यह भारत का निशानेबाज़ी प्रतियोगिता में भी पहला पदक है. टोक्यो पैरालंपिक में भी यह देश का पहला स्वर्ण पदक है. अवनि पैरालंपिक खेलों में पदक जीतने वाली तीसरी भारतीय महिला हैं. निशानेबाज़ अवनि के अलावा पहली बार पैरालंपिक खेल रहे सुमित अंतिल ने भाला फेंक स्पर्धा में स्वर्ण अपने नाम किया है. भारत ने अब तक एथलेटिक्स में एक स्वर्ण, तीन रजत और एक कांस्य से कुल पांच पदक जीत लिए हैं. यह पिछले 2016 रियो पैरालंपिक (चार पदक) से बेहतर प्रदर्शन है.
टोक्यो/नई दिल्ली: भारत की अवनि लेखरा ने सोमवार को टोक्यो पैरालंपिक खेलों की निशानेबाजी प्रतियोगिता में महिलाओं के आर-2 10 मीटर एयर राइफल के क्लास एसएच1 में स्वर्ण पदक जीतकर भारतीय खेलों में नया इतिहास रचा.
अवनि के अलावा पहली बार पैरालंपिक खेल रहे सुमित अंतिल ने सोमवार को टोक्यो पैरालंपिक के भाला फेंक स्पर्धा में स्वर्ण अपने नाम किया है.
एथलेटिक्स में दिन के स्टार 23 साल के सुमित रहे. हरियाणा के सोनीपत के सुमित ने अपने पांचवें प्रयास में 68.55 मीटर दूर तक भाला फेंका, जो दिन का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन और एक नया विश्व रिकॉर्ड था. 2015 में मोटरबाइक दुर्घटना में उन्होंने बायां पैर घुटने के नीचे से गंवा दिया था.
इसके अलावा स्टार पैरा एथलीट और दो बार के स्वर्ण पदक विजेता देवेंद्र झाझरिया पैरालंपिक खेलों की भाला फेंक स्पर्धा में सोमवार को अपना तीसरा पदक रजत पदक के रूप में जीता, जबकि चक्का फेंक के एथलीट योगेश कथूनिया ने भी दूसरा स्थान हासिल किया. सुंदर सिंह गुर्जर ने भी कांस्य पदक जीता. वह पुरुषों के भाला फेंक के एफ-46 स्पर्धा में झाझरिया के बाद तीसरे स्थान पर रहे.
जयपुर की रहने वाली यह 19 वर्षीय निशानेबाज अवनि पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बन गई हैं. रविवार को भाविनाबेन पटेल ने महिला टेबल टेनिस में रजत पदक जीता था. भारतीय पैरालंपिक समिति की अध्यक्ष दीपा मलिक रियो पैरालंपिक 2016 में गोला फेंक में रजत पदक जीतकर इन खेलों में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी थीं.
अवनि की रीढ़ की हड्डी में 2012 में कार दुर्घटना में चोट लग गई थी. उन्होंने 249.6 अंक बनाकर विश्व रिकॉर्ड की बराबरी की. यह पैरालंपिक खेलों का नया रिकॉर्ड है.
अवनि से पहले भारत की तरफ से पैरालंपिक खेलों में मुरलीकांत पेटकर (पुरुष तैराकी, 1972), देवेंद्र झाझरिया (पुरुष भाला फेंक, 2004 और 2016) तथा मरियप्पन थंगावेलु (पुरुष ऊंची कूद, 2016) ने स्वर्ण पदक जीते थे.
अवनि ने कहा, ‘मैं अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर सकती. मुझे ऐसा लग रहा है जैसे कि मैं दुनिया में शीर्ष पर हूं. इसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता.’
यह भारत का इन खेलों की निशानेबाजी प्रतियोगिता में भी पहला पदक है. टोक्यो पैरालंपिक में भी यह देश का पहला स्वर्ण पदक है. अवनि पैरालंपिक खेलों में पदक जीतने वाली तीसरी भारतीय महिला हैं.
उन्होंने कहा, ‘मैं बहुत खुश हूं कि मैंने अपना योगदान दिया. उम्मीद है कि आगे हम और पदक जीतेंगे.’
इस बीच पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग एसएच-1 स्पर्धा में भारत के महावीर स्वरूप उनहालकर चौथे स्थान पर रहे. उनहालकर ने कुल 203.9 अंक बनाए. कोल्हापुर का यह 34 वर्षीय निशानेबाज एक समय आगे चल रहा था, लेकिन छठी सीरीज में 9.9 और 9.5 अंक बनाने से वह पदक की दौड़ से बाहर हो गए.
"I can't describe this feeling, I'm feeling like I'm on top of the world. It's unexplainable."
