सीजेआई रमना की असहमति के चलते केंद्र के दो पसंदीदा नाम सीबीआई प्रमुख की दौड़ से बाहर

नए सीबीआई निदेशक पद की दौड़ में सीआईएसएफ के महानिदेशक सुबोध कुमार जायसवाल, एसएसबी के महानिदेशक कुमार राजेश चंद्रा और गृह मंत्रालय के विशेष सचिव वीएसके कौमुदी शामिल हैं. मोदी सरकार को रिटायर होने के क़रीब पहुंचे बीएसएफ प्रमुख राकेश अस्थाना और एनआईए प्रमुख वाईसी मोदी को इस सूची से बाहर करना पड़ा है.

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जस्टिस एनवी रमन्ना. (फोटो: पीटीआई)

नए सीबीआई निदेशक पद की दौड़ में सीआईएसएफ के महानिदेशक सुबोध कुमार जायसवाल, एसएसबी के महानिदेशक कुमार राजेश चंद्रा और गृह मंत्रालय के विशेष सचिव वीएसके कौमुदी शामिल हैं. मोदी सरकार को रिटायर होने के क़रीब पहुंचे बीएसएफ प्रमुख राकेश अस्थाना और एनआईए प्रमुख वाईसी मोदी को इस सूची से बाहर करना पड़ा है.

जस्टिस एनवी रमन्ना. (फोटो: पीटीआई)
सीजेआई एनवी रमन्ना. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना द्वारा विरोध किए जाने के बाद मोदी सरकार को कम से कम अपने दो पसंदीदा नामों को सीबीआई प्रमुख की दौड़ से बाहर करना पड़ा है.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, इसे लेकर बीते सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में जस्टिस रमना ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि ऐसे किसी व्यक्ति को सीबीआई निदेशक नहीं बनाया जा सकता है, जिसकी सरकारी नौकरी या कार्यकाल छह महीने से भी कम बची हो.

सूत्रों ने चैनल को बताया कि इसके चलते सरकार को सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) प्रमुख राकेश अस्थाना, जो कि 31 अगस्त को रिटायर हो रहे हैं और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) प्रमुख वीईसी मोदी, जो कि 31 मई को रिटायर हो रहे हैं, को सीबीआई निदेशक के दौड़ से बाहर करना पड़ा.

मालूम हो कि करीब चार महीने की देरी के बाद प्रधानमंत्री मोदी के आवास पर ये बैठक हुई थी. प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और लोकसभा में विपक्ष के नेता की सदस्यता वाली समिति सीबीआई निदेशक की नियुक्ति करती है.

इस उच्चस्तरीय समिति ने नए सीबीआई निदेशक के लिए केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के महानिदेशक सुबोध कुमार जायसवाल, सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के महानिदेशक कुमार राजेश चंद्रा और केंद्रीय गृह मंत्रालय में विशेष सचिव वीएसके कौमुदी के नाम की सूची तैयार की है.

जायसवाल 1985 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी हैं और वह पूर्व में महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक पद पर रहे हैं. वर्तमान में वह केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के महानिदेशक हैं.

चंद्रा भी 1985 बैच के आईपीएस हैं और वह बिहार कैडर के अधिकारी हैं. वर्तमान में वह एसएसबी के महानिदेशक हैं, जबकि कौमुदी 1986 बैच के आंध्र प्रदेश कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं. वह केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंतरिक सुरक्षा विभाग में विशेष सचिव हैं.

उत्तर प्रदेश कैडर के 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी एचसी अवस्थी का नाम भी इस पद की दौड़ में था. वर्तमान में वह उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक हैं.

प्रधानमंत्री और सीजेआई रमना के अलावा समिति के एक अन्य सदस्य लोकसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी भी बैठक में उपस्थित थे.

लगभग 90 मिनट तक चली बैठक में चौधरी ने अधिकारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया को लेकर सवाल उठाए.

उन्होंने कहा, ‘जिस तरीके से चयन की प्रक्रिया अपनाई गई वह समिति के अधिदेश (मैंडेट) से मेल नहीं खाती है. मुझे 11 (मई) को 109 नाम दिए गए और आज (सोमवार) एक बजे तक उनमें से 10 नाम चयनित किए गए तथा चार बजे तक छह नाम तय किए गए. कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) का यह लापरवाहीपूर्ण रवैया बहुत ही आपत्तिजनक है.’

