदाज़ कर रही है.

बीते साल नवंबर माह से किसान दिल्ली की तीन सीमाओं- सिंघू, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. (फोटो: रॉयटर्स)
बीते साल नवंबर माह से किसान दिल्ली की तीन सीमाओं- सिंघू, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. (फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: केंद्र के तीन विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसान संघों के प्रमुख संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने शुक्रवार को मांग की कि प्रदर्शन स्थलों पर सरकार टीकाकरण केंद्र की शुरुआत करे और इससे जुड़ीं सुविधाएं मुहैया कराए.

संगठन ने पहली बार ऐसी मांग की है. इसने दिल्ली के विभिन्न प्रवेश बिंदुओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों से कहा कि वे मास्क पहनें और कोविड-19 दिशानिर्देशों का पालन करें, ताकि वायरस के प्रसार को रोका जा सके.

दिलचस्प बात यह है कि इसके नेताओं ने पहले कहा था कि वे कोविड से नहीं डरते और टीका नहीं लगवाएंगे. बहरहाल उन्होंने कहा था कि वे दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों को टीका लेने से नहीं रोकेंगे, क्योंकि यह उनकी निजी पसंद है.

पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित देश के विभिन्न हिस्से के हजारों किसान दिल्ली के तीन सीमा स्थलों- सिंघू, टिकरी और गाजीपुर में चार महीने से अधिक समय से प्रदर्शन कर रहे हैं और केंद्र सरकार द्वारा पिछले वर्ष सितंबर में लागू किए गए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं.

किसान मोर्चा ने बयान जारी कर कहा, ‘हम किसानों से अपील करते हैं कि आवश्यक नियमों और दिशानिर्देशों का पालन करें, जैसे मास्क पहनना और वायरस को फैलने से रोकने में अपनी तरफ से योगदान दें. साथ ही हम सरकार से अपील करते हैं कि प्रदर्शन स्थलों पर टीकाकरण केंद्र की शुरुआत कर और आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराकर अपनी जिम्मेदारी निभाए.’

भारत में शनिवार को लगातार तीसरे दिन कोरोना वायरस संक्रमण के दो लाख से अधिक नए मामले दर्ज किए गए है. देश में बीते 24 घंटे के दौरान सर्वाधिक 234,692 नए मामले सामने आए हैं और रिकॉर्ड 1,341 लोगों की मौत हुई है. इसके साथ कुल मामलों की संख्या 1.45 करोड़ से अधिक हो गई है और अब तक 1.75 लाख से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं.

केजरीवाल ने राजधानी में कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए बृहस्पतिवार को सप्ताहांत में कर्फ्यू लगाने समेत कई पाबंदियों की घोषणा की थी. इस दौरान मॉल, जिम, स्पा और सभागार भी बंद रहेंगे, ताकि कोरोना वायरस की कड़ी को तोड़ा जा सके.

बहरहाल, संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि चुनावी रैलियों में वह कोरोना वायरस को नजरअंदाज कर रही है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक मोर्चा ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार फर्जी खबरें फैलाकर किसानों के बीच डर का माहौल बनाने की कोशिश कर रही है.

उन्होंने कहा, ‘फर्जी खबरें फैलाकर किसानों में डर का माहौल पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है, जिसे किसान बर्दाश्त नहीं करेंगे और इसका करारा जवाब भी देंगे.’

तीन नए कृषि कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानून बनाने की अपनी मांगों को दोहराते हुए, संघ ने प्रदर्शनकारी किसानों से अपनी शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन को जारी रखने की अपील की. साथ ही  अधिक से अधिक किसानों को दिल्ली की सीमाओं पर पहुंचने का अनुरोध किया.

गौरतलब है कि केंद्र सरकार की ओर से कृषि से संबंधित तीन विधेयक– किसान उपज व्‍यापार एवं वाणिज्‍य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020, किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्‍य आश्‍वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 और आवश्‍यक वस्‍तु (संशोधन) विधेयक, 2020 को बीते साल 27 सितंबर को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी थी, जिसके विरोध में चार महीने से अधिक समय से किसान प्रदर्शन कर रहे हैं.

किसानों को इस बात का भय है कि सरकार इन अध्यादेशों के जरिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दिलाने की स्थापित व्यवस्था को खत्म कर रही है और यदि इसे लागू किया जाता है तो किसानों को व्यापारियों के रहम पर जीना पड़ेगा.

दूसरी ओर केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाली मोदी सरकार ने बार-बार इससे इनकार किया है. सरकार इन अध्यादेशों को ‘ऐतिहासिक कृषि सुधार’ का नाम दे रही है. उसका कहना है कि वे कृषि उपजों की बिक्री के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था बना रहे हैं.

अब तक प्रदर्शनकारी यूनियनों और सरकार के बीच 11 दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन गतिरोध जारी है, क्योंकि दोनों पक्ष अपने अपने रुख पर कायम हैं. 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के लिए किसानों द्वारा निकाले गए ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली में हुई हिंसा के बाद से अब तक कोई बातचीत नहीं हो सकी है.

इस बीच हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने शनिवार को किसानों से बातचीत फिर से शुरू करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है.

उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘तीन कृषि कानूनों को लेकर आंदोलन कर रहे अन्नदाताओं की मांगों का बातचीत से हल निकालने और किसान संगठनों के साथ वार्ता को फिर से शुरू करने के लिए माननीय प्रधानमंत्री जी को पत्र लिखा.’

इससे पहले बीते 11 अप्रैल को भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने कहा था कि यदि सरकार आमंत्रित करती है तो नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान बातचीत के लिए तैयार हैं. हालांकि उन्होंने यह भी कहा था कि बातचीत वहीं से शुरू होगी, जहां 22 जनवरी को खत्म हुई थी और मांगों में कोई बदलाव नहीं होगा.

टिकैत का बयान कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के बीच हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज द्वारा केंद्रीय कृषि मंत्री से वार्ता बहाली के लिए की गई अपील के बाद आया था.

अनिल विज ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि वो केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ बातचीत फिर शुरू करें, क्योंकि कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा लगातार मंडरा रहा है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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