– @AvaniLekhara 🥇 #IND @ParalympicIndia @paralympics #ShootingParaSport #Paralympics pic.twitter.com/qnlDjCpLor
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भारत के एक अन्य निशानेबाज दीपक क्वालीफाइंग दौर में ही बाहर हो गए. उन्होंने 592.6 अंक के साथ 20वां स्थान हासिल किया था. उनहालकर 615.2 अंक के साथ सातवें स्थान पर रहकर आठ खिलाड़ियों के फाइनल्स में पहुंचे थे.
अवनि ने असाका शूटिंग रेंज पर फाइनल में चीन की रियो पैरालंपिक की स्वर्ण पदक विजेता झांग कुइपिंग (248.9 अंक) को पीछे छोड़ा. यूक्रेन की विश्व में नंबर एक और मौजूदा विश्व चैंपियन इरियाना शेतनिक (227.5) ने कांस्य पदक जीता.
अवनि ने कहा, ‘मैं स्वयं से यही कह रही थी कि मुझे एक बार केवल एक शॉट पर ध्यान देना है. अभी बाकी कुछ मायने नहीं रखता. केवल एक शॉट पर ध्यान दो.’
उन्होंने कहा, ‘मैं केवल अपने खेल पर ध्यान दे रही थी. मैं स्कोर या पदक के बारे में नहीं सोच रही थी.’
अवनि ने अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में अपना पहला पदक जीता. वह 2019 में विश्व चैंपियनशिप में चौथे स्थान पर रही थीं. पहली बार पैरालंपिक में भाग ले रहीं विश्व में पांचवीं रैंकिंग की अवनि ने क्वालीफिकेशन और फाइनल्स दोनों में लगातार 10 से अधिक के स्कोर बनाए.
वह विश्व रिकॉर्ड तोड़ने के करीब थीं, लेकिन आखिर में 9.9 के दो स्कोर से ऐसा नहीं कर पाईं.
अवनि ने इससे पहले क्वालीफिकेशन राउंड में 21 निशानेबाजों के बीच सातवें स्थान पर रहकर फाइनल्स में प्रवेश किया था. उन्होंने 60 सीरीज के छह शॉट के बाद 621.7 का स्कोर बनाया, जो शीर्ष आठ निशानेबाजों में जगह बनाने के लिए पर्याप्त था.
अवनि मिश्रित 10 मीटर एयर राइफल प्रोन एसएच1, महिलाओं की 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन एसएच1 और मिश्रित 50 मीटर राइफल प्रोन में भी हिस्सा लेंगी.
Extraordinary performance by @AvaniLekhara as she becomes 1st 🇮🇳 woman to win a Gold medal at the Paralympic or Olympic Games
Our heartiest congratulations on your victory and for taking India to greater heights🙂
🇮🇳 is proud of you!!#Cheer4India#Praise4Para#Paralympics pic.twitter.com/6aJ2cScAD3
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एसएच1 राइफल वर्ग में वे निशानेबाज शामिल होते हैं, जो हाथों से बंदूक थाम सकते हैं, लेकिन उनके पांवों में विकार होता है. इनमें से कुछ एथलीट ह्वीलचेयर पर बैठकर जबकि कुछ खड़े होकर प्रतिस्पर्धा में भाग लेते हैं.
अवनि को उनके पिता ने खेलों में जाने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने पहले निशानेबाजी और तीरंदाजी दोनों खेलों में हाथ आजमाए. उन्हें निशानेबाजी अच्छी लगी.
अवनि ने निशानेबाजी से जुड़ने के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘वह 2015 की गर्मियों की छुट्टियों की बात है, जब मेरे पिताजी मुझे निशानेबाजी रेंज में ले गए थे. मैंने कुछ शॉट लिए और वे सही निशाने पर लगे. मैंने इसे एक शौक के रूप में शुरू किया था और आज मैं यहां हूं.’
छह साल पहले निशानेबाजी में उतरने के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और इस खेल का पूरा लुत्फ उठाया.
उन्होंने कहा, ‘जब मैं राइफल उठाती हूं तो मुझे उसमें अपनापन लगता है. मुझे उसके प्रति जुड़ाव महसूस होता है. निशानेबाजी में आपको एकाग्रता और निरंतरता बनाये रखनी होती है और यह मुझे पसंद है.’
उन्होंने 2015 में जयपुर के जगतपुरा खेल परिसर में निशानेबाजी शुरू की थी. कानून की छात्रा अवनि ने संयुक्त अरब अमीरात में विश्व कप 2017 में भारत की तरफ से पदार्पण किया था.
राजस्थान में सहायक वन संरक्षक के पद पर कार्यरत अवनि को भारत सरकार ने 2017 में लक्ष्य ओलंपिक पोडियम कार्यक्रम (टॉप्स) में शामिल किया था. इससे उन्होंने 12 अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं और राष्ट्रीय कोचिंग शिविरों में भाग लिया.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को पैरालंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला अवनि लेखरा को उनकी शानदार उपलब्धि पर बधाई दी और कहा कि उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन से भारत प्रफुल्लित है.
