खटीमा से भाजपा विधायक पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड के 11वें मुख्यमंत्री होंगे. उनका शपथ ग्रहण समारोह रविवार को होगा. उत्तराखंड भाजपा ने पिछले चार महीने में राज्य के लिए तीसरा मुख्यमंत्री चुना है. इससे पहले बीते शुक्रवार को तीरथ सिंह रावत ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया था. बीते नौ मार्च को उत्तराखंड भाजपा में उपजे असंतोष के कारण त्रिवेंद्र सिंह रावत को भी मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था.
देहरादून: उधमसिंह नगर जिले के खटीमा से दो बार के भाजपा विधायक पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री होंगे. वे उत्तराखंड के 11वें मुख्यमंत्री होंगे. इस तरह से उत्तराखंड भाजपा ने पिछले चार महीने में राज्य के लिए तीसरा मुख्यमंत्री चुना है.
भारतीय जनता पार्टी के राज्य मुख्यालय में बतौर पर्यवेक्षक केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पार्टी मामलों के प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम और निवर्तमान मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की मौजूदगी में हुई पार्टी विधायक दल की बैठक में उनका नाम सर्वसम्मति से तय हुआ.
विधायक दल की बैठक के बाद तोमर ने बताया कि धामी के नाम का प्रस्ताव निवर्तमान मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और प्रदेश पार्टी अध्यक्ष मदन कौशिक ने रखा, जिसका अनुमोदन पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सहित कई विधायकों ने किया.
उन्होंने बताया कि बैठक में धामी के अलावा किसी और के नाम का प्रस्ताव नहीं रखा गया, जिसके बाद उन्हें विधायक दल का नेता चुन लिया गया.
देहरादून में नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, ‘विधायक दल की बैठक के दौरान पुष्कर धामी को उत्तराखंड भाजपा विधायक दल का नेता नियुक्त करने का निर्णय लिया गया. हम पार्टी के फैसले पर चर्चा करने के लिए राज्यपाल के पास गए. शपथ ग्रहण समारोह कल (रविवार) होगा.’
My party has always kept me under its wings, just like my mother. I consider myself fortunate enough that the party gave me this opportunity. I pledge to serve people even in remote areas of the state. We'll discuss the change in Cabinet later: Pushkar Singh Dhami#Uttarakhand pic.twitter.com/1FIN8wEgkx
— ANI (@ANI) July 3, 2021
पुष्कर सिंह धामी ने कहा, ‘मेरी पार्टी ने मुझे हमेशा अपनी मां की तरह अपने सीने से लगाए रखा है. मैं खुद को काफी भाग्यशाली मानता हूं कि पार्टी ने मुझे यह मौका दिया. मैं राज्य के दूरदराज के इलाकों में भी लोगों की सेवा करने का संकल्प लेता हूं. हम बाद में कैबिनेट में बदलाव पर चर्चा करेंगे.’
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार धामी ने कहा, ‘मेरी पार्टी ने एक सामान्य कार्यकता, एक पूर्व सैनिक के बेटे को राज्य की सेवा के लिए नियुक्त किया है, जो पिथौरागढ़ में पैदा हुआ था. हम लोगों के कल्याण के लिए मिलकर काम करेंगे. हम कम समय में दूसरों की मदद से लोगों की सेवा करने की चुनौती को स्वीकार करते हैं.’
छात्र राजनीति से जुड़े रहे 45 वर्षीय धामी महाराष्ट्र के राज्यपाल और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी के करीबी हैं और माना जाता है कि कोश्यारी उन्हें उंगली पकड़कर राजनीति में लाए थे.
धामी के नाम का ऐलान होते ही उनके समर्थकों ने जमकर उनके नाम के नारे लगाए और उन्हें फूल मालाओं से लाद दिया. समर्थकों के जयकारों के बीच धामी ने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित अपने पूरे केंद्रीय नेतृत्व का आभार व्यक्त करते हैं कि उन्होंने इस जिम्मेदारी के लिए उन पर भरोसा किया.
उन्होंने कहा कि वह पिथौरागढ़ के सीमांत क्षेत्र कनालीछीना में एक पूर्व सैनिक के घर में पैदा हुए, लेकिन खटीमा उनकी कर्मभूमि है.
वर्ष 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सभी के सहयोग से वह न केवल हर चुनौती को पार करेंगे बल्कि अपने पूर्ववर्तियों द्वारा किए गए कार्यों को आगे बढाएंगे.
उन्होंने कहा कि उनकी प्राथमिकता जनता की सेवा है, जिसके लिए वह पूरे मन से काम करेंगे.
इससे पहले उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शुक्रवार आधी रात के करीब राज्यपाल बेबी रानी मौर्य से मुलाकात कर अपना इस्तीफा उन्हें सौंप दिया था. अपनी तीन दिन की दिल्ली यात्रा से देहरादून लौटने के कुछ घंटों बाद ही तीरथ सिंह रावत ने यह कदम उठाया था.
तीरथ सिंह रावत, जो अभी भी पौड़ी से लोकसभा सांसद हैं, को केंद्रीय नेतृत्व द्वारा त्रिवेंद्र सिंह रावत के स्थान पर मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया था. उत्तराखंड भाजपा में उपजे असंतोष के कारण त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बीते नौ मार्च को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद 10 मार्च को तीरथ सिंह रावत ने राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और उनके पास 10 सितंबर तक विधायक चुने जाने का समय था.
दरअसल जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 151ए के मुताबिक, निर्वाचन आयोग संसद के दोनों सदनों और राज्यों के विधायी सदनों में खाली सीटों के रिक्त होने की तिथि से छह माह के भीतर उपचुनावों के द्वारा भरने के लिए अधिकृत है, बशर्ते किसी रिक्ति से जुड़े किसी सदस्य का शेष कार्यकाल एक वर्ष अथवा उससे अधिक हो.
यही कानूनी बाध्यता मुख्यमंत्री के विधानसभा पहुंचने में सबसे बड़ी अड़चन के रूप में सामने आई, क्योंकि विधानसभा चुनाव में एक साल से कम का समय बचा है. वैसे भी कोविड महामारी के कारण भी फिलहाल चुनाव की परिस्थितियां नहीं बन पाईं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)