पंजाब के मुख्यमंत्री बने चरणजीत सिंह चन्नी, रंधावा और सोनी ने उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ली

कांग्रेस विधायक दल के नेता चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब का मुख्यमंत्री बनने वाले दलित समुदाय के पहले व्यक्ति हैं. चन्नी दलित सिख समुदाय से आते हैं और अमरिंदर सरकार में तकनीकी शिक्षा मंत्री थे. वह रूपनगर ज़िले के चमकौर साहिब विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. वह इस क्षेत्र से साल 2007 में पहली बार विधायक बने और इसके बाद लगातार जीत दर्ज की.

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पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी दाएं कांग्रेस नेता राहुल गांधी और हरीश रावत के साथ. (फोटो साभार: ट्विटर/@INCIndia)

कांग्रेस विधायक दल के नेता चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब का मुख्यमंत्री बनने वाले दलित समुदाय के पहले व्यक्ति हैं. चन्नी दलित सिख समुदाय से आते हैं और अमरिंदर सरकार में तकनीकी शिक्षा मंत्री थे. वह रूपनगर ज़िले के चमकौर साहिब विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. वह इस क्षेत्र से साल 2007 में पहली बार विधायक बने और इसके बाद लगातार जीत दर्ज की.

पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी दाएं कांग्रेस नेता राहुल गांधी और हरीश रावत के साथ. (फोटो साभार: ट्विटर/@INCIndia)

चंडीगढ़: कांग्रेस विधायक दल के नेता चरणजीत सिंह चन्नी ने सोमवार को चंडीगढ़ स्थित पंजाब राजभवन में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की उपस्थिति में पंजाब के 27वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. चन्नी पंजाब में मुख्यमंत्री बनने वाले दलित समुदाय के पहले व्यक्ति हैं.

उनके साथ डेरा बाबा नानक से विधायक सुखजिंदर सिंह रंधावा और अमृतसर सेंट्रल से विधायक ओम प्रकाश सोनी ने राज्य के उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. रंधावा जाट सिख और सोनी हिंदू समुदाय से आते हैं.

पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने सोमवार को तीनों नेताओं को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. चन्नी पंजाब के मालवा क्षेत्र से हैं, जबकि रंधावा और सोनी दोनों राज्य के माझा क्षेत्र से हैं. एक दलित को मुख्यमंत्री, एक जाट सिंह और एक हिंदू को उप-मुख्यमंत्री बनाकर कांग्रेस ने जाति संतुलन बनाए रखने की कोशिश की है.

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी शपथ ग्रहण होने के कुछ मिनटों के बाद राजभवन पहुंचे और तीनों नेताओं को बधाई दी. कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी को पहुंचने में कुछ मिनटों का विलंब हो गया था.

चन्नी दलित सिख (रामदासिया सिख) समुदाय से आते हैं और अमरिंदर सरकार में तकनीकी शिक्षा मंत्री थे. वह रूपनगर जिले के चमकौर साहिब विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. वह इस क्षेत्र से साल 2007 में पहली बार विधायक बने और इसके बाद लगातार जीत दर्ज की.

वह शिरोमणि अकाली दल-भाजपा गठबंधन के शासनकाल के दौरान साल 2015-16 में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी थे.

रंधावा गुरुदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. वह अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में कारागार मंत्री थे.

सोनी अमृतसर (मध्य) विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं और पिछली सरकार में स्कूली शिक्षा मंत्री थे.

रंधावा और सोनी को इस सरकार में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपकर कांग्रेस ने सामाजिक समीकरण को साधने की कोशिश की है.

बीते 18 सितंबर को अमरिंदर सिंह के इस्तीफा देने के बाद चरणजीत सिंह चन्नी को कांग्रेस विधायक दल का नया नेता चुना गया. कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि चन्नी मुख्यमंत्री पद के लिए राहुल गांधी की पसंद हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व प्रमुख सुनील जाखड़ समारोह में शामिल नहीं हुए. मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब सचिवालय में औपचारिक रूप से पदभार ग्रहण करने के बाद आज कैप्टन अमरिंदर सिंह से उनके सिसवान फार्महाउस में मुलाकात करेंगे. इसके बाद में मीडिया को संबोधित करेंगे.

