अगवा किए शख़्स के साथ अच्छा बर्ताव करने पर अपहरणकर्ता को उम्रक़ैद नहीं दे सकतेः सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना हाईकोर्ट द्वारा अपहरण के मामले में एक ऑटो ड्राइवर को दोषी ठहराने का फ़ैसला रद्द करते हुए यह टिप्पणी की. ऑटो ड्राइवर ने एक नाबालिग छात्र का अपहरण कर उसके पिता से दो लाख रुपये की फिरौती मांगी थी.

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New Delhi: A view of Supreme Court of India in New Delhi, Thursday, Nov. 1, 2018. (PTI Photo/Ravi Choudhary) (PTI11_1_2018_000197B)
(फोटो: पीटीआई)

सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना हाईकोर्ट द्वारा अपहरण के मामले में एक ऑटो ड्राइवर को दोषी ठहराने का फ़ैसला रद्द करते हुए यह टिप्पणी की. ऑटो ड्राइवर ने एक नाबालिग छात्र का अपहरण कर उसके पिता से दो लाख रुपये की फिरौती मांगी थी.

New Delhi: A view of Supreme Court of India in New Delhi, Thursday, Nov. 1, 2018. (PTI Photo/Ravi Choudhary) (PTI11_1_2018_000197B)
(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अगर अपहरणकर्ता ने अगवा किए गए शख्स के साथ अच्छा बर्ताव किया है, उसे जान से मारने की धमकी नहीं दी है और उससे मारपीट नहीं है, तो उसे आईपीसी की धारा 364ए के तहत आजीवन कारावास की सजा नहीं सुनाई जा सकती.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी की पीठ ने तेलंगाना हाईकोर्ट द्वारा अपहरण के एक मामले में एक ऑटो ड्राइवर को दोषी ठहराने का फैसला रद्द करते हुए यह टिप्पणी की.

दरअसल ऑटो ड्राइवर ने एक नाबालिग का अपहरण किया था और उसके पिता से दो लाख रुपये की फिरौती मांगी थी.

अदालत ने कहा कि धारा 364ए (अपहरण एवं फिरौती) के तहत आरोपी को दोषी ठहराने के लिए अभियोजन पक्ष द्वारा तीन बातों को साबित करना जरूरी है. ये तीन जरूरी बातें- किसी व्यक्ति का अपहरण करना या उसे बंधक बनाकर रखना, अगवा किए गए शख्स को जान से मारने या चोट पहुंचाने की धमकी देना या अपहरणकर्ता द्वारा ऐसा कुछ करना जिससे ये आशंका प्रबल हो कि सरकार, किसी अन्य देश, किसी सरकारी संगठन पर दबाव बनाने या किसी अन्य व्यक्ति पर फिरौती के लिए दबाव डालने के लिए पीड़ित को नुकसान पहुंचाया या मारा जा सकता है, शामिल हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने धारा 364 ए के तहत आजीवन कारावास या मृत्युदंड की सजा का उल्लेख करते हुए कहा, ‘पहली स्थिति के अलावा दूसरी या तीसरी स्थिति भी सिद्ध करनी होगी अन्यथा इस धारा के तहत आरोपी को दोषी ठहराया जा सकता है.’

दरअसल तेलंगाना के एक स्थानीय निवासी शेख अहमद ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने यह फैसला सुनाया.

तेलंगाना हाईकोर्ट ने आईपीसी की धारा 364 के तहत दोषसिद्धि और आजीवन कारावास की सजा के खिलाफ उसकी याचिका खारिज कर दी थी.

शेख अहमद ने सेंट मेरी हाई स्कूल की कक्षा छठी के एक छात्र को उसे घर छोड़ने के बहाने अगवा कर लिया था. पुलिस ने नाबालिग को उस समय बचाया, जब उसके पिता अपहरणकर्ता को फिरौती देने गए थे.

2011 में इस घटना के समय बच्चे की उम्र 13 साल थी. बच्चे के पिता ने निचली अदालत को बताया था कि अहमद ने कभी बच्चे को मारने या उसे नुकसान पहुंचाने की धमकी नहीं दी.

शीर्ष अदालत ने आईपीसी की धारा 364 ए के तहत दोषी ठहराने के फैसले को रद्द कर दिया. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता को सात साल की कैद और पांच हजार रुपये के जुर्माने की सजा दी जानी चाहिए.

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