बीते आठ अगस्त को ‘भारत जोड़ो आंदोलन’ नामक संगठन द्वारा आयोजित कार्यक्रम के तहत समान नागरिक संहिता को लागू करने के पक्ष में रैली हुई थी. आरोप है कि इस दौरान प्रत्यक्ष तौर पर मुस्लिमों के ख़िलाफ़ हिंसा का आह्वान किया गया था और भड़काऊ तथा मुस्लिम विरोधी नारेबाज़ी भी की गई थी. राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने इस मामले में पुलिस को नोटिस जारी कर कहा है कि इसे लेकर सख़्त कार्रवाई की जानी चाहिए.
नई दिल्लीः जंतर मंतर पर बीते आठ अगस्त को भड़काऊ और मुस्लिम विरोधी नारेबाजी की घटना के संबंध में ऑल इंडिया लॉयर्स एसोसिएशन फॉर जस्टिस (एआईएलएजे) ने सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखकर स्वतः संज्ञान लेकर जनहित याचिका दायर करने को कहा है.
एसोसिएशन का कहना है कि इस दौरान जो नारेबाजी की गई, वह नरसंहार का खुला आह्वान था.
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना को संबोधित कर लिखे गए पत्र में कहा गया, ‘ये अपराध धर्मनिरपेक्षता और अन्य संवैधानिक मूल्यों पर हमला है.’
इनका कहना है कि इस कार्यक्रम के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हैं, जिनमें खुले तौर पर हिंसक नारेबाजी की जा रही है.
बता दें कि बीते आठ अगस्त को जंतर मंतर पर ‘भारत जोड़ो आंदोलन’ नामक संगठन द्वारा आयोजित कार्यक्रम के तहत समान नागरिक संहिता को लागू करने के पक्ष में रैली हुई थी. आरोप है कि इस दौरान प्रत्यक्ष तौर पर मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा का आह्वान किया गया था और भड़काऊ तथा मुस्लिम विरोधी नारेबाजी भी की गई थी.
बता दें कि दिल्ली पुलिस ने जंतर मंतर पर हुई सांप्रदायिक नारेबाजी के संबंध में सोमवार देर रात भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय सहित छह लोगों को गिरफ्तार किया गया. इस कार्यक्रम में भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय और गजेंद्र चौहान गजेंद्र चौहान भी मौजूद थे.
अश्विनी उपाध्याय ने आयोजन में अपनी भूमिका से इनकार किया है, हालांकि भारत जोड़ो अभियान की प्रवक्ता ने बताया कि प्रदर्शन उनके ही नेतृत्व में हुआ था.
बहरहाल लॉयर्स एसोसिएशन का कहना है, ‘इस घटना को अलग-थलग करके नहीं देखा जा सकता. यह देशभर से सामने आ रहीं उन असंख्य घटनाओं में से एक है, जिसका उद्देश्य मुस्लिम समुदाय के समान नागरिक के रूप में उनकी स्थिति को कमतर कर उन्हें अमानवीय बनाना है.’
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AILAJ has written to the Supreme Court seeking initiation of a suo moto PIL in light of the open call to genocide of the Muslim community, in the streets of Delhi. The crimes are an attack on secularism and other constitutional values. pic.twitter.com/UVJoAx7sMi
— AILAJ_HQ (@AilajHq) August 9, 2021
एसोसिएशन ने उचित पुलिस कार्रवाई की मांग की और साथ में इसकी भी जांच करने की मांग की गई कि पुलिस ने नारेबाजी रोकने के लिए कोई कार्रवाई क्यों नहीं की.
दिल्ल हाईकोर्ट वीमेन लॉयर्स फोरम ने भी सुप्रीम कोर्ट को अलग से पत्र लिखकर नारेबाजी करने में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है.
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, पत्र में कहा गया, ‘मुस्लिमों के खिलाफ नफरत फैला रहीं ये नारेबाजी भारतीय संविधान के तहत संरक्षित अभिव्यक्ति नहीं है और प्रथम दृष्टया हेट स्पीच है. रैली में दिए गए भाषणों को असहमति की स्वतंत्रता के अधिकार या आलोचनात्मक भाषण के साथ भ्रमित नहीं होना चाहिए. रैली में दिए गए भाषण प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से एक विशेष समुदाय के खिलाफ हिंसा का आह्वान करने वाले थे. रवांडा में जनजातीय अल्पसंख्यकों तुत्सी के खिलाफ लगातार हेट स्पीच की वजह से 1994 में नरसंहार हुआ था.’
पत्र में कहा गया, ‘जंतर मंतर पर हुई रैली में कोविड-19 दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया गया. इस घटना के वीडियो बहुत चौंकाने वाले हैं और इन्हें हल्के में लेकर खारिज नहीं किया जा सकता. यह रैली दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) के दिशानिर्देशों का उल्लंघन कर आयोजित की गई थी.’
मुस्लिम विरोधी नारेबाजी को लेकर अल्पसंख्यक आयोग का पुलिस को नोटिस
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने जंतर मंतर पर आयोजित एक कार्यक्रम में कथित तौर पर मुस्लिम विरोधी नारेबाजी किए जाने के मामले में सोमवार को पुलिस को नोटिस जारी कर कहा कि इस घटना को लेकर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए.
आयोग के उपाध्यक्ष आतिफ रशीद के निर्देश पर इस संस्था ने नई दिल्ली के पुलिस उपायुक्त को नोटिस जारी किया और कहा कि वह आयोग के समक्ष उपस्थित होकर इस मामले का ब्योरा दें और की गई कार्रवाई की जानकारी दें.
रशीद ने कहा कि इस मामले में पुलिस को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए.
नोटिस में पुलिस उपायुक्त से सवाल किया गया, मुस्लिम विरोधी नारेबाजी करने वालों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है? क्या इस मामले में कोई गिरफ्तारी हुई है और अगर हुई है तो आरोपी के खिलाफ किस धारा के तहत मामला दर्ज किया गया है?
आयोग ने यह भी पूछा, किसकी अनुमति से इस तरह का कार्यक्रम आयोजित हुआ और भविष्य में ऐसे कार्यक्रम को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
वहीं, प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने जारी बयान में कहा कि उसके प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने गृह मंत्री अमित शाह और पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना को पत्र लिखकर इस मामले में सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने का आग्रह किया है.।
जमीयत के एक प्रतिनिधिमंडल ने पुलिस उपायुक्त से मुलाकात कर कार्रवाई की मांग की.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)