अन्य अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के लिए सीएए में किसी और संशोधन का प्रस्ताव नहीं: सरकार

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में कहा कि सीएए के तहत पात्र लाभार्थी, नियमों को अधिसूचित किए जाने के बाद ही नागरिकता हासिल करने के लिए आवेदन कर सकते हैं. एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि 30 जुलाई तक भारतीय नागरिकता के लिए अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदू समुदाय से 4,046 आवेदन राज्य सरकारों के पास लंबित हैं. वहीं, 10 आवेदन केंद्र सरकार के पास लंबित हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में कहा कि सीएए के तहत पात्र लाभार्थी, नियमों को अधिसूचित किए जाने के बाद ही नागरिकता हासिल करने के लिए आवेदन कर सकते हैं. एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि 30 जुलाई तक भारतीय नागरिकता के लिए अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदू समुदाय से 4,046 आवेदन राज्य सरकारों के पास लंबित हैं. वहीं, 10 आवेदन केंद्र सरकार के पास लंबित हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने बुधवार को कहा कि अन्य अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता देने के लिए नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) में किसी प्रकार के संशोधन का कोई प्रस्ताव नहीं है.

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के सांसद अब्दुल वहाब के एक सवाल के लिखित जवाब में कहा, ‘ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है.’

केंद्रीय मंत्री से पूछा गया था कि क्या सरकार सीएए के तहत अन्य अल्पसंख्यकों को शामिल करते हुए इस कानून में किसी प्रकार के संशोधन पर विचार कर रही है.

राय ने यह भी कहा कि सीएए के तहत पात्र लाभार्थी, नियमों को अधिसूचित किए जाने के बाद ही नागरिकता हासिल करने के लिए आवेदन कर सकते हैं.

उन्होंने कहा, ‘पात्र व्यक्ति केंद्र सरकार द्वारा उपयुक्त नियम अधिसूचित किए जाने के बाद ही नागरिकता हासिल करने के लिए आवेदन कर सकते हैं.’

उनसे प्रश्न किया गया था कि क्या सरकार ने सीएए बनने के पश्चात नागरिकता के लिए नए आवेदन प्राप्त किए हैं. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सीएए को 12 दिसंबर, 2019 को अधिसूचित किया गया था और यह 11 जनवरी, 2020 से प्रभावी हुआ.

राय ने कहा, ‘सीएए के अंतर्गत नियम बनाने के लिए लोकसभा और राज्यसभा की अधीनस्थ विधान संबंधी समितियों से नौ जनवरी 2022 तक का समय विस्तार प्रदान करने के लिए अनुरोध किया गया है.’

मालूम हो कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इससे पहले नियम बनाने के लिए नौ जुलाई 2021 तक का समय मांगा था.

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बीते दो फरवरी को लोकसभा को बताया था कि इस विवादित कानून के नियमों का खाका अभी भी तैयार किया जा रहा है, क्योंकि दोनों सदनों की समितियों से समयसीमा में विस्तार मिल गया है. लोकसभा समिति ने नौ अप्रैल तक का, जबकि राज्यसभा की समिति ने नौ जुलाई तक की समयसीमा दी है.

बता दें कि 11 दिसंबर 2019 को संसद से पारित सीएए कानून के तहत हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों के उन लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी, जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक प्रताड़ता के कारण 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आए.

विपक्ष के पुरजोर विरोध के बावजूद इस कानून को पारित किया गया. इसके बाद विपक्ष समेत देश में बड़े पैमाने पर इसका विरोध किया गया. केंद्र सरकार पर जान-बूझकर मुस्लिमों को इस कानून से बाहर रखने का आरोप भी लगा.

वर्ष 2019 में जब सीएए लागू हुआ तो देश के विभिन्न हिस्सों में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुआ और इन्हीं विरोध प्रदर्शनों के बीच 2020 की शुरुआत में दिल्ली में दंगे हुए थे.

नागरिकता के लिए तीन पड़ोसी देश के हिंदू समुदाय के करीब 4,050 आवेदन लंबित

केंद्र ने बुधवार को कहा कि भारतीय नागरिकता के लिए अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदू समुदाय के 4,046 आवेदन राज्य सरकारों के पास लंबित हैं.

गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि नागरिकता के आवेदनों पर ऑनलाइन कार्रवाई की प्रक्रिया अक्टूबर 2018 में शुरू की गई और इसका मकसद पारदर्शी तरीके से आवेदनों का शीघ्र निपटारा कर आवेदकों को सुविधा प्रदान करना है.

उन्होंने कहा कि ‘ऑनलाइन माड्यूल’ में उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 30 जुलाई तक हिंदू समुदाय से संबंधित आवेदकों के 4,046 आवेदन राज्य सरकारों के पास लंबित हैं. वहीं, 10 आवेदन केंद्र सरकार के पास लंबित हैं.

राय ने कहा कि राजस्थान में 1,541, महाराष्ट्र में 8,49, गुजरात में 5,55, मध्य प्रदेश में 490, छत्तीसगढ़ में 268, दिल्ली में 123 और उत्तर प्रदेश में 96 मामले लंबित हैं.

उन्होंने कहा कि विगत पांच साल के दौरान 4,171 मामलों में विदेशी नागरिकों को भारतीय नागरिकता प्रदान की गई.

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, मंत्री द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, 638 को 2020 में, 986 को 2019 में, 628 को 2018 में, 814 को 2017 में और 1105 को 2016 में नागरिकता प्रदान किया गया.

उन्होंने बताया कि भारतीय नागरिकता प्रदान करने वाले विदेशियों की अधिकतम संख्या गुजरात में 1089, उसके बाद राजस्थान  में 535 और मध्य प्रदेश 535 में है.

उन्होंने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि इस वर्ष 25 जुलाई तक पाकिस्तानी नागरिकों से वीजा के 732 आवेदन मिले हैं और 286 वीजा प्रदान किए गए हैं, जिनमें विवाह सहित सामाजिक कार्यों के लिए भारत की यात्रा करने वाले लोग शामिल हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)