कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों के सांसदों ने इज़रायल के पेगासस स्पायवेयर का उपयोग करके राहुल गांधी समेत कई प्रमुख व्यक्तियों की कथित तौर पर जासूसी किए जाने के मामले को लेकर संसद परिसर में केंद्र की मोदी सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया है. इसके अलावा कांग्रेस ने इस मामले की न्यायिक जांच की मांग करते हुए देश के कई स्थानों पर भी प्रदर्शन किए हैं.
नई दिल्ली: कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों के सांसदों ने पेगासस स्पायवेयर का उपयोग करके राहुल गांधी समेत कई प्रमुख व्यक्तियों की कथित तौर पर जासूसी किए जाने के मामले की उच्चतम न्यायालय की निगरानी में न्यायिक जांच की मांग करते हुए शुक्रवार को संसद परिसर में प्रदर्शन किया.
लोकसभा और राज्यसभा के कई कांग्रेस सदस्यों ने संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष प्रदर्शन किया.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, द्रमुक नेता कनिमोई और शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी और कई अन्य सांसद इस मौके पर मौजूद थे.
The scandalous revelations on the #PegasusSnoopgate by Modi govt, tumbling out day after day, prove that not only our democracy, not only our security, but our sovereignty is under great threat.
We demand a Supreme Court-monitored judicial probe into this matter. pic.twitter.com/R9nTFSTwoy
— Congress (@INCIndia) July 23, 2021
विपक्षी सांसदों ने अपने हाथ में एक बड़ा बैनर ले रखा था जिस पर ‘वी डिमांड सुप्रीम कोर्ट मॉनीटर्ड ज्यूडिशियल प्रोब’ (हम उच्चतम न्यायालय की निगरानी में न्यायिक जांच की मांग करते हैं)’ लिखा हुआ था.
उन्होंने ‘जासूसी बंद करो’ और ‘प्रधानमंत्री सदन में आओ’ के नारे भी लगाए.
प्रमुख व्यक्तियों की कथित तौर पर जासूसी राजद्रोह: राहुल गांधी
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इजरायली स्पायवेयर पेगासस का उपयोग करके भारत के कई प्रमुख व्यक्तियों की कथित तौर पर जासूसी किए जाने को ‘राजद्रोह’ करार देते हुए शुक्रवार को कहा कि गृह मंत्री अमित शाह को इस्तीफा देना चाहिए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका की उच्चतम न्यायालय की निगरानी में न्यायिक जांच होनी चाहिए.
उन्होंने यह दावा भी किया कि पेगासस का उपयोग ‘भारतीय राज्य और संस्थाओं’ के खिलाफ किया गया तथा यह जनता की आवाज पर आक्रमण है.
#PegasusSnoopgate देशद्रोह का मामला है।
हमारी सीधी सी माँग है- सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में इसकी न्यायिक जाँच हो ताकि देश को पता चले कि ये देशद्रोह किसके कहने पर किया गया- PM या HM? pic.twitter.com/65A3aIb4XQ
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 23, 2021
राहुल गांधी ने संसद भवन के निकट विजय चौक पर संवाददाताओं से कहा, ‘पेगासस एक हथियार है जिसका उपयोग आतंकवादियों और अपराधियों के खिलाफ किया जाता है. हमारे प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने भारत के संस्थाओं और लोकतंत्र के खिलाफ इसका उपयोग किया. मेरा फोन टैप किया. यह मेरी निजता का मामला नहीं है. मैं विपक्ष का एक नेता हूं और मैं जनता की आवाज उठाता हूं. यह जनता की आवाज पर आक्रमण है.’
उन्होंने दावा किया, ‘राफेल मामले की जांच रोकने के लिए पेगासस का उपयोग किया गया. नरेंद्र मोदी जी ने इस हाथियार का उपयोग हमारे देश के खिलाफ किया. इसके लिए सिर्फ एक शब्द है ‘राजद्रोह’.’
राहुल गांधी ने कहा, ‘गृह मंत्री को इस्तीफा देना चाहिए और नरेंद्र मोदी की भूमिका उच्चतम न्यायालय की निगरानी में न्यायिक जांच होनी चाहिए क्योंकि इसके उपयोग का आदेश प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ही दे सकते हैं.’
