पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हिंसा की जांच करने वाली राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की समिति ने अपनी रिपोर्ट में ममता बनर्जी सरकार पर टिप्पणी करते हुए हत्या एवं बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों की जांच सीबीआई से कराने और इन मामलों में मुक़दमा राज्य से बाहर चलाने की सिफ़ारिश की है. मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा अब हमारे राज्य की छवि ख़राब करने और राजनीतिक बदला लेने के लिए निष्पक्ष एजेंसियों का सहारा ले रही है. उसे अभी भी विधानसभा चुनाव में अपनी हार पच नहीं रही है.
कोलकाता/नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ‘अदालत का अपमान’ करने और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का ‘राजनीतिक बदला लेने’ के लिए राज्य में चुनाव के बाद कथित हिंसा संबंधी अपनी रिपोर्ट मीडिया में लीक करने को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की बृहस्पतिवार को निंदा की.
बनर्जी ने राज्य सरकार के विचार जाने बिना एनएचआरसी द्वारा मामले की जांच के लिए गठित समिति के निष्कर्ष पर पहुंचने को लेकर हैरानी जताई.
उन्होंने कोलकाता में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘भाजपा अब हमारे राज्य की छवि खराब करने और राजनीतिक बदला लेने के लिए निष्पक्ष एजेंसियों का सहारा ले रही है. एनएचआरसी को अदालत का सम्मान करना चाहिए था. मीडिया में रिपोर्ट के निष्कर्ष लीक करने के बजाय, उसे पहले इसे अदालत में दाखिल करना चाहिए था.’
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्यमंत्री बनर्जी ने कहा कि अदालत के पूछे जाने पर उनकी सरकार इसका जवाब देगी. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर राजनीतिक फायदे के लिए निष्पक्ष एजेंसियों का इस्तेमाल कर राज्य को बदनाम करने का आरोप लगाया.
बनर्जी ने कहा, ‘भाजपा अब राजनीतिक लाभ के लिए और हमारे राज्य की छवि खराब करने के लिए निष्पक्ष एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है. एनएचआरसी को अदालत का सम्मान करना चाहिए था.’
इससे पहले बुधवार को कोलकाता में प्रेस कॉन्फ्रेंस में बनर्जी ने कहा था, ‘इसे आप भाजपा के राजनीतिक प्रतिशोध के अलावा और क्या कहेंगे? उन्हें अभी भी विधानसभा चुनाव में अपनी हार पच नहीं रही है और यही वजह है कि पार्टी (भाजपा) इस तरह के हथकंडे अपना रही है.’
बता दें कि एनएचआरसी की समिति ने अपनी रिपोर्ट में राज्य सरकार पर चुनाव बाद हिंसा के पीड़ितों के प्रति भयानक उदासीनता दिखाने का आरोप लगाया है.
एनएचआरसी की समिति ने कलकत्ता हाईकोर्ट के समक्ष पेश की अपनी रिपोर्ट में राज्य में चुनाव बाद हत्या और बलात्कार जैसे गंभीर अपराधों की सीबीआई जांच कराने की सिफारिश की है.
उच्च न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की पीठ के निर्देश पर एनएचआरसी अध्यक्ष द्वारा गठित समिति ने यह भी कहा कि इन मामलों में मुकदमे राज्य से बाहर चलने चाहिए.
कलकत्ता हाईकोर्ट को सौंपी गई 50 पन्नों की रिपोर्ट में कहा गया है कि बंगाल में कानून का शासन नहीं, बल्कि शासक का कानून चल रहा है. बंगाल में हिंसक घटनाएं पीड़ितों की दशा के प्रति राज्य सरकार की उदासनीता को दर्शाती है.
मालूम हो कि समिति ने 13 जून को राज्य में चुनाव बाद हुई हिंसा में मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन के मामलों पर अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंपी है.
ममता बनर्जी ने उत्तर प्रदेश में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति पर निशाना साधते हुए कहा, ‘प्रधानमंत्री मोदी बहुत अच्छी तरह से जानते हैं कि उत्तर प्रदेश में कानून नाम की कोई चीज नहीं है. वहां कितने मानवाधिकार आयोगों को भेजा गया?. हाथरस से लेकर उन्नाव तक कितनी घटनाएं हुईं.’
उन्होंने कहा कि केंद्रीय एजेंसी बंगाल को बदनाम कर रही है. राज्य में चुनाव बाद हिंसा उस समय हुई, जब राज्य में कानून एवं व्यवस्था की बागडोर चुनाव आयोग के हाथ में थी.
