चार बार त्रिपुरा के मुख्यमंत्री रहे माकपा नेता माणिक सरकार ने कहा है कि राज्य में भाजपा सभी ‘लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष और अमन पसंद नागरिकों’ पर हमले कर रही है. सरकार ने यह आरोप भी लगाया कि वाम मोर्चे के 16 विधायकों को उनके निर्वाचन क्षेत्रों में जाने से रोका जा रहा है.
नई दिल्ली: त्रिपुरा में विपक्ष पर हुए हिंसक हमले को लेकर राज्य के चार बार मुख्यमंत्री रहे माकपा नेता माणिक सरकार ने कहा कि भाजपा उत्तर-पूर्वी राज्य को ‘एक पार्टी, तानाशाही, फासीवादी सत्ता’ की ‘प्रयोगशाला’ में तब्दील कर रही है.
उन्होंने कहा कि त्रिपुरा में भाजपा सभी ‘लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष और अमन पसंद नागरिकों’ पर हमले कर रही है और ये सिर्फ एक राज्य के लिए चिंता का विषय नहीं होना चाहिए. सरकार ने आरोप लगाया कि वाम मोर्चे के 16 विधायकों को उनके निर्वाचन क्षेत्रों में जाने से रोका जा रहा है.
उन्होंने कहा, ‘विकट स्थिति है. यहां तक कि मुझे राज्य के विभिन्न हिस्सों और अपने निर्वाचन क्षेत्र में कम से कम 15 बार जाने से रोका गया.’
Yesterday, BJP hooligans tried to stop comrade Manik Sarkar from entering into his own constituency and from holding a demonstration at a block office. Comrade Manik Sarkar led the demonstrations despite these attempts by the BJP goons. pic.twitter.com/N2PEircnlt
— CPI (M) (@cpimspeak) September 7, 2021
माणिक सरकार को हाल ही में छह सितंबर को एक रैली को संबोधित करने से रोका गया था. उन्होंने कहा कि कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों पर हमले हुए हैं, वाम मोर्चा, विशेष रूप से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) को ज्यादा नुकसान पहुंचा है.
सरकार ने पत्रकारों से कहा, ‘मुझे ये कहना पड़ रहा है कि त्रिपुरा में भारत का संविधान लागू नहीं होता है.’
उन्होंने कहा कि विपक्ष को किसी भी लोकतांत्रिक गतिविधि को करने से रोकने के लिए भाजपा ने हमलों की योजना बनाई थी. विशेष तौर पर माकपा को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है क्योंकि वे भाजपा के कुशासन के खिलाफ खड़े हैं.
माकपा नेता ने कहा, ‘हम पर हमले हो रहे हैं क्योंकि हम लोगों को आजीविका के मुद्दों पर जोड़ रहे हैं. वे (भाजपा कार्यकर्ता और नेता) हमें जनता से अलग करने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन हम इस राजनीतिक चुनौती को स्वीकार करेंगे और लोगों के पास जाते रहेंगे.’
चार बार के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तरह के हमले साल 2018 में भाजपा के सत्ता में आने के तुरंत बाद शुरू हो गए थे, जब ’90 फीसदी विपक्षी उम्मीदवारों’ को स्थानीय निकाय चुनावों में नामांकन दाखिल करने से रोक दिया गया था.
उन्होंने कहा कि साल 2019 के संसदीय चुनावों में सत्तारूढ़ भाजपा द्वारा धांधली देखी गई, जिससे भारत के चुनाव आयोग को हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर होना पड़ा था.
सरकार ने आरोप लगाया कि सिर्फ विपक्ष ही नहीं, बल्कि राज्य के ज्यादतियों के मामलों को उठाने वाले मीडिया घरानों, पत्रकारों और वकीलों पर भी हमला किया गया है.
#EndBJPsTripuraTerror pic.twitter.com/6mt63CZJTG
— CPI(M) West Tripura (@CPIMWestTripura) September 9, 2021
सरकार के साथ प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने हमलों को ‘सत्तारूढ़ भाजपा द्वारा निंदनीय हिंसा’ कहा.
उन्होंने एक छोटी वीडियो क्लिप भी चलाई गई, जिसमें क्षेत्रीय भाजपा नेताओं को माकपा के खिलाफ कार्यकर्ताओं को भड़काते हुए दिखाया गया था.
क्लिप में कहा गया है कि राज्य में माकपा पार्टी के 43 कार्यालयों में तोड़फोड़ की गई या आग लगा दी गई, जबकि चार मीडिया घरानों पर कथित भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा इसी तरह से हमला किया गया है.
येचुरी ने कहा, ‘मैं ये स्पष्ट कर दूं कि ये बड़े पैमाने पर, जानबूझकर और बिना उकसावे के हमले हैं. ये हमले त्रिपुरा में भाजपा के वास्तविक चरित्र को दिखाते हैं.’
उन्होंने कहा कि भाजपा राज्य पुलिस की मिलीभगत से हर संवैधानिक सिद्धांत का उल्लंघन कर रही है. पुलिस न केवल विपक्षी नेताओं पर इस तरह के हमलों को लेकर मूक दर्शक बनी हुई है, बल्कि भाजपा कार्यकर्ताओं की हमले में मदद कर रही है.
भाजपा का कहना है कि इन हमलों में उनकी कोई भूमिका नहीं थी.
वहीं माकपा का दावा है कि मार्च 2018 से जून 2021 तक 662 पार्टी कार्यालय, वामपंथी संगठनों के 204 कार्यालय, 3,363 घर और इसके कार्यकर्ताओं एवं समर्थकों 659 दुकानें और 1500 आजीविका केंद्रों जैसे मछली तालाबों, पार्टी सदस्यों के स्वामित्व वाले रबर के पेड़ों को भाजपा कार्यकर्ताओं ने नष्ट किया है.
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