अमरिंदर सिंह ने शनिवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और कहा था कि विधायकों की बार-बार बैठक बुलाए जाने से उन्होंने अपमानित महसूस किया, जिसके बाद उन्होंने यह कदम उठाया.

इस्तीफा देने से पहले अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर हालिया राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर पीड़ा व्यक्त की और इस बात को लेकर चिंता जताई कि इन घटनाक्रम से राज्य में अस्थिरता आ सकती है.

इससे पहले बीते रविवार को कांग्रेस नेता पवन बंसल ने ट्विटर पर ब्रह्म मोहिंद्रा और सुखजिंदर सिंह रंधावा को डिप्टी सीएम बनने की बधाई दे दी थी. शपथ ग्रहण समारोह से दूर रहने वाले मोहिंद्रा ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘मुझे कभी किसी चीज के बारे में सूचित नहीं किया गया. मुझे मुख्यमंत्री से आमंत्रण नहीं मिला, लेकिन मैं पार्टी का वफादार सिपाही हूं और मैं उनके फैसले का पालन करूंगा.’

रविवार को उन्होंने अपने इस ट्वीट के लिए माफी मांगी और चरणजीत सिंह चन्नी, सुखजिंदर सिंह रंधावा और ओम प्रकाश सोनी को शपथ ग्रहण के लिए बधाई दी.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, शपथ ग्रहण समारोह में केवल 40 मेहमानों को आमंत्रित किया गया था. इस सूची में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, केसी वेणुगोपाल, हरीश रावत, अंबिका सोनी, अजय माकन, हरीश चौधरी, संजय चौधरी, गुरकीरत कोटली, नवजोत सिंह सिद्धू आदि शामिल थे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चरणजीत चन्नी को मुख्यमंत्री बनने पर बधाई दी है. उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘चरणजीत सिंह चन्नी जी को पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने पर बधाई. पंजाब के लोगों की बेहतरी के लिए पंजाब सरकार के साथ काम करना जारी रखेंगे.’

चरणजीत सिंह चन्नी का नगर परिषद में चुने जाने से लेकर दलित मुख्यमंत्री बनने तक का सफर

नगर परिषद का अध्यक्ष चुने जाने से लेकर पंजाब में दलित समुदाय से पहले मुख्यमंत्री के रूप में चुने जाने तक चरणजीत सिंह चन्नी का पिछले दो दशकों में सियासत में लगातार कद बढ़ता गया.

पंजाब के रूपनगर जिले के चमकौर साहिब विधानसभा क्षेत्र से तीन बार के विधायक चन्नी 2012 में कांग्रेस में शामिल हुए थे और निवर्तमान मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में तकनीकी शिक्षा, औद्योगिक प्रशिक्षण, रोजगार सृजन और पर्यटन तथा सांस्कृतिक मामलों के विभागों को संभाल रहे थे.

चन्नी ने प्रदेश कांग्रेस के प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू के खेमे का पक्ष लेते हुए अमरिंदर सिंह के खिलाफ तीन अन्य मंत्रियों के साथ बगावत कर दी थी.

राज्य में विधानसभा चुनाव में बमुश्किल पांच महीने बचे हैं, इसलिए कांग्रेस द्वारा मुख्यमंत्री के रूप में एक दलित चेहरे की घोषणा महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि दलित राज्य की आबादी का लगभग 32 प्रतिशत हिस्सा हैं.

दोआबा क्षेत्र- जालंधर, होशियारपुर, एसबीएस नगर और कपूरथला जिले में दलितों की आबादी सबसे अधिक है. बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से गठबंधन कर चुके शिरोमणि अकाली दल ने पहले ही घोषणा कर दी है कि विधानसभा चुनाव में जीत मिलने पर दलित वर्ग के किसी नेता को उपमुख्यमंत्री का पद दिया जाएगा. राज्य में आम आदमी पार्टी भी जीत की उम्मीदें लगाए हुए है.

