सीजेआई गोगोई पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने के बाद हैकिंग के निशाने पर थीं पीड़िता

पेगासस प्रोजेक्ट: द वायर द्वारा एक्सेस किए गए लीक डेटा से पता चलता है कि सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी और उनके परिवार द्वारा इस्तेमाल किए गए 11 नंबरों को एक अज्ञात आधिकारिक एजेंसी द्वारा पेगासस स्पायवेयर द्वारा हैकिंग के टारगेट के बतौर चुना गया था.

//
पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई (फोटो: पीटीआई)

पेगासस प्रोजेक्ट: द वायर द्वारा एक्सेस किए गए लीक डेटा से पता चलता है कि सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी और उनके परिवार द्वारा इस्तेमाल किए गए 11 नंबरों को एक अज्ञात आधिकारिक एजेंसी द्वारा पेगासस स्पायवेयर द्वारा हैकिंग के टारगेट के बतौर चुना गया था.

पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: अप्रैल 2019 में भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली सुप्रीम कोर्ट की कर्मचारी से संबंधित तीन फोन नंबर इज़राइल स्थित एनएसओ समूह की ग्राहक- एक अज्ञात भारतीय एजेंसी द्वारा निगरानी के उद्देश्य से संभावित हैक के लिए लक्ष्य के रूप में चुने गए थे. द वायर इस तथ्य की पुष्टि कर सकता है.

एनएसओ समूह को पेगासस स्पायवेयर के लिए जाना जाता है, जिसका दावा है कि वह इसे केवल ‘प्रमाणित सरकारों’ को बेचता है. हालांकि उसने यह नहीं बताया है कि अपने इस विवादित उत्पाद को उसने किस सरकार को बेचा है.

अपनी पहचान जाहिर करने की अनिच्छुक सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी ने आरोप लगाया था कि साल 2018 में सीजेआई गोगोई द्वारा उनका यौन उत्पीड़न किया गया था. इस घटना के कुछ हफ़्तों बाद ही उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया. अप्रैल 2019 में उन्होंने एक हलफनामे में अपना बयान दर्ज कर सर्वोच्च अदालत के 22 जजों को भेजा था.

फ्रांस की मीडिया नॉन-प्रॉफिट फॉरबिडेन स्टोरीज़ द्वारा लीक हुए फोन नंबरों की सूची का विश्लेषण बताता है कि इसके कुछ ही दिनों बाद उन्हें संभावित हैकिंग के निशाने के तौर पर चुना गया था.

इन लीक रिकॉर्ड्स के अनुसार, जिस हफ्ते उनके सीजेआई पर लगाए गए आरोपों की खबर आई थी, उसी सप्ताह उनके पति और दो देवरों से जुड़े आठ नंबरों को भी टारगेट के तौर पर चुना गया. लीक रिकॉर्ड्स की मानें तो सूची में शामिल 11 फोन नंबर महिला और उनके परिवार से संबंधित थे.

एमनेस्टी इंटरनेशनल की तकनीकी लैब के साथ फॉरबिडेन स्टोरीज द्वारा समन्वित 16 अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों की टीम द्वारा की गई विशेष पड़ताल में पाया गया कि भारत के जिन नंबरों को संभावित हैकिंग का निशाना बनाया गया, उनमें यह सबसे बड़ा समूह है.

महिला का इस सूची में होना और उन्हें चुने जाने का समय यह संकेत देते हैं कि वे उस अज्ञात भारतीय एजेंसी की दिलचस्पी के दायरे में इसलिए आईं, क्योंकि उन्होंने तत्कालीन सीजेआई पर सार्वजनिक तौर पर गंभीर आरोप लगाए थे.

उनका चुना जाना उस बिंदु को भी विस्तार देता है, जिसकी पैरवी निजता के अधिकार के लिए काम करने वाले कार्यकर्ता लंबे समय से करते आए हैं- वह यह कि सर्विलांस के अनधिकृत और अवैध साधनों का उपयोग उन स्थितियों में लगातार हो रहा है, जहां दूर-दूर तक किसी तरह की ‘इमरजेंसी’ या ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ से जुड़ा कोई बहाना भी नहीं है.