राष्ट्रपति ने एक ट्वीट में कहा, ‘भारत की एक और बेटी ने हमें गर्व करने का मौका दिया है. इतिहास रचने और पैरालंपिक में स्वर्ण जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनने पर अवनि लेखरा को बधाइयां. आपके उत्कृष्ट प्रदर्शन से भारत प्रफुल्लित है. आपकी असाधारण उपलब्धि से पोडियम पर हमारा तिरंगा लहराया.’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनके प्रदर्शन की प्रशंसा की.
मोदी ने ट्वीट किया, ‘अविस्मरणीय प्रदर्शन अवनि लेखरा. कड़ी मेहनत की बदौलत स्वर्ण जीतने पर बधाई जिसकी आप हकदार भी थी. कर्मशील स्वभाव और निशानेबाजी के प्रति जज्बे से आपने ऐसा संभव कर दिखाया. भारतीय खेलों के लिए यह एक विशेष क्षण है. आपको भविष्य के लिए शुभकामनाएं.’
प्रधानमंत्री ने उनसे फोन पर भी बात की और उन्हें बधाई दी.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को टोक्यो पैरालंपिक की निशानेबाजी प्रतियोगिता में महिलाओं के 10 मीटर एयर राइफल में स्वर्ण पदक जीतने पर अवनि लेखरा तथा कुछ अन्य एथलीट के पदक जीतने पर उन्हें बधाई दी और कहा कि इन खिलाड़ियों ने भारत को गौरवान्वित किया है.
#IND, take a breath – we know its been some Monday morning for you! 😁🔥
🌟 Avani Lekhara's #Gold
🌟 Yogesh Kathuniya's #Silver
🌟 Devendra Jhajharia's #Silver
🌟 Sundar Singh Gurjar's #BronzeLet that sink in. 🙂#Paralympics #ParaAthletics #ShootingParaSport #Tokyo2020 pic.twitter.com/WJltwE75Aj
— Olympic Khel (@OlympicKhel) August 30, 2021
उन्होंने ट्वीट किया, ‘दिन की शुरुआत अवनि लेखरा के स्वर्ण जीतने की शानदार खबर सुनने के साथ हुई. बहुत बहुत बधाई. एक और बेटी ने भारत को गौरवान्वित किया.’
राहुल गांधी ने पदक जीतने वाले दूसरे एथलीट योगेश कथूनिया, देवेंद्र झाझरिया और सुंदर सिंह गुर्जर को भी बधाई दी.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने अवनि लेखरा को बधाई देते हुए कहा, ‘शानदार प्रदर्शन अवनि लेखरा जी. स्वर्ण पदक के लिए आपको ढेर सारी बधाई एवं शुभकामनाएं. पूरे देश के लिए यह गौरव का क्षण है. जय हिंद.’
कभी हार नहीं मानी ‘गोल्डन गर्ल’ अवनि लेखरा ने
अवनि लेखरा को 2012 में हुई एक कार दुर्घटना के बाद ह्वीलचेयर का सहारा लेना पड़ा, क्योंकि उनके पैर हिल-डुल नहीं पाते थे लेकिन यह हादसा उनके और उनके परिवार के इरादों को जरा भी नहीं डिगा सका और उन्होंने सभी तरह की परिस्थितियों का डटकर सामना किया.
इस दुर्घटना में अवनि की रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट लगी थी. उनके पिता के जोर देने पर उन्होंने निशानेबाजी करना शुरू किया.
पूर्व ओलंपिक निशानेबाज सुमा शिरूर की देखरेख में वह ट्रेनिंग करने लगीं. वह ‘फुल-टाइम’ निशानेबाज नहीं बनना चाहती थीं लेकिन बीजिंग ओलंपिक 2008 के स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा (भारत के पहले ओलंपिक व्यक्तिगत स्वर्ण पदक विजेता निशानेबाज) की आत्मकथा ‘अ शॉट ऐट ग्लोरी’ पढ़ने के बाद वह इतनी प्रेरित हुईं कि उन्होंने अपने पहले ही पैरालंपिक में इतिहास रच दिया.
कोविड-19 महामारी से उनकी टोक्यो पैरालंपिक की तैयारियों पर असर पड़ा, जिसमें उनके लिए जरूरी फिजियोथेरेपी दिनचर्या सबसे ज्यादा प्रभावित हुई.
लेखरा ने कहा, ‘रीढ़ की हड्डी के विकार के कारण कमर के निचले हिस्से में मुझे कुछ महसूस नहीं होता, लेकिन मुझे फिर भी हर दिन पैरों का व्यायाम करना होता है.’
