इज़रायल स्थित एनएसओ ग्रुप के स्पायवेयर पेगासस से कथित तौर पर जासूसी कराए जाने के मामले की स्वतंत्र जांच कराने का अनुरोध करने वाले कुछ याचिकाकर्ताओं के सोशल मीडिया और वेबसाइटों पर समानांतर वाद-विवाद करने पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराज़गी ज़ाहिर की है. मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत वाद-विवाद की विरोधी नहीं है, लेकिन जब मामला अदालत में लंबित है तो इस पर चर्चा यहीं होनी चाहिए.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने इजरायल स्थित एनएसओ ग्रुप के स्पायवेयर पेगासस से कथित तौर पर जासूसी कराए जाने के मामले की स्वतंत्र जांच कराने का अनुरोध करने वाले कुछ याचिकाकर्ताओं के सोशल मीडिया और वेबसाइटों पर समानांतर वाद-विवाद करने पर नाराजगी जाहिर की है. न्यायालय ने इन याचिकाकर्ताओं को अनुशासित रहने को कहा है.
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत वाद-विवाद की विरोधी नहीं है, लेकिन जब मामला अदालत में लंबित है तो इस पर चर्चा यहीं होनी चाहिए.
केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि उन्हें याचिकाओं में उठाए गए मुद्दों के संबंध में सरकार से निर्देश लेने के लिए कुछ वक्त चाहिए. इस पर जस्टिस रमना, जस्टिस विनीत सरन एवं जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 16 अगस्त की तारीख निर्धारित की है.
JUST IN: SC expresses displeasure at the "parallel debates" in media on the #Pegasus issue by those who are before the court. Says "have faith in the institutions. Lawyers appearing before us should debate in court and answer queries here instead of making statements in the press
— The Leaflet (@TheLeaflet_in) August 10, 2021
इस मामले में याचिका दाखिल करने वाले वरिष्ठ पत्रकार एन. राम और शशि कुमार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि पेगासस से जुड़ी अदालत की कार्यवाही के बारे में राम को पिछली सुनवाई के बाद सोशल मीडिया पर ट्रोल किया गया था.
पीठ ने कहा, ‘यही तो हम कह रहे हैं. हम पक्षकारों से प्रश्न करते हैं. हम दोनों पक्षकारों से पूछताछ करते हैं. मामले पर बहस यहां होनी चाहिए, इस पर बहस सोशल मीडिया या वेबसाइट पर नहीं होनी चाहिए. पक्षकारों को तंत्र पर भरोसा होना चाहिए.’
लाइव लॉ के मुताबिक सीजेआई रमना ने वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल से कहा, ‘आप न सिर्फ सीनियर वकील हैं, बल्कि हम आपकी काफी इज्जत करते हैं. आप मंत्री भी रहे हैं. कुछ अनुशासन जरूर होना चाहिए. मामले की सुनवाई के दौरान हम आप सभी से सवाल पूछते हैं, कई बार ये असहज भी होता है, लेकिन दोनों पक्षों को इसका सामना करना होता है.’
सीजेआई ने आगे कहा, ‘हम आपसे जवाब की उम्मीद करते हैं. इसका मतलब ये नहीं होता कि सुनवाई पूरी हो चुकी है. ये प्रक्रिया है. हम आपसे यही गुजारिश करते हैं. यदि याचिकाकर्ताओं को कुछ कहना है या कोर्ट के संज्ञान में बातें लानी हैं, तो वे हलफनामा दायर कर सकते हैं, हम सभी कोई इसकी इजाजत दे रहे हैं.’
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकीलों श्याम दीवान, कपिल सिब्बल, सीयू सिंह, मीनाक्षी अरोड़ा, राकेश द्विवेदी एवं अन्य ने मुख्य न्यायाधीश की बात पर सहमति जताई और कहा कि वे अपने क्लाइंट्स को सलाह देंगे.
इस मामले की पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कहा था कि वे अपनी याचिकाओं की एक प्रति केंद्र सरकार को सौंपे.
इसे लेकर केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ‘यशवंत सिन्हा को छोड़कर मुझे बाकी याचिकाकर्ताओं की प्रतियां मिल गई हैं. अभी मैं इन्हें पढ़ रहा हूं. मुझे सरकार से निर्देश लेना होगा. क्या मुझे शुक्रवार तक का वक्त मिल सकता है. कोई भी दिन चलेगा, लेकिन शुक्रवार से पहले नहीं.’
इस पर मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि शुक्रवार को वे कोर्ट नहीं आ रहे हैं, उनका कुछ निजी काम है. सीजीएआई ने कहा कि मामले की अगली सुनवाई 16 अगस्त को होगी.
न्यायालय ने केंद्र को नोटिस जारी करने की मांग भी खारिज कर दी. जस्टिस रमना ने कहा कि अब 16 अगस्त को ही इस पर फैसला लिया जाएगा.
उच्चतम न्यायालय इजरायल के जासूसी स्पायवेयर पेगासस से कथित तौर पर जासूसी कराए जाने के मामले की स्वतंत्र जांच कराने के अनुरोध वाली अनेक याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. इनमें से एक याचिका ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ ने दाखिल की है.
गौरतलब है कि पांच अगस्त को मामले की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा था कि पेगासस से जासूसी कराए जाने संबंधी आरोप ‘गंभीर प्रकृति’ के हैं, अगर इससे संबंधित खबरें सही हैं तो.
बता दें कि द वायर सहित अंतरराष्ट्रीय मीडिया कंसोर्टियम ने पेगासस प्रोजेक्ट के तहत यह खुलासा किया था कि इजरायल की एनएसओ ग्रुप कंपनी के पेगासस स्पायवेयर के जरिये नेता, पत्रकार, कार्यकर्ता, सुप्रीम कोर्ट के अधिकारियों की के फोन कथित तौर पर हैक कर उनकी निगरानी की गई या फिर वे संभावित निशाने पर थे.
अभी तक द वायर ने 160 से अधिक लोगों के नामों का खुलासा किया है जिसमें विपक्षी राजनेता, पत्रकार, सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व जज, कार्यकर्ता और पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला शामिल हैं. इनके फोन में सफलतापूर्वक या संभावित तौर पर जासूसी की गई.
सबसे पहली याचिका वकील एमएल शर्मा ने और दूसरी याचिका वरिष्ठ पत्रकार एन. राम और शशि कुमार ने जबकि तीसरी याचिका राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास ने दायर की थी.
इसके पास पेगासस प्रोजेक्ट सूची में आने वाले देश के चार पत्रकारों पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता, एसएनएम अब्दी, प्रेम शंकर झा, रूपेश कुमार सिंह और एक कार्यकर्ता इप्सा शताक्षी ने भी याचिका दाखिल की.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)