विपक्ष की नारेबाज़ी के बीच बिना चर्चा के ही लोकसभा में दो विधेयक पारित

इसमें से एक आवश्यक रक्षा सेवा विधेयक, 2021 है, जिसमें आयुध कारखानों के कर्मचारियों को हड़ताल पर जाने से रोकने का प्रावधान किया गया है. विपक्ष ने आरोप लगाया कि इस क़ानून के ज़रिये सरकार श्रमिकों के मौलिक अधिकार छीनना चाहती है.

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(फोटो: पीटीआई)

इसमें से एक आवश्यक रक्षा सेवा विधेयक, 2021 है, जिसमें आयुध कारखानों के कर्मचारियों को हड़ताल पर जाने से रोकने का प्रावधान किया गया है. विपक्ष ने आरोप लगाया कि इस क़ानून के ज़रिये सरकार श्रमिकों के मौलिक अधिकार छीनना चाहती है.

(फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: पेगासस स्पायवेयर विवाद के बीच लोकसभा ने बीते मंगलवार को दो विधेयकों- आवश्यक रक्षा सेवा विधेयक, 2021 और न्यायाधिकरण सुधार विधेयक, 2021 को बिना चर्चा के ही पारित कर दिया.

इस दौरान विपक्षी सांसद नारेबाजी करते रहे और बाद में सदन को स्थगित कर दिया गया.

इससे पहले दिन में जब सदन की बैठक हुई तो कांग्रेस सांसद, उनके यूपीए सहयोगी, वाम दलों के साथ-साथ तृणमूल सांसद भी नारेबाजी करते हुए सदन के वेल में आ गए. इसके अलावा बसपा और शिरोमणि अकाली दल के सांसदों ने विवादित कृषि कानूनों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया.

रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने दोपहर 2 बजे सदन में आवश्यक रक्षा सेवा विधेयक पारित होने के लिए प्रस्तुत किया था. विधेयक आयुध कारखानों के कर्मचारियों को हड़ताल पर जाने से रोकने का प्रावधान करता है. इसे बिना किसी चर्चा के ध्वनिमत से पारित कर दिया गया.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, विपक्ष ने इस विधेयक को दमनकारी बताया तो सदन में मौजूद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार ने सभी कर्मचारी संघों को विश्वास में लिया है.

सिंह ने कहा, ‘यह विधेयक इसलिए लाया गया है ताकि हमारे रक्षा बलों के लिए आपूर्ति में कोई बाधा न हो. यह संभव है कि हमें इस विधेयक के प्रावधानों को लागू करने की भी आवश्यकता न पड़े. वैसे भी यह केवल एक वर्ष के लिए है.’

उन्होंने कहा कि इस संबंध में आयुध कारखानों के नियोक्ताओं एवं मजदूर संगठनों के प्रतिनिधियों से अच्छी चर्चा की गई है. इसमें कर्मचारियों के हितों का ध्यान रखा गया है, अत: इस विधेयक को आम-सहमति से पारित किया जाना चाहिए.

इससे पहले विधेयक को चर्चा और पारित कराने के लिए रखते हुए रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने कहा कि देश की उत्तरी सीमा पर जो स्थिति है उससे पूरा सदन अवगत है. इसलिए हमारी सेना को आयुध की निर्बाध आपूर्ति होनी चाहिए.

उन्होंने बताया कि पूर्व का कानून 1990 में खत्म हो चुका है. आवश्यक रक्षा आयुध सेवाओं के लिए कोई कानून नहीं था. उस समय संसद का सत्र नहीं चल रहा था, इसलिए मंत्रिमंडल ने 30 जून को अध्यादेश को मंजूरी दी.

भट्ट ने इस बात पर बल दिया कि किसी भी कर्मचारी और अधिकारी के हितों को प्रभावित करने वाला कोई प्रावधान विधेयक में नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘हमारे मित्रों (सदस्यों) ने जो आपत्तियां दी हैं वे निराधार हैं. कहीं भी मौलिक अधिकार का हनन नहीं होता है. कर्मचारियों को मिलने वाली सुख-सुविधा में कोई कटौती नहीं होती है.’

वहीं तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत रॉय ने कहा कि ये विधेयक मजदूर विरोधी है. उन्होंने कहा कि आयुध कारखानों के कॉरपोरेटाइजेशन के विरोध में श्रमिकों ने हड़ताल का नोटिस दिया है.

भट्ट ने कहा कि सरकार को ये विधेयक इसलिए लाना पड़ा है क्योंकि श्रमिकों ने हड़ताल का नोटिस दिया था.

नारेबाजी के बीच विधेयक के खिलाफ बोलते हुए आरएसपी सांसद एनके प्रेमचंद्रन ने कहा, ‘यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण विधेयक है. 41 आयुध कारखाने हैं. यह इनके निजीकरण का एक अप्रत्यक्ष तरीका है. इसका एकमात्र उद्देश्य हड़तालों पर प्रतिबंध लगाना है. 84,000 कर्मचारी हैं. विरोध करने का उनका वैध अधिकार छीना जा रहा है. हंगामे में विधेयकों को पारित करना उचित नहीं है.’

वहीं, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया कि सरकार आयुध कारखानों में काम करने वाले कर्मचारियों के लोकतांत्रिक अधिकारों को छीनना चाहती है.

उन्होंने कहा, ‘सदन नहीं चल रहा है तो इस तरह का विधेयक पारित नहीं होना चाहिए. हम चाहते हैं कि पेगासस मामले पर चर्चा हो और फिर सभी मुद्दों पर चर्चा हो.’

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि देश की रक्षा तैयारियों के लिये सशस्त्र बलों को आयुध मदों की निर्बाध आपूर्ति बनाये रखना और आयुध कारखानों का बिना किसी व्यवधान के कार्य जारी रखना अनिवार्य है. रक्षा से संबद्ध सभी संस्थानों में अनिवार्य रक्षा सेवाओं के अनुरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए लोकहित में या भारत की सम्प्रभुता और अखंडता या किसी राज्य की सुरक्षा या शिष्टता या नैतिकता के हित में सरकार के पास शक्तियां होनी चाहिए.

इसमें कहा गया है कि चूंकि संसद सत्र नहीं चल रहा था और तुरंत विधान बनाने की जरूरत थी, ऐसे में राष्ट्रपति ने 30 जून, 2021 को ‘आवश्यक रक्षा सेवा अध्यादेश, 2021’ प्रख्यापित किया था.

ध्वनिमत से विधेयक पारित होने के तुरंत बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन की कार्यवाही शाम चार बजे तक के लिए स्थगित कर दी थी.

जब सदस्य फिर से इकट्ठे हुए, तो सदन ने बिना किसी चर्चा के एक और विधेयक- ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स बिल, 2021- को भी ध्वनि मत से पारित कर दिया.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, जिन्होंने विधेयक पेश किया, ने कहा कि बहस में भाग लेने के बजाय विपक्षी नेता अशांति पैदा कर रहे हैं.

वहीं कांग्रेस ने कहा कि विधेयक पर किसी भी बहस से पहले चर्चा के लिए माहौल बनाने की जरूरत होती है. उन्होंने कहा कि यह माहौल बनाना सरकार की जिम्मेदारी है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)