वैसे तो चौधरी ने नामों पर आपत्ति नहीं जताई, लेकिन प्रक्रियात्मक गलतियों को लेकर उन्होंने असहमित पत्र (डिसेंट नोट) दिया है. कांग्रेस नेता ने इस बात पर जोर दिया कि सूची से नामों को हटाने का काम समिति करती है, न कि डीओपीटी.

कानून के मुताबिक, ‘वरिष्ठता, सत्यनिष्ठा और भ्रष्टाचार विरोधी मामलों की जांच में अनुभव’ के आधार पर सीबीआई निदेशक की नियुक्ति होनी चाहिए.

वर्तमान में 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी और सीबीआई के अतिरिक्त निदेशक प्रवीण सिन्हा सीबीआई निदेशक का प्रभार संभाल रहे हैं.

सिन्हा को यह प्रभार ऋषि कुमार शुक्ला के सेवानिवृत्त होने के बाद सौंपा गया था. वह दो साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद फरवरी में सेवानिवृत्त हुए थे.

शॉर्टलिस्ट किए गए अधिकारी

महाराष्ट्र में सुबोध कुमार जायसवाल ने कुख्यात तेलगी घोटाले की जांच की थी, जिसे बाद में सीबीआई ने अपने हाथ में ले लिया था. जायसवाल तब राज्य रिजर्व पुलिस बल का नेतृत्व कर रहे थे. उसके बाद वह महाराष्ट्र आतंकवाद विरोधी दस्ते में शामिल हो गए और लगभग एक दशक तक रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) में काम किया.

देवेंद्र फडणवीस सरकार के कार्यकाल में वे राज्य वापस लौट आए और जून 2018 में उन्हें मुंबई आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया. बाद में उन्हें महाराष्ट्र पुलिस का प्रमुख बनाया गया.

इनकी देखरेख में ही एल्गार परिषद और भीमा कोरेगांव हिंसा मामले की जांच हुई थी, जिसके बाद उन्हें सीबीआई में ट्रांसफर कर दिया गया था.

वहीं एक अन्य शॉर्टलिस्टेड आईपीएस अधिकारी कुमार राजेश चंद्रा ने सशस्त्र सीमा बल का महानिदेशक बनने से पहले नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) और विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी), जो कि प्रधानमंत्री को सुरक्षा प्रदान करता है, में विभिन्न पदों पर कार्य किया था.

इसी तरह वीएसके कौमुदी गृह मंत्रालय में विशेष सचिव बनने से पहले पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो (बीपीआरडी) के प्रमुख थे. इन्हीं के कार्यकाल में बीपीआरडी ने फेक न्यूज पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की थी और पिछले साल मई में इसे देश के पुलिस विभागों के साथ साझा किया था.

इसके अलावा कौमुदी में अपने गृह राज्य आंध्र प्रदेश में भी काफी काम किया है.

अविभाजित आंध्र प्रदेश में आदिलाबाद और गुंटूर जिलों के एसपी के रूप में काम करने के अलावा उन्हें हैदराबाद शहर के संयुक्त पुलिस आयुक्त और विशाखापत्तनम के पुलिस आयुक्त के रूप में भी तैनात किया गया था.

उन्होंने इंटेलिजेंस सिक्योरिटी विंग, सीआईडी के आर्थिक अपराध विंग, प्रशिक्षण, प्रोविजनिंग एंड लॉजिस्टिक और आंध्र प्रदेश पुलिस के कल्याण विंग में भी काम किया है.

केंद्र में अपने पहले कार्यकाल में उन्होंने दिल्ली और पटना में सीबीआई के एसपी के रूप में काम किया. वरिष्ठ स्तरों पर उन्होंने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और बीपीआरडी में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक के रूप में काम किया और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जम्मू-कश्मीर क्षेत्र का नेतृत्व किया.

बीपीआरडी के महानिदेशक के रूप में उन्होंने अनुसंधान और राष्ट्रीय पुलिस मिशन परियोजनाओं में तेजी ले आने के लिए जाना जाता है. उन्हें 19 अगस्त 2020 से गृह मंत्रालय के विशेष सचिव (आंतरिक सुरक्षा) के रूप में तैनात किया गया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)