उन्होंने कहा, ‘एक फिजियो रोज मेरे घर आकर व्यायाम में मेरी मदद करता था और पैरों की स्ट्रेचिंग करवाता था, लेकिन कोविड-19 के बाद से मेरे माता-पिता व्यायाम करने में मेरी मदद करते हैं. वे जितना बेहतर कर सकते हैं, करते हैं.’
कमर के निचले हिस्से के लकवाग्रस्त हो जाने के कारण उनके लिए पढ़ाई ही एकमात्र विकल्प बचा था, लेकिन जिंदगी ने उनके लिए कुछ और संजोकर रखा था.
गर्मियों की छुट्टियों में 2015 में राइफल उठाने के बाद लेखरा ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में काफी अच्छा प्रदर्शन किया और फिर वो यात्रा शुरू हुई, जिसमें उन्होंने खेल के शीर्ष स्तर पर सबसे बड़ा पुरस्कार हासिल कर इतिहास रच दिया.
टोक्यो से बात करते हुए लेखरा ने कहा, ‘मैं सभी भारतीयों को यह पदक समर्पित करती हूं. यह तो शुरुआत है. मुझे आगे और स्पर्धाओं में भाग लेना है तथा और पदक जीतने हैं. मेरे अभी तीन और मैच हैं और मैं उन पर ध्यान लगाए हूं. अपना शत प्रतिशत दूंगी.’
उन्होंने 2017 में बैंकाक में डब्ल्यूएसपीएस विश्व कप में कांस्य पदक जीता. इसके बाद उन्होंने क्रोएशिया में 2019 में और संयुक्त अरब अमीरात में हुए अगले दो विश्व कप में इस पदक का रंग बेहतर करते हुए रजत पदक अपने नाम किए.
उनकी ट्रेनर शिरूर टोक्यो में उनके साथ ही हैं. वह ओलंपिक में भारतीय राइफल निशानेबाज दिव्यांश सिंह पंवार और ऐश्वर्य प्रताप सिंह तोमर का मार्गदर्शन भी कर रही थीं.
शिरूर ने कहा, ‘मुझे अवनि के साथ होना ही था, यह खेलों का अंतिम लक्ष्य था. मैं खुश हूं कि उसने स्वर्ण पदक जीता.’
भाला फेंक खिलाड़ियों का शानदार प्रदर्शन, सुमित ने विश्व रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण पदक जीता
निशानेबाज अवनि लखेरा के अलावा पहली बार पैरालंपिक खेल रहे सुमित अंतिल ने एफ-64 स्पर्धा में कई बार अपना ही विश्व रिकॉर्ड तोड़ा, जबकि अनुभवी देवेंद्र झाझरिया ने एफ-46 स्पर्धा में अपना तीसरा पदक रजत के रूप में जीता, जिससे भाला फेंक एथलीटों ने भारत के लिये पैरालंपिक खेलों की ट्रैक एवं फील्ड स्पर्धा में शानदार प्रदर्शन दिखाया.
"My focus is to enhance my performance & the medal will eventually follow"- #SumitAntil, Gold Medalist, Tokyo #Paralympics & World Record Holder in Javelin Throw F64 category
Many congratulations to Sumit for clinching 🇮🇳's 2nd 🥇at #Tokyo2020 by breaking your own World Record! pic.twitter.com/n0ggL2cvs4
— SAI Media (@Media_SAI) August 30, 2021
एक अन्य भाला फेंक एथलीट सुंदर सिंह गुर्जर ने झाझरिया की स्पर्धा में कांस्य पदक जीता, जबकि चक्का फेंक के एथलीट योगेश कथूनिया ने एफ-56 स्पर्धा रजत पदक हासिल किया.
एथलेटिक्स में दिन के स्टार 23 साल के सुमित रहे. हरियाणा के सोनीपत के सुमित ने अपने पांचवें प्रयास में 68.55 मीटर दूर तक भाला फेंका, जो दिन का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन और एक नया विश्व रिकॉर्ड था. 2015 में मोटरबाइक दुर्घटना में उन्होंने बायां पैर घुटने के नीचे से गंवा दिया था.
बल्कि उन्होंने 62.88 मीटर के अपने ही पिछले विश्व रिकॉर्ड को दिन में पांच बार बेहतर किया. हालांकि उनका अंतिम थ्रो ‘फाउल’ रहा. उनके थ्रो की सीरीज 66.95, 68.08, 65.27, 66.71, 68.55 और फाउल रही.
सुमित ने इस प्रदर्शन के बाद कहा, ‘ट्रेनिंग में मैंने कई बार भाला 71 मीटर और 72 मीटर फेंका था. नहीं जानता कि प्रतिस्पर्धा के दौरान क्या हो गया. एक चीज निश्चित है कि भविष्य में मैं इससे कहीं बेहतर थ्रो करूंगा.’
