भारत सरकार के कुछ कदम लोकतांत्रिक मूल्यों के परस्पर विरोधी: शीर्ष अमेरिकी अधिकारी

दक्षिण और मध्य एशिया के लिए अमेरिका के कार्यवाहक सहायक विदेश मंत्री डीन थॉम्पसन ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बढ़ते प्रतिबंध और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों की नज़रबंदी पर चिंता जताई है.

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(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

दक्षिण और मध्य एशिया के लिए अमेरिका के कार्यवाहक सहायक विदेश मंत्री डीन थॉम्पसन ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बढ़ते प्रतिबंध और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों की नज़रबंदी पर चिंता जताई है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)
(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

वाशिंगटन: अमेरिका के एक शीर्ष अधिकारी ने सांसदों से कहा कि भारत मजबूत कानून-व्यवस्था के साथ दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बना हुआ है लेकिन अभिव्यक्ति की आजादी पर पाबंदियों समेत भारत सरकार के कुछ कदमों से चिंताएं पैदा हो गई हैं, जो उसके लोकतांत्रिक मूल्यों के परस्पर विरोधी हैं.

दक्षिण और मध्य एशिया के लिए कार्यवाहक सहायक विदेश मंत्री डीन थॉम्पसन ने एशिया, मध्य एशिया पर सदन की विदेश मामलों की उप समिति की बुधवार को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में लोकतंत्र पर सुनवाई के दौरान ये टिप्पणियां की.

थॉम्पसन ने कहा, ‘भारत मजबूत कानून व्यवस्था और स्वतंत्र न्यायपालिका के साथ दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है तथा उसकी अमेरिका के साथ मजबूत और बढ़ती रणनीतिक साझेदारी है. हालांकि भारत सरकार के कुछ कदमों ने चिंताएं पैदा की हैं जो उसके लोकतांत्रिक मूल्यों के परस्पर विरोधी हैं.’

उन्होंने कहा, ‘इसमें अभिव्यक्ति की आजादी पर बढ़ती पाबंदियां और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं तथा पत्रकारों को हिरासत में लेना शामिल है.’ उन्होंने कहा कि अमेरिका नियमित तौर पर इन मुद्दों पर बातचीत करता रहता है.

बहरहाल भारत ने विदेशी सरकारों और मानवाधिकार समूहों की उन आलोचनाओं को खारिज कर दिया था कि देश में नागरिक स्वतंत्रता का क्षरण हुआ है. भारत ने कहा कि उसकी भलीभांति स्थापित लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं हैं और सभी के अधिकारों की सुरक्षा के लिए मजबूत संस्थान हैं.

भारत सरकार ने इस बात पर जोर दिया है कि हमारा संविधान मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए अनेक विधानों के तहत पर्याप्त संरक्षण प्रदान करता है.

सांसदों के एक सवाल के जवाब में थॉम्पसन ने कहा कि पाकिस्तान और बांग्लादेश में पत्रकारों पर कुछ पाबंदियों को लेकर अमेरिका चिंतित है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, उन्होंने कहा, ‘इसी तरह कई बार भारत में ऐसा हुआ है. हालांकि, मुझे लगता है कि हम कह सकते हैं, भारत में कुल मिलाकर एक बहुत ही जीवंत प्रेस है जो अपनी सरकार पर बहुत स्वतंत्र रूप से रिपोर्ट करता है.’

पेन्सिलवेनिया का प्रतिनिधित्व करने वाली कांग्रेस सदस्य क्रिस्सी होलाहन ने कांग्रेस की सुनवाई के दौरान कश्मीर का मुद्दा उठाया.

उन्होंने कहा, ‘हालांकि निश्चित रूप से हम दो महान लोकतंत्र हैं. हमारे और भारत के लोकतंत्र खामियों और समस्याओं के बिना नहीं हैं. मेरे समुदाय में काफी बड़ी संख्या में कश्मीरी हैं और निश्चित रूप से कश्मीर के लोगों के साथ व्यवहार को लेकर चिंता है.’

उन्होंने कहा, ‘इन मानवाधिकारों के मुद्दों पर व्यापक रूप से प्रशासन और भारत सरकार के बीच क्या बातचीत चल रही है, यदि आप यहां थोड़ा सा साझा कर सकते हैं?’

थॉम्पसन ने कहा कि बाइडन प्रशासन नियमित रूप से भारत के साथ अधिकारों और लोकतांत्रिक मुद्दों की एक विस्तृत श्रृंखला से संबंधित मुद्दों को उठाता है.

इस पर थॉम्पसन ने कहा, ‘कश्मीर ऐसा क्षेत्र है जहां हमने उनसे जल्द से जल्द सामान्य स्थिति बहाल करने का अनुरोध किया और हमने कुछ कदम उठाते हुए भी देखा है जैसे कि कैदियों को रिहा करना, 4जी नेटवर्क बहाल करना. हम चाहते हैं कि वे कुछ चुनावी कदम भी उठाएं और हमने ऐसा करने के लिए उन्हें प्रेरित किया है और ऐसा करते रहेंगे.’

कांग्रेसी स्टीव चाबोट ने कहा कि कई माध्यमों से अमेरिका और भारत दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के रूप में हिंद-प्रशांत और उसके बाहर लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देने में शामिल होने के लिए विशिष्ट रूप से तैयार हैं.

उन्होंने पूछा, ‘और मैं यह मान रहा हूं कि यह प्रशासन इससे सहमत होगा. यदि हां, तो यह प्रशासन दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के रूप में अमेरिका और भारत के बीच अद्वितीय संबंधों का लाभ उठाने के लिए क्या पहल करने का इरादा रखता है?’

इस पर थॉम्पसन ने कहा, ‘हम अभी भारत के साथ अपनी वैश्विक व्यापक रणनीतिक साझेदारी के माध्यम से उन क्षेत्रों को देख रहे हैं जहां हम पूरे क्षेत्र को मजबूत करने के लिए एक साथ काम कर सकते हैं ताकि देशों की क्षमता के प्रभाव को घातक प्रभाव और क्वाड पहल के माध्यम से पीछे धकेला जा सके, जहां हम जापान और ऑस्ट्रेलिया को भी साथ लाए हैं.’

2007 में शुरू किया गया चतुर्भुज सुरक्षा संवाद या क्वाड अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान का एक अनौपचारिक समूह है. क्वाड सदस्य देशों ने इस क्षेत्र में बढ़ती चीनी मुखरता के बीच हिंद-प्रशांत में एक नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने का संकल्प लिया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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