पेगासस प्रोजेक्ट के सदस्यों द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को भेजे गए विस्तृत सवालों के जवाब में भारत सरकार के पेगासस से संबंधों के आरोपों को ‘दुर्भावनापूर्ण दावा’ बताया गया है और कहा गया कि ‘कुछ विशिष्ट लोगों पर सरकारी निगरानी के आरोपों का कोई ठोस आधार नहीं है.’

हालांकि द वायर  महिला से जुड़े किसी भी फोन का फॉरेंसिक परीक्षण नहीं करवा सका, लेकिन उनसे जुड़े 11 नंबरों का संभावित हैकिंग की सूची में होना प्राइवेसी, लैंगिक न्याय और न्यायिक प्रक्रिया की ईमानदारी पर सवाल खड़े करता है.

शीर्ष अदालत के जजों को उनकी शिकायत भेजने के बाद वे तीन वरिष्ठ जजों की एक समिति के सामने पेश हुई थीं, जो एक गोपनीय प्रक्रिया थी. अगर उनके फोन सफल तौर पर हैक हो गए थे, तो इसका अर्थ यह है कि वह अज्ञात एजेंसी उनके वकीलों के साथ होने वाली उनकी बातें भी सुन सकती थी.

महिला के पति और देवर, जो उनके कथित यौन उत्पीड़न की घटना के समय दिल्ली पुलिस में काम करते थे और उन्हें महिला को नौकरी से निकाले जाने के बाद जनवरी 2019 में सस्पेंड कर दिया गया था, जिसे महिला ने उनके खिलाफ बदले की कार्रवाई बताया था. उनके अनुसार, इस प्रतिशोध में उन्हें एक मनगढ़ंत मामले में फंसाकर गिरफ्तार करना भी शामिल था, जिसमें उन्हें आखिकार ‘सबूतों के अभाव’ में छोड़ दिया गया.

सीजेआई ने अपने खिलाफ लगे सभी आरोपों का खंडन किया था. शीर्ष अदालत द्वारा की गई इन-हाउस जांच- जिसके काम करने के तरीके की तीखी आलोचना हुई थी- में आखिरकार गोगोई को तीन न्यायाधीशों के पैनल द्वारा बरी कर दिया गया, जिसका कहना था कि महिला के आरोपों में कोई ‘तत्व’ नहीं था.

वह पूरी प्रक्रिया अब इस संभावना से निष्प्रभावी मालूम देती है कि शायद वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर उनके और उनके परिवार के टेलीफोन पर नजर रखी जा सकती है.

द वायर  की पड़ताल के अनुसार, अदालत की पूर्व कर्मचारी जिन तीन फोन नंबरों का उपयोग कर रही थीं, उनमें से दो पहली बार उनकी शिकायत दर्ज होने के कुछ दिनों बाद चुने गए थे, जबकि तीसरा नंबर लगभग एक सप्ताह बाद चुना गया. उनके पति के पांच फोन नंबरों में से चार पहले हलफनामे के सार्वजनिक होने के कुछ दिनों बाद चुने गए थे, जबकि आखिरी नंबर कुछ दिनों बाद चुना गया था. इसी तरह, उसके पति के दो भाइयों के फोन नंबर भी इसी अवधि के आसपास चुने गए थे.

टेलीकॉम सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि सभी 11 फोन नंबरों पर नजर रखने का प्रयास, जो पेगासस जैसे स्पायवेयर के साथ एक संभावित हैक को अंजाम देने की दिशा में एक जरूरी और पहला कदम था- महिला के आरोपों के सार्वजनिक होने के बाद पहली बार निशाना बनाए जाने के बाद कई महीनों तक जारी रहा.