आस्ट्रेलिया के मिचाल बुरियन (66.29 मीटर) और श्रीलंका के डुलान कोडिथुवाक्कू (65.61 मीटर) ने क्रमश: रजत और कांस्य पदक जीते.
एफ-64 स्पर्धा में एक पैर कटा होने वाले एथलीट कृत्रिम अंग (पैर) के साथ खड़े होकर हिस्सा लेते हैं.
दिल्ली के रामजस कॉलेज के छात्र सुमित अंतिल दुर्घटना से पहले पहलवान थे. दुर्घटना के बाद उनके बायें पैर को घुटने के नीचे से काटना पड़ा. उनके गांव के एक पैरा एथलीट 2018 में उन्हें इस खेल के बारे में बताया.
SPEECHLESS 🤩
🔥 Sumit Antil sets a WR with his first 66.95m throw!
🔥 Breaks his OWN WR with his second 68.08m attempt!
🔥 Breaks it yet AGAIN in his 5th attempt with 68.55m
🔥 Wins the Men's Javelin F64 #Gold for #IND! #Tokyo2020 #Paralympics #ParaAthletics pic.twitter.com/q3Nl2m1dLM— Olympic Khel (@OlympicKhel) August 30, 2021
कृत्रिम पैर के कारण शुरू में उन्हें काफी मुश्किल हुई जिसमें दर्द के साथ रक्तस्राव भी होता था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और डटे रहे.
भारतीय सेना में जेडब्ल्यूओ अधिकारी के बेटे सुमित पटियाला में पांच मार्च को पटियाला में इंडियन ग्रां प्री सीरीज 3 में ओलंपिक चैंपियन नीरज चोपड़ा के खिलाफ खेले थे, जिसमें वह 66.43 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ सातवें स्थान पर रहे थे जबकि चोपड़ा ने 88.07 मीटर के थ्रो से अपना राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ा था.
अंतिल ने दुबई में 2019 विश्व चैंपियनशिप में एफ-64 भाला फेंक स्पर्धा में रजत पदक जीता था.
भारत ने अब तक एथलेटिक्स में एक स्वर्ण, तीन रजत और एक कांस्य से कुल पांच पदक जीत लिए हैं. यह पिछले 2016 रियो पैरालंपिक (चार पदक) से बेहतर प्रदर्शन है. हालांकि दल के लिए बुरी खबर चक्का केंक एथलीट विनोद कुमार (एफ-52) के कांस्य पदक गंवाने से हुई, जिन्हें उनके विकार के क्लासीफिकेशन के निरीक्षण में ‘अयोग्य’ पाया गया जिससे नतीजा अमान्य हो गया.
भाला फेंक में झाझरिया और चक्का फेंक में कथूनिया को रजत, सुंदर ने जीता कांस्य
स्टार पैरा एथलीट और दो बार के स्वर्ण पदक विजेता देवेंद्र झाझरिया पैरालंपिक खेलों की भाला फेंक स्पर्धा में सोमवार को अपना तीसरा पदक रजत पदक के रूप में जीता, जबकि चक्का फेंक के एथलीट योगेश कथूनिया ने भी दूसरा स्थान हासिल किया, जिससे भारत ने इन खेलों में सर्वाधिक पदक जीतने के अपने पिछले रिकॉर्ड को पीछे छोड़ा.
रजत पदक विजेता- देवेंद्र झाझरिया के बारे में ।#Paralympics #Tokyo #Praise4Para @DevJhajharia pic.twitter.com/Oso2LsnRfC
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सुंदर सिंह गुर्जर ने भी कांस्य पदक जीता. वह पुरुषों के भाला फेंक के एफ-46 स्पर्धा में झाझरिया के बाद तीसरे स्थान पर रहे. एफ-46 में एथलीटों के हाथों में विकार और मांसपेशियों में कमजोरी होती है. इसमें खिलाड़ी खड़े होकर प्रतिस्पर्धा में भाग लेते हैं.
एथेंस (2004) और रियो (2016) में स्वर्ण पदक जीतने वाले 40 वर्षीय झाझरिया ने एफ-46 वर्ग में 64.35 मीटर भाला फेंककर अपना पिछला रिकॉर्ड तोड़ा.
श्रीलंका के दिनेश प्रियान हेराथ ने हालांकि 67.79 मीटर भाला फेंककर भारतीय एथलीट का स्वर्ण पदक की हैट्रिक पूरी करने का सपना पूरा नहीं होने दिया. श्रीलंकाई एथलीट ने अपने इस प्रयास से झाझरिया का पिछला विश्व रिकॉर्ड भी तोड़ा.