58 वर्षीय चन्नी का चुना जाना भले आश्चर्यजनक विकल्प प्रतीत होता है, लेकिन यह सुविचारित निर्णय हो सकता है, क्योंकि पार्टी को आशा है कि मुख्यमंत्री पद के लिए दलित वर्ग से नेता के चयन का विरोध नहीं होगा और अमरिंदर सिंह की नाराजगी से हुए संभावित नुकसान की भरपाई हो जाएगी.

चन्नी ने तीन अन्य मंत्रियों- सुखजिंदर सिंह रंधावा, तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा और सुखबिंदर सिंह सरकारिया के साथ और विधायकों के एक वर्ग ने पिछले महीने अमरिंदर सिंह के खिलाफ विद्रोह का बिगुल बजाते हुए कहा था कि उन्हें अधूरे वादों को पूरा करने की सिंह की क्षमता पर कोई भरोसा नहीं है.

चन्नी वरिष्ठ सरकारी पदों पर अनुसूचित जाति के प्रतिनिधित्व जैसे दलितों से जुड़े मुद्दों पर सरकार के मुखर आलोचक रहे हैं. उनकी राजनीतिक यात्रा 2002 में खरार नगर परिषद के अध्यक्ष के रूप में चुने जाने के साथ शुरू हुई.

चन्नी ने पहली बार 2007 में निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा और चमकौर साहिब विधानसभा क्षेत्र से जीते. वह 2012 में कांग्रेस में शामिल हुए और फिर से उसी सीट से विधायक चुने गए.

मंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान चन्नी उस समय विवादों में घिर गए जब भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की एक महिला अधिकारी ने उन पर 2018 में ‘अनुचित संदेश’ भेजने का आरोप लगाया था.

इसके बाद पंजाब महिला आयोग ने मामले का स्वत: संज्ञान लिया और सरकार का रुख पूछा था. उस समय मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने चन्नी को महिला अधिकारी से माफी मांगने के लिए कहा था और यह भी कहा था कि उनका (सिंह) मानना है कि मामला ‘हल’ हो गया है.

यह मुद्दा इस साल मई में फिर से उठा, जब महिला आयोग की प्रमुख मनीषा गुलाटी ने चेतावनी दी कि अगर राज्य सरकार एक ‘अनुचित संदेश’ के मुद्दे पर अपने रुख से एक सप्ताह के भीतर उसे अवगत कराने में विफल रही तो वह भूख हड़ताल पर चली जाएंगी. लेकिन नवजोत सिंह सिद्धू के खेमे ने आरोप लगाया था कि यह अमरिंदर सिंह द्वारा उनके विरोधियों को निशाना बनाने की कोशिश है.

वर्ष 2018 में चन्नी फिर से विवादों में फंसे, जब वह एक पॉलीटेक्निक संस्थान में व्याख्याता के पद के लिए दो उम्मीदवारों के बीच फैसला करने के लिए एक सिक्का उछालते हुए कैमरे में कैद हो गए.

इससे अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली सरकार को काफी फजीहत का सामना करना पड़ा. नाभा के एक व्याख्याता और पटियाला के एक व्याख्याता, दोनों पटियाला के एक सरकारी पॉलीटेक्निक संस्थान में तैनात होना चाहते थे.

चन्नी ने एक बार अपने सरकारी आवास के बाहर सड़क का निर्माण करवाया था, ताकि उनके घर में पूर्व की ओर से प्रवेश किया जा सके और बाद में चंडीगढ़ प्रशासन ने इसे तोड़ दिया. चन्नी पिछली शिरोमणि अकाली दल-भारतीय जनता पार्टी की सरकार के दौरान पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता थे.

चन्नी एक प्रशिक्षित वकील होने के साथ ही उनके पास व्यवसाय प्रशासन और राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर डिग्री भी है. एक पार्षद के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक किया. जब वे पहली बार चमकौर साहिब से विधायक चुने गए, तो उन्होंने पंजाब तकनीकी विश्वविद्यालय से एमबीए किया.

चन्नी की पत्नी कमलजीत एक डॉक्टर हैं और उनके दो बच्चे हैं. उनके बड़े बेटे नवजीत सिंह पीईसी यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी से स्नातक हैं और अब कानून की पढ़ाई कर रहे हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)