फॉरेंसिक विश्लेषण किए बिना यह जानना संभव नहीं है कि महिला, उनके पति या देवरों के फोन के साथ वास्तव में पेगासस छेड़छाड़ सफल हुई या नहीं. द वायर  ने महिला और उनके परिवार से संपर्क किया था, लेकिन उन्होंने इस रिपोर्ट का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया.

क्या था मामला

अपने हलफनामे में शिकायतकर्ता ने दावा किया था कि जस्टिस गोगोई ने कथित तौर पर कुछ एहसानों के बदले उनके साथ शारीरिक तौर पर अंतरंग होने का प्रयास किया था. महिला का यह भी दावा था कि इससे इनकार करने के कुछ ही हफ्तों में उन्हें तीन बार स्थानांतरित किया गया, कड़ी अनुशासनात्मक कार्यवाही का सामना करना पड़ा और आखिरकार उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया.

उनके एक देवर, जिन्हें सीजेआई के विवेकाधीन कोटे से कोर्ट में नियुक्त किया गया था, को भी बिना किसी स्पष्टीकरण के काम से हटा दिया गया.

हालांकि उनका ट्रॉमा यहीं ख़त्म नहीं हुआ. अपने हलफनामे में महिला ने दावा किया कि इस प्रकरण के तुरंत बाद दिल्ली  पुलिस कार्यरत उनके पति और पति के एक भाई को कथित रूप से झूठे आरोपों में विभागीय जांच का सामना करना पड़ा, जिसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया.

उनके अनुसार, लगभग उसी समय महिला के खिलाफ रिश्वतखोरी का एक आपराधिक मामला एक ऐसे व्यक्ति द्वारा दायर किया गया था, जिससे वह कभी नहीं मिली थीं और बाद में इसी मामले में उन्हें गिरफ्तार किया गया.

उनका आरोप था कि हिरासत के दौरान उन्हें पुलिसकर्मियों द्वारा प्रताड़ित किया गया था, जो सीजेआई के कार्यालय से हटाए जाने के बाद से उनके परिवार पर भी नजर रख रहे थे.

उस समय सीजेआई के कार्यालय ने सभी आरोपों का खंडन किया और उन्हें ‘पूरी तरह से झूठा और निंदनीय’ बताते हुए खारिज कर दिया था.

20 अप्रैल 2019 को अदालत की जल्दबाजी में बुलाई गई विशेष बैठक, जिसकी अध्यक्षता स्वयं जस्टिस गोगोई ने की थी, में सीजेआई ने दावा किया कि उनके खिलाफ लगे आरोप ‘न्यायपालिका की स्वतंत्रता’ पर हमला और ‘सीजेआई के कार्यालय को निष्क्रिय करने’ की एक ‘बड़ी साजिश’ हैं.

महिला के आरोपों की जांच के लिए शीर्ष अदालत के तीन वरिष्ठ जजों की एक आंतरिक समिति बनाई गई थी. 6 मई 2019 को इस समिति ने सीजेआई को क्लीनचिट देते हुए कहा था कि पूर्व कर्मचारी द्वारा लगाए गए आरोपों में कोई दम नहीं है.

समिति के इस निर्णय के बाद महिला ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा था कि वे बेहद निराश और हताश हैं. देश की एक महिला के तौर पर उनके साथ घोर अन्याय हुआ है, साथ ही देश की सर्वोच्च अदालत से न्याय की उनकी उम्मीदें पूरी तरह खत्म हो गई हैं.

जून 2019 में महिला के पति और देवर को दिल्ली पुलिस ने बहाल कर दिया था. इसके बाद जनवरी 2020 में इन महिला कर्मचारी की भी नौकरी बहाल कर दी गई थी.

शिकायतकर्ता को जनवरी 2020 में सुप्रीम कोर्ट में वापस नौकरी की पेशकश भी की गई थी, लेकिन उन्होंने अपने मानसिक स्वास्थ्य का हवाला देते हुए इसे अस्वीकार कर दिया.

यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद नवंबर 2019 अपने पद से रिटायर होने के बाद जस्टिस गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित किया गया था, जिस कदम की काफी आलोचना हुई थी.

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq