विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा है कि भारत का पूरा ध्यान अफ़ग़ानिस्तान में फ़ंसे अपने नागरिकों को वापस लाने पर है. काबुल में किसी इकाई के सरकार बनाने को लेकर अभी कोई स्पष्टता नहीं है या स्पष्टता की कमी है और अभी कुछ कहना जल्दबाज़ी होगी.
नई दिल्लीः अफगानिस्तान में काबुल हवाईअड्डे के बाहर आत्मघाती हमले में 100 से अधिक लोगों के मारे जाने की घटना के एक दिन बाद शुक्रवार को भारत ने कहा कि उसका पूरा ध्यान अफगानिस्तान से शेष भारतीयों को वापस लाने पर है.
भारत ने कहा कि तालिबान को मान्यता देने या नहीं देने का सवाल अभी प्रासंगिक नहीं है, क्योंकि पड़ोसी देश में सरकार गठन को लेकर अभी स्पष्टता की कमी है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा, ‘भारत का पूरा ध्यान अफगानिस्तान में फंसे अपने नागरिकों को वापस लाने पर है.’
उन्होंने कहा कि खराब होती सुरक्षा स्थिति के कारण बुधवार (25 अगस्त) को काबुल हवाईअड्डे से भारत के लिए उड़ान भरने वाले विमान पर सवार होने के लिए करीब 20 भारतीय और अफगानिस्तान के कई लोग नहीं पहुंच सके.
बागची ने कहा कि अफगानिस्तान से अपने घर लौटने को इच्छुक अधिकांश भारतीय नागरिकों को वहां से बाहर निकाल लिया गया है और वह पड़ोसी देश की स्थिति पर सावधानीपूर्वक नजर रखे हुए हैं.
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत, अफगानिस्तान में तालिबान को मान्यता देगा?
बागची ने कहा, ‘काबुल में किसी इकाई के सरकार बनाने को लेकर अभी कोई स्पष्टता नहीं है या स्पष्टता की कमी है और अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी.’
बागची ने कहा, ‘जमीनी स्थिति अनिश्चित है. हमारी मुख्य चिंता अपने लोगों की सुरक्षा से जुड़ी है. अभी काबुल में किसी इकाई के सरकार बनाने को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है या स्पष्टता की कमी है. हम स्थिति पर नजर रखे हुए हैं.’
एक अन्य सवाल का जवाब देते हुए बागची ने कहा कि ऐसी खबरें है कि अफगानिस्तान के सिखों सहित वहां के कुछ नागरिक 25 अगस्त को काबुल हवाईअड्डे तक नहीं पहुंच सके, इसलिए हमारे विमान को उनके बिना ही आना पड़ा.
उन्होंने कहा, ‘कुछ भारतीय थे, जिनके बिना हमें आना पड़ा. मैं कहूंगा लगभग 20 भारतीय थे, लेकिन दोबारा कहता हूं कि मेरे पास सटीक आंकड़ा नहीं है. हम उन तक पहुंच बनाने की कोशिश कर रहे थे, जैसा कि आपने भी देखा कि हवाईअड्डे पर अफरातफरी का माहौल था. वे (भारतीय) विमान तक नहीं पहुंच सके, इसलिए हमारे विमान को इन भारतीयों के बिना ही आना पड़ा.’
एमईए प्रवक्ता ने कहा कि देश का प्रमुख ध्यान भारतीयों को अफगानिस्तान से निकालने पर रहेगा, लेकिन हम इसके साथ ही अफगानिस्तान के उन लोगों के साथ भी खड़े हैं, जो भारतीयों के साथ खड़े रहे.
यह पूछे जाने पर कि क्या तालिबान के साथ पर्दे के पीछे किसी वार्ता में भारत शामिल है?
बागची ने कहा कि भारत सभी पक्षकारों के संपर्क में है और अफगानिस्तान के ताजा घटनाक्रमों को लेकर वह सहयोगी देशों के संपर्क में बना रहेगा.
उन्होंने कहा, ‘हमारा संपूर्ण आकलन यह है कि भारतीयों की अधिकाधिक संख्या को वहां से निकाल लिया गया है और कुछ अन्य भारतीयों के अफगानिस्तान में होने की संभावना है. मेरे पास अभी इनकी वास्तविक संख्या नहीं है.’
भारत द्वारा अफगानिस्तान से सुरक्षित लाए गए अफगान नागरिकों की स्थिति के बारे में पूछने पर बागची ने भारत सरकार की ओर से प्रदान की गई ई-वीजा सुविधा का भी जिक्र किया.
उन्होंने कहा, ‘वे (अफगान नागरिक) फिलहाल छह महीने के वीजा पर हैं.’
अफगानिस्तान की महिला सांसद रंगीना करगर को दिल्ली हवाईअड्डे से वापस भेजने संबंधी एक सवाल के जवाब में बागची ने कहा कि ऐसा कई समस्याओं की वजह से हुआ.
उन्होंने कहा, ‘15 अगस्त के बाद वहां सुरक्षा स्थिति खराब हो गई और ऐसी खबरें आईं कि कुछ लोगों के एक समूह ने काबुल में हमारी आउटसोर्सिंग एजेंसियों पर धावा बोल दिया, जहां भारतीय वीजा के साथ अफगान पासपोर्ट थे.’
प्रवक्ता ने कहा कि घटना के बाद भारतीय प्रशासन हाई अलर्ट पर है.
उन्होंने कहा, ‘हमने ई-वीजा सुविधा शुरू की. ऐसा प्रतीत होता है कि इसके कारण कुछ भ्रम उत्पन्न हो गया, जिससे अफगानिस्तान के कुछ नागरिकों को प्रवेश देने से मना करने की दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई. हालांकि अफगानिस्तान के कई नागरिकों को भारत लाया गया.’
एमईए प्रवक्ता ने कहा कि भारत अब तक छह उड़ानों से 550 से अधिक लोगों को भारत वापस लाया है. इन्हें या तो सीधे काबुल से या ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे के जरिये लाया गया है.
उन्होंने कहा, ‘अफगानिस्तान से लाए गए इन लोगों में 260 से अधिक भारतीय नागरिक हैं. हालांकि, इस संख्या में भारतीय दूतावास के कर्मचारियों की संख्या शामिल नहीं हैं, जिन्हें भी लाया गाया है.’
इसके अलावा भारत ने अन्य एजेंसियों के जरिये भी नागरिकों को अफगानिस्तान से सुरक्षित देश लेकर आया है.
बागची ने कहा कि भारत शांतिपूर्ण, समृद्ध और लोकतांत्रिक अफगानिस्तान पर जोर देता है.
मालूम हो कि काबुल हवाईअड्डे के बाहर गुरुवार को घातक विस्फोट ऐसे समय में हुआ, जब अमेरिका एवं कुछ अन्य देश अपने नागरिकों और अफगानिस्तान के अपने सहयोगियों को बाहर निकाल रहे हैं.
गुरुवार को काबुल हवाईअड्डे के पास किए गए दो आत्मघाती हमलों में 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई. मृतकों में 95 से अधिक अफगान नागरिक और 13 अमेरिकी सैनिक शामिल हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)