झाझरिया जब आठ साल के थे तो पेड़ पर चढ़ते समय दुर्घटनावश बिजली की तार छू जाने से उन्होंने अपना बायां हाथ गंवा दिया था. उनके नाम पर पहले 63.97 मीटर के साथ विश्व रिकॉर्ड दर्ज था.
झाझरिया ने रजत पदक जीतने के बाद कहा, ‘खेल और प्रतियोगिता ऐसा होता है. यहां उतार चढ़ाव लगे रहते हैं. मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया तथा स्वयं के पिछले रिकॉर्ड में सुधार किया. लेकिन ऐसा होता है और आज का दिन उसका (श्रीलंकाई एथलीट) था.’
Congrats: DevJhajharia gets Silver Medal, 64.35m PB & @SundarSGurjar takes #Bronze 64.01m in Men's #Javelin F46 @paraathletics Cheer4India #Praise4Para #Tokyo2020 #Paralympics @narendramodi @ianuragthakur @IndiaSports @Media_SAI @ddsportschannel @TheLICForever @EurosportIN pic.twitter.com/9MJjTirWB5
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सुंदर सिंह गुर्जर ने 64.01 मीटर भाला फेंका जो उनका इस सत्र का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है. इस 25 वर्षीय एथलीट ने 2015 में एक दुर्घटना में अपना बायां हाथ गंवा दिया था. जयपुर के रहने वाले गुर्जर ने 2017 और 2019 विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीते थे. उन्होंने जकार्ता पैरा एशियाई खेल 2018 में रजत पदक जीता था.
गुर्जर अक्सर स्कूल छोड़कर चले जाते थे, क्योंकि उनका पढ़ाई में मन नहीं लगता है. जब वह कक्षा 10 की परीक्षा में अनुत्तीर्ण हुए तो उनके शिक्षक ने उन्हें खेलों से जुड़ने की सलाह दी. गुर्जर घर छोड़कर जयपुर आ गए और चयन ट्रायल के बाद खेल हॉस्टल में भर्ती हो गए.
.@SundarSGurjar is an embodiment of hard work &
determinationWith one great throw after another, Sundar accomplished his dream of winning a medal for India at #Paralympics
Remarkable performance by winning a🥈at #Tokyo2020
Great going Champ!!#Cheer4India #Praise4Para pic.twitter.com/JAD7Zxb98P
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लेकिन दुर्भाग्य से एक दुर्घटना में उन्होंने अपना बायां हाथ गंवा दिया. उन्हें लगा कि वह अब खेलों में भी अपना करिअर नहीं बना पाएंगे और यहां तक कि एक समय वह आत्महत्या करने के बारे में सोचने लगे थे. तब उन्हें पैरा खेलों के बारे में पता चला और उन्होंने कोच एमपी सैनी की देखरेख में अभ्यास शुरू कर दिया.
भारत के एक अन्य एथलीट अजीत सिंह 56.15 मीटर भाला फेंककर नौ खिलाड़ियों के बीच आठवें स्थान पर रहे.
इससे पहले कथूनिया ने पुरुषों के चक्का फेंक के एफ-56 स्पर्धा में रजत पदक जीता था. दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज से बी. कॉम करने वाले 24 वर्षीय कथूनिया ने अपने छठे और आखिरी प्रयास में 44.38 मीटर चक्का फेंककर रजत पदक जीता.
भारत ने 2016 पैरालंपिक खेलों में चार पदक जीते थे, लेकिन टोक्यो पैरालंपिक में वह अभी तक सात पदक जीत चुका है जिसमें एक स्वर्ण पदक भी शामिल है.
आठ साल की उम्र में लकवाग्रस्त होने वाले कथूनिया शुरू में पहले स्थान पर चल रहे थे, लेकिन ब्राजील के मौजूदा चैंपियन बतिस्ता डोस सांतोस 45.59 मीटर के साथ स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहे. क्यूबा के लियानार्डो डियाज अलडाना (43.36 मीटर) ने कांस्य पदक जीता.
विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप के रजत पदक विजेता कथूनिया ने टोक्यो में अपनी स्पर्धा की शुरुआत की. उनका पहला, तीसरा और चौथा प्रयास विफल रहा, जबकि दूसरे और पांचवें प्रयास में उन्होंने क्रमश: 42.84 और 43.55 मीटर चक्का फेंका था.
कथूनिया ने विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2019 में 42.51 मीटर चक्का फेंककर पैरालंपिक के लिए क्वालीफाई किया था.
जब वह किरोड़ीमल कॉलेज में थे, तब कई प्रशिक्षकों ने उनकी प्रतिभा पहचानी. इसके बाद जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में सत्यपाल सिंह ने उनके कौशल को निखारा. बाद में उन्हें कोच नवल सिंह ने कोचिंग दी.