उन्होंने दावा किया कि उनके फोन को टैप किया गया है.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने सवाल किया, ‘अगर भारत सरकार ने पेगासस का उपयोग नहीं किया तो किसी दूसरी सरकार ने किया होगा, क्योंकि पेगासस को सिर्फ सरकार को बेचा जा सकता है. प्रधानमंत्री क्यों नहीं कहते कि इसकी जांच कराई जाएगी? इसका भी जवाब दें कि उन्होंने इसे खरीदा है या नहीं?’
राहुल गांधी ने दावा किया, ‘मेरा फोन टैप किया गया है. मेरे सुरक्षा में लगे लोगों ने बताया कि मेरा फोन टैप किया गया. ऐसा तीन-चार बार किया गया. मेरे दोस्तों को फोन किया जाता है और बताया जाता है कि राहुल गांधी का फोन टैप किया जा रहा है.’
उन्होंने कहा, ‘मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है. साधारण सी बात है. अगर आप भ्रष्ट और चोर हैं तो नरेंद्र मोदी से आप डरेंगे, लेकिन आप भ्रष्ट और चोर नहीं हैं तो आप नहीं डरेंगे.’
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ने केंद्रीय कृषि कानूनों को लेकर कहा, ‘कृषि कानूनों को लेकर हमारा रुख स्पष्ट है कि इनको वापस लिया जाए. बातचीत का मामला नहीं है. मामला कानूनों को वापस लेने का है.’
गौरतलब है कि द वायर समेत 16 मीडिया संगठनों द्वारा की गई पड़ताल दिखाती है कि इजरायल के एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पायवेयर द्वारा स्वतंत्र पत्रकारों, स्तंभकारों, क्षेत्रीय मीडिया के साथ हिंदुस्तान टाइम्स, द हिंदू, इंडियन एक्सप्रेस, द वायर, न्यूज़ 18, इंडिया टुडे, द पायनियर जैसे राष्ट्रीय मीडिया संस्थानों को भी निशाना बनाया गया था.
पड़ताल में खुलासा किया है कि पेगासस के जरिये भारत के दो केंद्रीय मंत्रियों, 40 से अधिक पत्रकारों, विपक्ष के तीन नेताओं सहित बड़ी संख्या में कारोबारियों और अधिकार कार्यकर्ताओं के 300 से अधिक मोबाइल नंबर हो सकता है कि हैक किए गए हों.
इस बात का खुलासा होने के बाद कि इस लीक हुई सूची में 40 पत्रकारों के नाम हैं, जिनकी या तो जासूसी हुई है या उन्हें संभावित टारगेट के तौर पर लक्षित किया या है. द वायर ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, तृणमूल कांग्रेस के नेता अभिषेक बनर्जी जैसे विपक्षी नेता और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के नाम भी इस सूची में शामिल थे.
इस निगरानी सूची में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर सैयद अब्दुल रहमान गिलानी, सीजेआई रंजन गोगाई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला, मोदी सरकार के दो मंत्री अश्विनी वैष्णव और प्रह्लाद पटेल, पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक लवासा, चुनाव सुधार पर काम करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के संस्थापक जगदीप छोकर आदि भी शामिल हैं.
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बीच में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के फोन को इजरायल स्थित एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पायवेयर के जरिये हैक किया गया था. एमनेस्टी इंटरनेशनल के सिक्योरिटी लैब द्वारा कराए डिजिटल फॉरेंसिक्स से ये खुलासा हुआ है.
सीबीआई बनाम सीबीआई विवाद का हिस्सा रहे पूर्व निदेशक आलोक वर्मा, राकेश अस्थाना और एके शर्मा तथा उनके परिजनों के नंबर लीक हुई उस सूची में पाए गए हैं, जिनकी इजरायल स्थित एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पायवेयर के जरिये निगरानी करने की संभावना जताई गई है.
इतना ही नहीं फोन नंबरों की लीक हुई सूची में रफाल सौदे से जुड़े उद्योगपति अनिल अंबानी और उनके रिलायंस समूह के एक अधिकारी द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले फोन नंबर भी मिले हैं.
