अदालत ने मामले में आप के दो विधायकों- अमानतुल्ला ख़ान और प्रकाश जरवाल के ख़िलाफ़ आरोप तय करने का आदेश दिया है. 2018 में मुख्य सचिव अंशु प्रकाश ने आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उन्हें घर बुलाया और अपने विधायकों के साथ मारपीट की थी. इसके बाद मुख्यमंत्री, उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के अलावा आप के 11 विधायकों पर केस दर्ज किया गया था. हालांकि केजरीवाल और विधायकों ने आरोपों से इनकार किया था.
नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने 2018 में तत्कालीन मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ कथित हाथापाई से जुड़े मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और आम आदमी पार्टी (आप) के नौ अन्य विधायकों को बुधवार को आरोपमुक्त कर दिया.
हालांकि, अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सचिन गुप्ता ने मामले में आप के दो विधायकों अमानतुल्ला खान और प्रकाश जरवाल के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया है.
आपराधिक मामला 19-20 फरवरी, 2018 की दरमियानी रात को केजरीवाल के आधिकारिक आवास पर एक बैठक के दौरान सचिव अंशु प्रकाश पर कथित हमले से जुड़ा है.
फरवरी 2018 में मुख्य सचिव अंशु प्रकाश ने आरोप लगाया था कि केजरीवाल ने उन्हें घर बुलाया और अपने विधायकों के साथ मारपीट की थी. इसके बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के अलावा आम आदमी पार्टी (आप) के 11 विधायकों पर मामला दर्ज किया गया था. हालांकि केजरीवाल और विधायकों ने इन आरोपों से इनकार किया था.
आप के जिन 11 विधायकों को आरोपी बनाया गया था, उनमें अमानतुल्लाह खान, प्रकाश जरवाल के अलावा नितिन त्यागी, रितुराज गोविंद, संजीव झा, अजय दत्त, राजेश ऋषि, राजेश गुप्ता, मदन लाल, प्रवीण कुमार और दिनेश मोहनिया शामिल थे.
केजरीवाल, सिसोदिया और आप के नौ अन्य विधायकों को अक्टूबर 2018 में जमानत दे दी गई थी. अमानतुल्ला खान और प्रकाश जरवाल को उच्च न्यायालय ने पहले जमानत दी थी. इस कथित हमले के बाद दिल्ली सरकार और उसके नौकरशाहों के बीच खींचतान शुरू हो गई थी.
इस संबंध में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 186 (लोक सेवक के लोक कृत्यों के निर्वहन में बाधा डालना), धारा 323 (जान-बूझकर किसी को चोट पहुंचाना), धारा 332 (लोक सेवक को अपने कर्तव्य का पालन करने को लेकर चोट पहुंचाना), धारा 342 (गलत तरीके से कैदद करने के लिए दंड), धारा 353 (लोक सेवक को अपने कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए आपराधिक बल का प्रयोग), धारा 504 (शांति भंग करने के इरादे से जान-बूझकर अपमान करना), धारा 120बी (आपराधिक षड्यंत्र), धारा 109 (अपराध के लिए उकसाने के लिए दंड, यदि वह कार्य उसके परिणामस्वरूप किया जाए), धारा 114 (अपराध किए जाते समय उकसाने वाले की उपस्थिति), धारा 149 (गैरकानूनी तरीके से जमा समूह), धारा 34 (अपराध के लिए साझा साजिश), धारा 36, धारा 506(ii) के तहत चार्जशीट दाखिल की गई थी.
अंशु प्रकाश 1986 बैच और अरुणाचल-गोवा-मिजोरम एवं केंद्र शासित (एजीएमयूटी) कैडर के आईएएस अधिकारी हैं. प्रकाश को एक दिसंबर, 2017 को दिल्ली का मुख्य सचिव बनाया गया था.
इस घटना के बाद केंद्र सरकार ने नवंबर 2018 में मुख्य सचिव अंशु प्रकाश का तबादला कर दिया था. अंशु प्रकाश को तब केंद्र के दूर संचार विभाग में एडिशनल सेक्रटरी के पद पर तैनात किया गया था.
केजरीवाल और सिसोदिया ने कहा, सत्य की जीत हुई
दिल्ली की एक अदालत द्वारा मुख्य सचिव से कथित तौर पर हाथापाई के मामले में बरी किए जाने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बुधवार को कहा कि सत्य की जीत हुई.
सत्यमेव जयते https://t.co/JJuWdsslie
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) August 11, 2021
सिसोदिया ने भाजपा नीत केंद्र सरकार पर केजरीवाल के खिलाफ साजिश रचने का आरोप भी लगाया.
केजरीवाल ने अदालत के फैसल के बाद ट्वीट किया, ‘सत्यमेव जयते’.
वहीं, सिसोदिया ने ऑनलाइन एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘यह न्याय और सच्चाई की जीत का दिन है. अदालत ने कहा कि सभी आरोप गलत और निराधार है. मुख्यमंत्री को आज उस झूठे मामले में बरी कर दिया गया. हम पहले दिन से ही कह रहे थे कि आरोप गलत हैं. यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा भाजपा नीत केंद्र सरकार की एक साजिश थी और उन्हीं के निर्देश पर झूठा मामला भी दर्ज किया गया.’
उन्होंने कहा, ‘यह पहला मौका है जब निर्वाचित प्रधानमंत्री ने किसी निर्वाचित मुख्यमंत्री की सरकार को इस तरह से बाहर करने की कोशिश की हो. जनता ने दोनों सरकारों को चुना है, आपको विपक्षी सरकारों के खिलाफ साजिश रचने और उनकी जासूसी करने में लिप्त नहीं होना चाहिए. प्रधानमंत्री और भाजपा को इसके लिए देश के लोगों से माफी मांगनी चाहिए.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)