इलाहाबाद के टीबी सप्रू अस्पताल का मामला. कोरोना के एक मरीज़ अस्पताल से बीते आठ मई से लापता हैं. हाईकोर्ट की पीठ ने ज़िला प्रशासन की खिंचाई करते हुए कहा कि न तो ज़िला प्रशासन, न ही पुलिस और न ही अस्पताल प्रशासन मरीज़ के लापता होने पर गंभीर दिखाई दे रहे हैं, जबकि उनकी लापता रिपोर्ट दर्ज हुए तीन महीने से अधिक समय हो गया है.
लखनऊः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अस्पताल से कोविड-19 मरीज के लापता होने के बाद शहर के एक अस्पताल और जिला प्रशासन के अधिकारियों को फटकार लगाई है. यह मरीज आठ मई से लापता है और अभी तक इसका कोई पता नहीं चल पाया है.
हाईकोर्ट की दो जजों की पीठ ने राज्य सरकार को लापता मरीज का पता लगाने और उसे सुनवाई की अगली तारीख तक पेश करने का निर्देश दिया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, लापता मरीज रामलाल यादव नई दिल्ली के विद्युत विभाग में जूनियर इंजीनियर हैं. उनके एक संबंधी की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने गुरुवार को कहा कि यह मामला गंभीर है.
अदालत ने घोर लापरवाही दिखाने के लिए प्रथमदृष्टया अस्पताल प्रशासन और डॉक्टरों की आलोचना की.
जस्टिस सूर्य प्रकाश केसरवानी और जस्टिस पीयूष अग्रवाल की पीठ ने कहा कि जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) द्वारा अपने हलफनामे में बताए गए तथ्यों से इलाहाबाद के टीबी सप्रू अस्पताल की दयनीय स्थिति का पता चलता है, जहां सीसीटीवी कैमरा भी काम नहीं कर रहे.
अदालत ने कहा कि यह निर्विवाद है कि यादव को कोविड-19 से संक्रमित पाए जाने के बाद इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
पीठ ने जिला प्रशासन की खिंचाई करते हुए कहा, ‘न ही जिला प्रशासन, न ही पुलिस और न ही अस्पताल प्रशासन यादव के लापता होने पर गंभीर दिखाई दे रहे हैं, जबकि उनकी लापता रिपोर्ट दर्ज हुए तीन महीने से अधिक समय हो गया है.’
अदालत में अपने हलफनामे में इलाहाबाद के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) ने कहा कि अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) का अस्पताल पर प्रशासनिक और वित्तीय नियंत्रण है.
18 अगस्त को सीएमएस द्वारा दी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि राम लालयादव आठ मई की सुबह अस्पताल के अपने बेड से लापता हो गए थे.
एसएसपी ने कहा कि अस्पताल के सीसीटीवी कैमरा काम नहीं कर रहे थे और स्थानीय चौकी के प्रभारी अधिकारी को सीसीटीवी फुटेज नहीं मिल सकी. एसएसपी ने कहा कि यादव का पता लगाने के कई प्रयास किए गए.
अदालत ने कहा कि मामले में न सिर्फ घोर लापरवाही हुई है, बल्कि इससे अधिकारियों, टीबी सप्रू अस्पताल के डॉक्टरों और स्टाफ के द्वारा कर्तव्यों की अवहेलना और अस्पताल में कोविड मरीजों के इलाज, उनकी देखभाल और सुरक्षा को लेकर लापरवाही का भी पता चलता है.
अदालत ने कहा कि मामले पर मेडिकल स्वास्थ्य एवं गृह विभाग के प्रमुख सचिवों के तत्काल ध्यान देने की जरूरत है, ताकि इस ओर त्वरित कार्रवाई की जा सके, ऐसा न करने पर अदालत सुनवाई के दौरान इन दोनों प्रमुख सचिव/अपर मुख्य सचिव के व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित रहने पर विचार कर सकती है.