विभिन्न राज्यों में हुआ प्रदर्शन, न्यायालय की निगरानी में जांच की मांग की
अहमदाबाद: कांग्रेस ने पेगासस के जरिये फोनों की कथित तौर पर जासूसी के किए जाने के मामले की उच्चतम न्यायालय की निगरानी में न्यायिक जांच की मांग करते हुए देश में कई स्थानों पर प्रदर्शन किए और इस मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का इस्तीफा मांगा.
कांग्रेस ने अपने नेताओं और अन्य व्यक्तियों की कथित तौर पर जासूसी किए जाने के खिलाफ गुजरात के गांधी नगर में शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन किया.
पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष अमित चावड़ा और गुजरात विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष परेश धनानी के नेतृत्व में कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता पहले बैनर लिए भाजपा नीत केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए गांधीनगर सर्किट के बाहर जमा हुए.
बाद में चावड़ा, धनानी और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने राजभवन में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत से मुलाकात की और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा. यह ज्ञापन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को सौंपा जाना है.
धनानी ने पत्रकारों से कहा, ‘नेताओं, पत्रकारों और अन्य लोगों की जासूसी कराके भाजपा उनके खिलाफ साजिश कर रही है. यह निगरानी एक अघोषित आपातकाल के समान है. यह लोगों के निजता के अधिकार का प्रत्यक्ष उल्लंघन है. हमने राष्ट्रपति के लिए राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपा है. हम पूरे मामले की उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच कराने की मांग कर रहे हैं.’
इससे पहले बृहस्पतिवार को कांग्रेस ने देश में कई स्थानों पर प्रदर्शन किए और इस मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का इस्तीफा मांगा.
पार्टी की प्रदेश इकाइयों ने फोन की कथित रूप से असंवैधानिक रूप से हैकिंग कर जासूसी किए जाने के विरोध में विभिन्न राज्यों के राजभवनों तक मार्च किए.
पार्टी की ओर से जारी वक्तव्य में बताया गया कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जम्मू, जयपुर, कोलकाता, विजयवाड़ा, पटना, रांची, बेंगलुरु, चंडीगढ़, मुंबई, हैदराबाद, चेन्नई, तिरुवनंतपुरम, रायपुर, लखनऊ और देहरादून में विरोध मार्च किए और वे धरने पर बैठे.
कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने गृहमंत्री शाह के तत्काल इस्तीफे की मांग की. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस मामले में भूमिका की जांच और उच्चतम न्यायालय की निगरानी में मामले की न्यायिक जांच की मांग की.
पार्टी ने कहा, ‘कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के फोन टैप की खबर के बाद कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं में बहुत अधिक रोष है. जासूसी के कायरतापूर्ण और कपटपूर्ण कृत्य जिसकी निगरानी सूची में कई पत्रकार भी शामिल हैं, उसे लेकर लोगों में बहुत नाराजगी है.’
कांग्रेस ने सरकार से सवाल किया कि क्या ये हैकिंग मोदी सरकार के इशारों पर की गई, यदि नहीं तो सरकार जांच के आदेश क्यों नहीं देती ताकि केंद्रीय मंत्रियों, न्यायाधीशों और विपक्ष के कई नेताओं की जासूसी करवाने के पीछे जिम्मेदार लोगों और संगठनों का पता लगाया जा सके.
कांग्रेस ने वक्तव्य में कहा, ‘ये खबरें हैरान करने वाली हैं जिनमें देश के कैबिनेट मंत्रियों, संवैधानिक पदों पर आसीन अधिकारियों, भारत के सुरक्षा बलों के वर्तमान और पूर्व प्रमुख, विपक्ष के वरिष्ठ नेताओं, पत्रकारों, वकीलों, कार्यकर्ताओं के मोबाइल फोन की अवैध और असंवैधानिक रूप से हैकिंग कर जासूसी किए जाने का खुलासा हुआ है. इससे, भारतीय जनता पार्टी की सरकार से लोगों का भरोसा डगमगा गया है.’
कांग्रेस ने विरोध दर्ज कराने के लिए सभी प्रदेश इकाइयों में संवाददाता भी सम्मेलन किए.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)