पश्चिम बंगाल: प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने किया अलग राज्य की मांग का समर्थन

भाजपा सांसद और केंद्रीय मंत्री जॉन बारला ने जून में उत्तर बंगाल के सभी ज़िलों को मिलाकर एक केंद्रशासित प्रदेश बनाने की मांग की थी. इसके बाद भाजपा सांसद सौमित्र खान ने मेदिनीपुर, बांकुरा और पुरुलिया ज़िलों के वन क्षेत्रों को मिलाकर जंगलमहल को अलग राज्य बनाने की मांग की. अब प्रदेश भाजपाध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा है कि अगर एक अलग राज्य की मांग जोर पकड़ती है, तो इसकी ज़िम्मेदारी ममता बनर्जी को लेनी होगी.

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दिलीप घोष. (फोटो साभार: फेसबुक)

भाजपा सांसद और केंद्रीय मंत्री जॉन बारला ने जून में उत्तर बंगाल के सभी ज़िलों को मिलाकर एक केंद्रशासित प्रदेश बनाने की मांग की थी. इसके बाद भाजपा सांसद सौमित्र खान ने मेदिनीपुर, बांकुरा और पुरुलिया ज़िलों के वन क्षेत्रों को मिलाकर जंगलमहल को अलग राज्य बनाने की मांग की. अब प्रदेश भाजपाध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा है कि अगर एक अलग राज्य की मांग जोर पकड़ती है, तो इसकी ज़िम्मेदारी ममता बनर्जी को लेनी होगी.

दिलीप घोष. (फोटो साभार: फेसबुक)

कोलकाता: पश्चिम बंगाल के भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने शनिवार को उत्तर बंगाल में अलग राज्य और पूर्व माओवाद प्रभावित जंगलमहल की मांग को अपना समर्थन दिया और ममता बनर्जी के ‘कुशासन’ को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया.

अलीपुरद्वार से पार्टी सांसद और केंद्रीय मंत्री जॉन बारला के साथ जलपाईगुड़ी में मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए घोष ने कहा, ‘अगर एक अलग उत्तर बंगाल या जंगलमहल की मांग जोर पकड़ती है, तो इसकी जिम्मेदारी ममता बनर्जी को लेनी होगी.’

घोष ने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेतृत्व वाली सरकार ने उत्तर बंगाल या जंगलमहल में विकास के लिए कुछ नहीं किया.

उन्होंने कहा, ‘इन क्षेत्रों के लोगों को शिक्षा, नौकरी के लिए बाहर क्यों जाना पड़ता है? कोई अच्छी चिकित्सा सुविधा या शैक्षणिक संस्थान क्यों नहीं है?’

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा, ‘जंगलमहल में भी यही स्थिति है. वहां की महिलाओं को दो वक्त की रोटी के लिए साल के पत्ते क्यों बेचने पड़ते हैं? वहां के लोग काम के लिए झारखंड, ओडिशा और गुजरात क्यों जाते हैं? अब अगर लोगों ने ऐसी मांगें की हैं (जंगलमहल और उत्तर बंगाल में अलग राज्य) तो यह अन्याय नहीं है.

घोष ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) बंगाल के विभाजन का समर्थन नहीं करती है. घोष ने कहा कि जनप्रतिनिधि के रूप में बारला अलीपुरद्वार के लोगों की मांग को रख रहे थे.

जलपाईगुड़ी की यात्रा के दौरान प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने कहा, ‘लोगों की आवाज उठाने के लिए उन्हें (बारला) अलगाववादी नहीं कहा जा सकता है.’

बता दें कि केंद्रीय मंत्री बारला जून में विवादों में घिर गए थे क्योंकि उन्होंने उत्तर बंगाल के सभी जिलों को मिलाकर एक केंद्रशासित प्रदेश बनाने की मांग की थी. उस वक्त घोष ने कहा था कि बारला ने निजी तौर पर यह टिप्पणी की है और भाजपा इसके पक्ष में नहीं है.

बारला द्वारा उत्तर बंगाल के लिए केंद्रशासित प्रदेश बनाने की मांग के बाद भाजपा के सांसद सौमित्र खान ने पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर, बांकुरा और पुरुलिया जिलों के वन क्षेत्रों को मिलाकर जंगलमहल को अलग राज्य बनाने की मांग की थी.

घोष के बयानों पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए टीएमसी के प्रदेश महासचिव कुणाल घोष ने जानना चाहा कि ‘अगर उत्तर बंगाल के लोग जाहिर तौर पर यही चाहते हैं’ तो विधानसभा चुनाव के दौरान एक अलग केंद्र शासित प्रदेश की मांग क्यों नहीं उठाई गई.

उन्होंने कहा, ‘दिलीप बाबू या दिल्ली के नेता विधानसभा चुनावों के लिए अपने प्रचार के दौरान एक रुख अपनाते हुए क्यों नहीं बोल रहे थे? यह पाखंड क्यों?’

तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता ने कहा, ‘अगर भाजपा ने इस तरह की राय पहले जाहिर की होती, तो पश्चिम बंगाल के मतदाता उसके रुख से अवगत होते.’

वहीं, घोष की टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य मंत्री फिरहाद हाकिम ने कहा कि भाजपा ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति में विश्वास करती है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)