कथूनिया ने 2018 में बर्लिन में पैरा एथलेटिक्स ग्रां प्री के रूप में पहली अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और विश्व रिकॉर्ड बनाया था.
कथूनिया ने कहा कि इस पदक से उनका हौसला बढ़ा है, क्योंकि यह उपलब्धि उन्होंने कोच के बिना हासिल की.
उन्होंने इसके बाद कहा, ‘यह शानदार है. रजत पदक जीतने से मुझे पेरिस 2024 में स्वर्ण पदक जीतने के लिए अधिक प्रेरणा मिली है.’
कथूनिया ने कहा कि खेलों के लिए तैयारी करना मुश्किल था, क्योंकि लॉकडाउन के कारण पिछले डेढ़ वर्ष में अधिकतर समय उन्हें अभ्यास की सुविधाएं नहीं मिल पाई थी.
उन्होंने कहा, ‘पिछले 18 महीनों में तैयारियां करना काफी मुश्किल रहा. भारत में लॉकडाउन के कारण छह महीने प्रत्येक स्टेडियम बंद रहा.’
Exemplary performance by @YogeshKathuniya today!
Congratulations on winning a silver medal at #Paralympics
You are an inspiration to budding athletes and we wish you the best for future competitions
We know you will completely rock it!#Cheer4India #Praise4Para #Tokyo2020 pic.twitter.com/m1SASHUCCq
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कथूनिया ने कहा, ‘जब मैं रोजाना स्टेडियम जाने लगा तो मुझे स्वयं ही अभ्यास करना पड़ा. मेरे पास तब कोच नहीं था और मैं अब भी कोच के बिना अभ्यास कर रहा हूं. यह शानदार है कि मैं कोच के बिना भी रजत पदक जीतने में सफल रहा.’
उन्होंने कहा कि वह अगली बार स्वर्ण पदक जीतने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे.
कथूनिया ने कहा, ‘मैं कड़ी मेहनत करूंगा. मैं स्वर्ण पदक से केवल एक मीटर पीछे रहा लेकिन पेरिस में मैं विश्व रिकॉर्ड तोड़ने का प्रयास करूंगा. आज मेरा दिन नहीं था. मैं विश्व रिकॉर्ड तोड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार था लेकिन ऐसा नहीं कर पाया.’
राष्ट्रपति ने टोक्यो पैरालंपिक में रजत पदक जीतने पर चक्का फेंक एथलीट योगेश कथूनिया को और भाला फेंक स्पर्धा में पदक जीतने वाले देंवेंद्र झाझरिया और सुंदर सिंह गुर्जर को भी बधाई दी.
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘पैरालंपिक में खिलाड़ियों को देश का गौरव बढ़ाते देख बहुत खुशी हो रही है. योगेश कथूनिया ने चक्का फेंक में रजत पदक जीता, देवेंद्र झाझरिया और सुंदर सिंह गुर्जर ने भाला फेंक में क्रमश: रजत और कांस्य पदक जीता. बधाइयां. हर भारतीय आपकी सफलता का गौरव गान कर रहा है.’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी झाझरिया और गुर्जर से बात करके उन्हें उनकी उपलब्धियों के लिए बधाई दी.
विनोद कुमार ने पैरालंपिक कांस्य पदक गंवाया, क्लासिफिकेशन में अयोग्य घोषित किया गया
भारत के चक्का फेंक एथलीट विनोद कुमार ने सोमवार को टूर्नामेंट के पैनल द्वारा विकार के क्लासिफिकेशन निरीक्षण में ‘अयोग्य’ पाए जाने के बाद पैरालंपिक की पुरुषों की एफ52 स्पर्धा का कांस्य पदक गंवा दिया.
बीएसएफ के 41 साल के जवान विनोद कुमार ने रविवार को 19.91 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो से एशियाई रिकॉर्ड बनाते हुए पोलैंड के पियोट्र कोसेविज (20.02 मीटर) और क्रोएशिया के वेलिमीर सैंडोर (19.98 मीटर) के पीछे तीसरा स्थान हासिल किया था.
हालांकि किसी प्रतिस्पर्धी ने इस नतीजे को चुनौती दी.
आयोजकों ने एक बयान में कहा, ‘पैनल ने पाया कि एनपीसी (राष्ट्रीय पैरालंपिक समिति) भारत के एथलीट विनोद कुमार को ‘स्पोर्ट क्लास’ आवंटित नहीं कर पाया और खिलाड़ी को ‘क्लासिफिकेशन पूरा नहीं किया’ (सीएनसी) चिह्नित किया गया.’
इसके अनुसार, ‘एथलीट इसलिए पुरुषों की एफ-52 चक्का फेंक स्पर्धा के लिए अयोग्य है और स्पर्धा में उसका नतीजा अमान्य है.’
