जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधान हटाए जाने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटे जाने के बाद पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक में अधिकतर दलों ने राज्य का पूर्ण दर्जा बहाल करने की मांग उठाई. बैठक के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि परिसीमन की प्रक्रिया और शांतिपूर्ण चुनाव जम्मू कश्मीर में पूर्ण राज्य की बहाली के प्रमुख मील के पत्थर हैं.
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ सर्वदलीय बैठक में शामिल अधिकांश राजनीतिक दलों ने जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने और जल्द से जल्द विधानसभा का चुनाव संपन्न कराने की मांग उठाई.
बैठक के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘आज की बैठक एक विकसित, प्रगतिशील जम्मू कश्मीर की दिशा में चल रहे प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कदम है जहां सर्वांगीण विकास को आगे बढ़ाया गया है. सरकार की प्राथमिकता जम्मू कश्मीर में जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करना है; परिसीमन तेज गति से होना चाहिए ताकि चुनाव कराए जा सकें. मैंने जम्मू कश्मीर के नेताओं से कहा कि लोगों, विशेषकर युवाओं को राजनीतिक नेतृत्व प्रदान करना है और यह सुनिश्चित करना है कि उनकी आकांक्षाएं पूरी हों.’
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि परिसीमन की प्रक्रिया और शांतिपूर्ण चुनाव जम्मू कश्मीर में पूर्ण राज्य की बहाली के प्रमुख मील के पत्थर हैं.
उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘जम्मू कश्मीर पर आज की बैठक बहुत ही सौहार्दपूर्ण वातावरण में हुई. सभी ने संविधान और लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्धता जाहिर की. जम्मू कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करने पर जोर दिया गया. हम जम्मू कश्मीर के सर्वांगीण विकास को लेकर कटिबद्ध हैं.’
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘जम्मू कश्मीर के भविष्य को लेकर चर्चा हुई और परिसीमन की प्रक्रिया तथा शांतिपूर्ण चुनाव राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए अहम मील के पत्थर हैं, जैसा कि संसद में वादा किया गया था.’
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के मुताबिक, कांग्रेस की ओर से यह मांग भी उठाई गई कि जमीन एवं रोजगार के मामलों में राज्य के डोमेसाइल की गारंटी दी जाए तथा राजनीतिक बंदियों को रिहा किया जाए.
इस सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस की ओर से आजाद, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर और पूर्व उप मुख्यमंत्री तारा चंद शामिल हुए.
प्रधानमंत्री के आवास पर हुई बैठक के बाद जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री आजाद ने संवाददाताओं से कहा, ‘इस बैठक में हमने पांच मुद्दे उठाए हैं. पहला यह कि जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किया जाए. दूसरा, वहां चुनाव कराये जाएं.’
उन्होंने कहा, ‘जम्मू कश्मीर में बहुत लंबे समय से राज्य के डोमेसाइल के नियम रहे हैं. हमारा यह कहना है कि केंद्र सरकार को गारंटी देनी चाहिए कि जमीन एवं रोजगार को लेकर डोमेसाइल होगा.’
आजाद ने कहा, ‘कश्मीरी पंडित पिछले तीन दशक से बाहर हैं. यह जम्मू कश्मीर के हर नेता का मौलिक कर्तव्य है कि कश्मीर के पंडितों की वापसी हो. हमसे जो हो सकेगा हम उसमें मदद करेंगे.’
उन्होंने बताया, ‘पांच अगस्त, 2019 के फैसले के बाद जिन राजनीतिक लोगों को बंदी बनाया गया था, उनको सबको रिहा कर दिया जाना चाहिए. यह मांग भी हमने की है.’
कांग्रेस नेता के मुताबिक, ‘गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हम पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए वचनबद्ध हैं, लेकिन पहले परिसीमन होने दीजिए. परिसीमन के बाद चुनाव भी होंगे और पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाएगा.’
We kept 5 demands in the meeting- grant statehood soon, conduct Assembly elections to restore democracy, rehabilitation of Kashmiri Pandits in J&K, all political detainees should be released and on domicile rules: Congress leader Ghulam Nabi Azad on PM Modi-J&K leaders meet pic.twitter.com/bgw2DuWe2G
— ANI (@ANI) June 24, 2021
एक सवाल के जवाब में आजाद ने कहा, ‘हम संतुष्ट उस दिन हो जाएंगे जब चुनाव हो जाएंगे और पूर्ण राज्य का दर्जा मिल जाएगा.’
