गोवा के साओ जैसिंटो द्वीप के लोग तटीय क्षेत्र प्रबंधन योजना और प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक, 2020 का विरोध कर रहे हैं. निवासियों ने कहा है कि उन्हें ध्वारोहण से कोई आपत्ति नहीं है, वे खुद झंडा फहराएंगे, लेकिन वे नहीं चाहते कि केंद्र या राज्य सरकार का कोई प्रतिनिधि उनके अधिकार क्षेत्र में दखल दे.
नई दिल्ली: नौसेना ने बीते शुक्रवार को दक्षिण गोवा के साओ जैसिंटो द्वीप पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने का कार्यक्रम रद्द कर दिया क्योंकि निवासियों ने कहा कि अविश्वास के कारण वे नहीं चाहते कि केंद्र या राज्य सरकार के अधिकारी द्वीप पर कोई गतिविधि करें.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, शनिवार की सुबह गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने ट्वीट कर इसे भारत विरोधी गतिविधि करार दिया और कहा, ‘भारत विरोधी गतिविधियों की इन कोशिशों से सख्ती से निपटा जाएगा. देश हमेशा सबसे पहले रहेगा.’
सावंत ने कहा कि उन्होंने भारतीय नौसेना से अपनी मूल योजना पर आगे बढ़ने का अनुरोध किया था और गोवा पुलिस से पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया था.
उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक है कि सेंट जैसिंटो द्वीप के कुछ लोगों ने भारत के स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भारतीय नौसेना द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराए जाने पर आपत्ति जताई है. मैं इसकी निंदा करता हूं और रिकॉर्ड में कहना चाहता हूं कि मेरी सरकार इस तरह के कृत्यों को बर्दाश्त नहीं करेगी.’
हालांकि, द्वीपवासियों ने साफ किया कि वे झंडा फहराने के खिलाफ नहीं थे. उन्होंने कहा कि गांव के निवासी स्वयं झंडा फहराएंगे.
I have requested the Indian Navy to go ahead with their original plan and have assured full cooperation from Goa Police. These attempts of Anti-India activities shall be dealt with an iron fist. It will always be Nation First.2/2
— Dr. Pramod Sawant (@DrPramodPSawant) August 13, 2021
वहीं नौसेना ने एक बयान में कहा, ‘आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आजादी का अमृत महोत्सव के तहत रक्षा मंत्रालय ने 13 से 15 अगस्त, 2021 के बीच देशभर के द्वीपों में राष्ट्रीय ध्वज फहराने की योजना बनाई है. गोवा नौसेना क्षेत्र की एक टीम ने इस अखिल भारतीय पहल के हिस्से के रूप में साओ जैसिंटो द्वीप सहित गोवा के द्वीपों का दौरा किया. हालांकि, जैसिंटो द्वीप पर योजना को रद्द करना पड़ा क्योंकि निवासियों ने इसका विरोध किया था. यह पहल देशभर में देशभक्ति की भावना जगाने और स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के मौके पर जश्न मनाने के लिए की गई थी.’
साओ जैसिंटो में पले-बढ़े डैरेल डिसूजा ने कहा कि परंपरागत रूप से द्वीपवासी हर साल स्वयं राष्ट्रीय ध्वज फहराते रहे हैं और वे गोवा में तटीय क्षेत्र प्रबंधन योजना (सीजेडएमपी) और प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक, 2020 के विरोध के संदर्भ में द्वीप पर नौसेना की उपस्थिति के बारे में चिंतित थे, जिसे संसद ने पारित कर दिया है.
डिसूजा ने कहा, ‘हम झंडा फहराने के बिल्कुल भी खिलाफ नहीं हैं. दरअसल हमने द्वीप पर आए नौसेना के अधिकारियों से 15 अगस्त को होने वाले ध्वजारोहण में शामिल होने के लिए कहा था. उन्होंने समझाया कि द्वीपवासियों, पारंपरिक मछुआरों के बीच की चिंता उनके राजनीतिक गतिविधियों के डर से उपजी है, जो वे मानते हैं, द्वीप के हित के खिलाफ हैं.’
उन्होंने कहा कि लोगों को डर है कि बंदरगाह की सीमा के तहत लाए गए द्वीप को सरकारी अधिकारियों द्वारा अपने कब्जे में ले लिया जाएगा और विकास के लिए निजी पार्टियों को सौंप दिया जाएगा.
एनजीओ से राजनीतिक दल में परिवर्तित हुए गोएंचो अवाजी के कैप्टन विरिआतो फर्नांडीस ने कहा कि द्वीपवासियों का अविश्वास इसलिए है क्योंकि मसौदा सीजेडएमपी और प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक, 2020 साओ जैसिंटो को मोरमुगाओ पोर्ट ट्रस्ट (एमपीटी) के अधिकार क्षेत्र में दर्शाता है.
फर्नांडीस ने कहा, ‘हाल ही में सीजेएमपी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए थे. साओ जैसिंटो द्वीप का अधिकार क्षेत्र बंदरगाह के दायरे में लाया गया है. द्वीप में 1731 की धार्मिक संरचनाएं हैं, इसलिए हमने कहा था कि यह बंदरगाह के अधिकार क्षेत्र में नहीं आ सकता है. तब से लोग बहुत सतर्क हो गए हैं और इसी के चलते नौसेना की उपस्थिति ने उन्हें और अधिक संदिग्ध बना दिया है. बिल और सीजेडएमपी ने अविश्वास पैदा किया है और अब लोग किसी के भी आने पर संदेह करते हैं. यही मूल कारण है.’