एफ-52 स्पर्धा में वो एथलीट हिस्सा लेते हैं, जिनकी मांसपेशियों की क्षमता कमजोर होती है और उनके मूवमेंट सीमित होते हैं, हाथों में विकार होता है या पैर की लंबाई में अंतर होता है जिससे खिलाड़ी बैठकर प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लेते हैं.
पैरा खिलाड़ियों को उनके विकार के आधार पर वर्गों में रखा जाता है. क्लासिफिकेशन प्रणाली में उन खिलाड़ियों को प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति मिलती है जिनका विकार एक सा होता है.
आयोजकों ने 22 अगस्त को विनोद का क्लासिफिकेशन किया था.
विनोद कुमार के पिता 1971 भारत-पाक युद्ध में लड़े थे. सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में जुड़ने के बाद ट्रेनिंग करते हुए वह लेह में एक चोटी से गिर गए थे जिससे उनके पैर में चोट लगी थी. इसके कारण वह करीब एक दशक तक बिस्तर पर रहे थे और इसी दौरान उनके माता-पिता दोनों का देहांत हो गया था.
उनकी स्थिति में 2012 के करीब सुधार हुआ और पैरा खेलों में उनका अभियान 2016 रियो खेलों के बाद शुरू हुआ. उन्होंने रोहतक के भारतीय खेल प्राधिकरण केंद्र में अभ्यास शुरू किया और राष्ट्रीय प्रतियोगिता में दो बार कांस्य पदक जीते.
उन्होंने 2019 में पहली बार अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया जब उन्होंने पेरिस ग्रां प्री में शिरकत की और फिर इसी साल विश्व चैम्पियनशिप में चौथे स्थान पर रहे.
निषाद कुमार को ऊंची कूद में रजत
इससे पहले बीते रविवार को टेबल टेनिस में भाविना पटेल के रजत जीतने के अलावा भारत के निषाद कुमार ने टोक्यो पैरालंपिक की पुरुषों की ऊंची कूद टी-47 स्पर्धा में एशियाई रिकॉर्ड के साथ रजत पदक जीता.
भारत के 24 सदस्यीय एथलेटिक्स दल से इस बार शानदार प्रदर्शन (कम से कम 10 पदक) की उम्मीद है और उसने इसी कड़ी में रविवार को राष्ट्रीय खेल दिवस के मौके पर अच्छी शुरुआत की.
First-ever Paralympic Games and Medal that too on #NationalSportsDay! Thank you @Coach_Satya ji, my family, @Media_SAI @ParalympicIndia, Honble Sh. @narendramodi ji, @ianuragthakur ji, @KirenRijiju ji, @jairamthakurbjp ji and everyone else. I dedicate this🥈to my Mom and 🇮🇳! pic.twitter.com/zdp7w7LDaR
— Nishad_kumarhj (@nishad_hj) August 30, 2021
बहरहाल 21 वर्षीय निषाद कुमार ने 2.06 मीटर की कूद लगाकर एशियाई रिकॉर्ड बनाया और दूसरे स्थान पर रहे. अमेरिका के डलास वाइज को भी रजत पदक दिया गया, क्योंकि उन्होंने और निषाद कुमार दोनों ने समान 2.06 मीटर की कूद लगाई.
एक अन्य अमेरिकी रोडरिक टाउनसेंड ने 2.15 मीटर की कूद के विश्व रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण पदक अपने नाम किया.
इसी स्पर्धा में एक अन्य भारतीय राम पाल 1.94 मीटर की कूद से पांचवें स्थान पर रहे.
हिमाचल प्रदेश के अम्ब शहर के निषाद कुमार के पिता किसान हैं. उनका दायां हाथ खेत पर घास काटने वाली मशीन से कट गया था, तब वह आठ वर्ष के थे. साल के शुरू में जब वह बेंगलुरु के भारतीय प्राधिकरण केंद्र में ट्रेनिंग कर रहे थे तो कोविड-19 से भी संक्रमित हो गए थे.
टी-47 क्लास स्पर्धा में एथलीट के एक हाथ के ऊपरी हिस्से में विकार होता है, जिससे उसके कंधे, कोहनी और कलाई से काम करने पर कुछ असर पड़ता है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, ‘टोक्यो से एक और खुशी की खबर आई है. बहुत खुश हूं कि निषाद कुमार ने पुरुषों की ऊंची कूद टी-47 स्पर्धा में रजत पदक जीत लिया है. वह उत्कृष्ट कौशल वाले शानदार एथलीट हैं. उन्हें बधाई.’
निषाद कुमार ने साल के शुरू में दुबई में हुई फाज्जा विश्व पैरा एथलेटिक्स ग्रां प्री में पुरुषों की ऊंची कूद टी-46/47 स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता था. उन्होंने 2009 में पैरा एथलेटिक्स में हिस्सा लेना शुरू किया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)