उन्होंने कहा, ‘अगर चुनाव कराना है, लोकतंत्र बहाल करना है तो यह जल्द होना चाहिए. हम चाहते हैं कि लोकतंत्र बहाल होना चाहिए…हम नौकरशाही के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन हमने कहा कि नौकरशाही नेताओं का स्थान नहीं ले सकती. जिस तरह नेता लोगों से मिलता है, उस तरह से अधिकारी नहीं मिल सकते.’
बैठक के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर को प्राप्त विशेष दर्जे को समाप्त किए जाने को वह कानूनी एवं संवैधानिक माध्यम से चुनौती देते रहेंगे.
लोकसभा सदस्य अब्दुल्ला ने कहा, ‘विश्वास खत्म हो गया है और उसे तुरंत बहाल करने की जरूरत है और उसके लिए केंद्र को जम्मू कश्मीर के पूर्ण राज्य के दर्जे की बहाली की दिशा में काम करना चाहिए.’
करीब तीन घंटे चली बैठक के बाद उन्होंने कहा, ‘मैंने प्रधानमंत्री से कहा कि राज्य के दर्जे का मतलब है कि जम्मू कश्मीर के आईएएस और आईपीएस कैडर को भी वापस करना. पूर्ण राज्य होना चाहिए.’
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता ने कहा कि केंद्र के लिए यह महत्वपूर्ण है कि जम्मू कश्मीर की पहचान जल्द बहाल करे ताकि अन्य लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को आगे बढ़ाया जा सके.
वहीं, उनके बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘हमने प्रधानमंत्री से कहा कि पांच अगस्त 2019 को जो हुआ साथ नहीं है. हम उसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं, लेकिन हम कानून अपने हाथ में नहीं लेंगे. हम अदालत में लड़ेंगे. हमने प्रधानमंत्री से यह भी कहा कि राज्य और केंद्र के बीच भरोसा टूट गया है, इसे बहाल करना केंद्र की ज़िम्मेदारी है.’
We requested PM that our fight will continue but it's essential to reverse some decisions that aren't at all in the interest of J&K. It was given the status of a UT, people don't like it. They want full statehood for J&K with J&K cadre restored: Omar Abdullah, National Conference pic.twitter.com/KCbwRgqqc1
— ANI (@ANI) June 24, 2021
पीडीपी प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने अनुच्छेद 370 को हटाए जाने को असंवैधानिक कहा. बैठक के बाद उन्होंने मीडिया से कहा, ‘पांच अगस्त 2019 के बाद से कश्मीर के लोग बेहद मुश्किल में हैं. वे नाराज़ हैं, दुखी हैं, भावनात्मक रूप से टूट गए हैं. उन्हें लगता है उनका मजाक बनाया गया है. मैंने प्रधानमंत्री से कहा कि जम्मू कश्मीर के लोग अनुच्छेद 370 को असंवैधानिक, अवैध अनैतिक तरीके से हटाए जाने को स्वीकार करते हैं.’
People of J&K will struggle constitutionally, democratically, peacefully. Be it months or yrs, we'll restore Article 370 in J&K as it's a matter of our identity. We didn't get it from Pakistan, it was given to us by our country, by JL Nehru, Sardar Patel: Mehbooba Mufti, PDP
— ANI (@ANI) June 24, 2021
उन्होंने आगे कहा, ‘जम्मू कश्मीर के लोग संवैधानिक, लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीके से संघर्ष करेंगे. महीने लगें या साल, हम जम्मू कश्मीर में धारा 370 को बहाल करेंगे क्योंकि यह हमारी पहचान का मामला है. हमें यह पाकिस्तान से नहीं मिला, इसे हमें हमारे देश ने हमें दिया, नेहरू, सरदार पटेल ने दिया.’
मुफ़्ती ने जोड़ा, ‘मैंने उन्हें बधाई दी कि उन्होंने पाकिस्तान से बात की और इससे युद्धविराम हुआ, घुसपैठ कम हुई. जम्मू कश्मीर की शांति के लिए अगर उन्हें पाकिस्तान से दोबारा बात करनी पड़े, तो उन्हें करनी चाहिए. उन्हें पाकिस्तान से व्यापार के बारे में भी बात करनी चाहिए जो रुक गया है. यह कई लोगों के लिए रोजगार का स्रोत है.’