एनएचआरसी ने बलात्कार, हत्याओं के मामलों की सीबीआई जांच कराने की सिफारिश की
पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हिंसा की जांच करने वाली राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की समिति ने कलकत्ता उच्च न्यायालय को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में ममता बनर्जी सरकार पर बेहद तल्ख टिप्पणी करते हुए ‘हत्या एवं बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों’ की जांच सीबीआई से कराए जाने और इन मामलों में मुकदमा राज्य से बाहर चलाए जाने की सिफारिश की है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंसक घटनाओं का विश्लेषण पीड़ितों की पीड़ा के प्रति राज्य सरकार की भयावह निष्ठुरता को दर्शाता है.
अदालत को 13 जुलाई को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है, ‘समिति ने सिफारिश की है कि हत्या, बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों को जांच के लिए सीबीआई को सौंपा जाना चाहिए और इन मामलों में मुकदमा राज्य से बाहर चलना चाहिए.’
उच्च न्यायालय में दायर कई जनहित याचिकाओं में कहा गया है कि बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा में लोगों पर हमले किए गए, जिसकी वजह से उन्हें अपने घर छोड़ने पड़े और उनकी संपत्ति को नष्ट कर दिया गया.
एनएचआरसी समिति ने अपनी बेहद तल्ख टिप्पणी में कहा, ‘सत्तारूढ़ पार्टी के समर्थकों द्वारा यह हिंसा मुख्य विपक्षी दल के समर्थकों को सबक सिखाने के लिए की गई.’
रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया था कि संलग्नकों के साथ ‘सॉफ्ट’ प्रतियां याचिकाकर्ताओं-याचिकाकर्ताओं के वकील, निर्वाचन आयोग और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल को सौंपी जाएं.
एनएचआरसी की समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इन मामलों पर सुनवाई राज्य से बाहर फास्ट ट्रैक कोर्ट में होनी चाहिए. अदालत की निगरानी में विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया जाना चाहिए.
रिपोर्ट में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के एक चुनावी एजेंट और तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं सहित 123 नेताओं को आरोपी और संदिग्ध बताया गया है और उन्हें कुख्यात अपराधी या गुंडे बताया गया है.
एनएचआरसी का कहना है कि राज्य में बड़े स्तर पर हुई हिंसा के विपरीत बहुत कम गिरफ्तारियां हुई हैं.
इस रिपोर्ट में टीएमसी के जिन दो नेताओं के नाम शामिल हैं, उनमें राज्य में मंत्री ज्योतिप्रिया मलिक और विधायक सौकत मुल्लाह हैं. इन नेताओं का कहना है कि वे एनएचआरसी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे.
रिपोर्ट में कहा गया कि हिंसा की इन घटनों में कुछ ही आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें से अधिकतर जमानत पर बाहर हैं.
रिपोर्ट में कहा गया कि एफआईआर में 9,304 आरोपी नामजद हैं, लेकिन सिर्फ 14 फीसदी को ही गिरफ्तार किया गया और इन 14 फीसदी में से 80 फीसदी को पहले ही जमानत मिल चुकी है.
राजीव जैन की अध्यक्षता में एनएचआरसी की सात सदस्यीय समिति में पश्चिम बंगाल राज्य मानवाधिकार आयोग के अधिकारियों सहित राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष आतिफ रशीद और राष्ट्रीय महिला आयोग के सदस्य राजुलबेन एल देसाई शामिल हैं.
सात सदस्यीय समिति के तहत कई टीमों ने रिपोर्ट तैयार करने से पहले 20 दिन के भीतर राज्य में 311 स्थलों का दौरा किया. समिति को विभिन्न स्रोतों से 15,000 से अधिक पीड़ितों के बारे में 1,979 शिकायतें मिलीं.
एनएचआरसी का रिपोर्ट लीक करने से इनकार
इधर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने अपनी समिति द्वारा पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हिंसा पर तैयार की गई रिपोर्ट को लीक करने के आरोपों को बृहस्पतिवार को खारिज करते हुए इन्हें ‘निराधार और तथ्यात्मक रूप से गलत’ करार दिया.
इसने एक बयान में कहा, ‘एनएचआरसी पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हिंसा पर तैयार की गई रिपोर्ट को लीक किए जाने संबंधी मीडिया में एक तबके के आरोपों को खारिज करता है.’
एनएचआरसी ने कहा, ‘क्योंकि अदालत के निर्देशों के अनुसार रिपोर्ट पहले से ही सभी संबंधित पक्षों के पास है, इसलिए एनएचआरसी के स्तर पर रिपोर्ट लीक करने का कोई सवाल ही नहीं उठता.’
बयान में कहा गया कि रिपोर्ट लीक किए जाने से संबंधित आरोप ‘निराधार और तथ्यात्मक रूप से गलत हैं.’
इसमें कहा गया, ‘एनएचआरसी माननीय कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार रिपोर्ट की प्रति संबंधित पक्षों के वकीलों के साथ पहले ही साझा कर चुका है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)