बैठक संपन्न होने के बाद पूर्व उपमुख्यमंत्री व भाजपा नेता कविंद्र गुप्ता ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री ने सभी राजनीतिक दलों को विश्वास दिलाया कि परिसीमन की प्रक्रिया समाप्त होते ही पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने और विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया आरंभ की जाएगी.
पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री मुजफ्फर हुसैन बेग ने भी कहा कि केंद्र की ओर से बैठक में आश्वासन दिया गया कि परिसीमन की प्रक्रिया खत्म होते ही चुनाव की प्रक्रिया आरंभ की जाएगी.
उन्होंने कहा, ‘अधिकांश राजनीतिक दलों ने बैठक में पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने और विधानसभा चुनाव कराने की मांग उठाई.’
इससे पहले, पिछले लगभग दो सालों में पहली बार जम्मू कश्मीर के राजनीतिक नेतृत्व के साथ वार्ता का हाथ बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस केंद्रशासित प्रदेश के भविष्य की रणनीति का खाका तैयार करने के लिए वहां के 14 नेताओं के साथ एक अहम बैठक की.
जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधान हटाए जाने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित किए जाने के बाद यह पहली ऐसी बैठक है जिसकी अध्यक्षता खुद प्रधानमंत्री मोदी ने की.
राजधानी के 7, लोक कल्याण मार्ग स्थित प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास पर लगभग साढ़े तीन घंटे चली इस बैठक में पूर्ववर्ती राज्य जम्मू कश्मीर के चार पूर्व मुख्यमंत्री और चार पूर्व उपमुख्यमंत्री शामिल हुए.
इन नेताओं में नेशनल कॉन्फ्रेंस के संरक्षक फारूक अब्दुल्ला, उनके पुत्र व पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद, कांग्रेस नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री तारा चंद, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर प्रमुख हैं.
इनके अलावा बैठक में पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री मुजफ्फर हुसैन बेग, पैंथर्स पार्टी के भीम सिंह, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के मोहम्मद यूसुफ तारिगामी, जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी के अल्ताफ बुखारी और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के सज्जाद लोन मौजूद थे.
भाजपा की ओर से बैठक में शामिल होने के लिए जम्मू एवं कश्मीर इकाई के अध्यक्ष रवींद्र रैना, पूर्व उपमुख्यमंत्री कविंद्र गुप्ता और निर्मल सिंह भी प्रधानमंत्री आवास पहुंचे.
बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, जम्मू एवं कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह, प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव पी के मिश्रा, गृह सचिव अजय भल्ला और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल मौजूद थे.
यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब एक दिन पहले ही परिसीमन आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने जम्मू कश्मीर के सभी उपायुक्तों के साथ मौजूदा विधानसभा क्षेत्रों के पुनर्गठन और सात नयी सीटें बनाने पर विचार-विमर्श किया था.
अधिकारियों ने बताया कि केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर में इस दिसंबर से अगले साल मार्च के बीच चुनाव कराने को तत्पर है. कोशिश है कि इससे पहले परिसीमन के काम को पूरा कर लिया जाए.
परिसीमन की कवायद के बाद जम्मू एवं कश्मीर में विधानसभा सीटों की संख्या 83 से बढ़कर 90 हो जाएगी.
ज्ञात हो कि पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को निरस्त कर राज्य को जम्मू एवं कश्मीर तथा लद्दाख के रूप में दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था.
इसके बाद फारूख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती सहित कई नेताओं को नजरबंद कर दिया गया था.
जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक संसद में पारित किए जाने के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने आश्वासन दिया था कि केंद्र उपयुक्त समय पर जम्मू कश्मीर के राज्य के दर्जे को बहाल करेगा.
सात महीने पहले ही इस केंद्रशासित प्रदेश में जिला विकास परिषद के चुनाव संपन्न हुए थे. इस चुनाव में गुपकर गठबंधन को 280 में से 110 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. गठबंधन के दलों में नेशनल कॉन्फ्रेंस को सबसे अधिक 67 सीटों पर विजय हासिल हुई थी जबकि 75 सीटों के साथ भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभरी थी.
जम्मू कश्मीर में 2018 से राष्ट्रपति शासन लागू है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)