नवजोत सिंह सिद्धू ने इसी साल जुलाई में पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष का पद संभाला था. अपने त्यागपत्र में उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति के चरित्र का पतन समझौतों से शुरू होता है और वे पंजाब के भविष्य और राज्य के कल्याण के एजेंडा को लेकर कोई समझौता नहीं कर सकते. उन्होंने कहा कि वे पार्टी में बने रहेंगे.
नई दिल्ली: नवजोत सिंह सिद्धू ने मंगलवार को कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पत्र में सिद्धू ने कहा है कि वह पार्टी की सेवा करना जारी रखेंगे. सिद्धू ने इसी साल जुलाई में पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष का पद संभाला था.
उन्होंने पत्र में लिखा, ‘किसी भी व्यक्ति के चरित्र का पतन समझौतों से शुरू होता है, मैं पंजाब के भविष्य और पंजाब के कल्याण के एजेंडा को लेकर कोई समझौता नहीं कर सकता हूं. इसलिए, मैं पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देता हूं. कांग्रेस की सेवा करना जारी रखूंगा.’
— Navjot Singh Sidhu (@sherryontopp) September 28, 2021
वैसे अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि सिद्धू को किस कारण पंजाब कांग्रेस प्रमुख का पद छोड़ना पड़ा है.
सिद्धू के करीबी लोगों ने द वायर को बताया कि उनके इस्तीफे की एक बड़ी वजह ये है कि वे नए मंत्रिमंडल में शामिल किए गए नामों से खुश नहीं थे. राज्य के पहले दलित मुख्यमंत्री के रूप में चरणजीत सिंह चन्नी द्वारा शपथ लेने के बाद कई नए कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं.
जैसा कि द वायर ने पूर्व में रिपोर्ट किया था कि नए मंत्रिपरिषद के शपथ लेने के बाद सिद्धू को पार्टी के भीतर और बाहर दागी कांग्रेस नेता राणा गुरजीत सिंह की नियुक्ति को लेकर बड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है, जिन पर उनकी अपनी पार्टी के नेताओं ने आरोप लगाया था कि वे रेत माफिया के सरगना हैं.
उनके करीबियों का दावा है कि सिद्धू ने राणा की नियुक्ति के खिलाफ नए मुख्यमंत्री और केंद्रीय नेतृत्व दोनों को आगाह किया था. हालांकि जब उनकी अनदेखी की गई तो उन्होंने इस्तीफा देने का फैसला किया.
उन्होंने कहा, ‘सिद्धू भ्रष्टाचार को लेकर समझौता नहीं कर सकते हैं. वह कभी भी दागी पृष्ठभूमि वाले लोगों को बर्दाश्त या बढ़ावा नहीं देंगे, बल्कि पंजाब के कल्याण के लिए अपने पद का त्याग करेंगे.’
सिद्धू के करीबी लोगों ने यह भी आरोप लगाया कि नए मुख्यमंत्री ने राणा की नियुक्ति का समर्थन करने का फैसला किया है. कांग्रेस के सूत्रों ने कहा कि उनके नाम को पार्टी आलाकमान ने आगे बढ़ाया और चन्नी बाद में इसमें शामिल हो गए.
कांग्रेस के सात विधायकों द्वारा सिद्धू को लिखे पत्र से पता चलता है कि राणा क्यों विवादास्पद हैं. सुखपाल खैरा सहित पार्टी के सात विधायकों ने कहा कि जनता और कांग्रेस कैडर राणा के शामिल होने से नाखुश हैं.
राणा को जनवरी 2018 में पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिहं के मंत्रिमंडल से हटा दिया गया था. उनके परिवार और उनकी कंपनियों पर खनन घोटाले का आरोप लगा था.
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे के बाद पार्टी नेतृत्व पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उन्होंने पहले ही बता दिया था कि सिद्धू स्थिर व्यक्ति नहीं हैं.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘मैंने आपसे कहा था. वह स्थिर व्यक्ति नहीं है और सीमावर्ती राज्य पंजाब के लिए वह उपयुक्त नहीं है.’
I told you so…he is not a stable man and not fit for the border state of punjab.
— Capt.Amarinder Singh (@capt_amarinder) September 28, 2021
वहीं आम आदमी पार्टी (आप) ने दावा किया कि पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने इसलिए पद से इस्तीफा दिया कि वह इस बात को ‘स्वीकार नहीं कर पाए’ कि एक दलित को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया है. राज्य में अगले वर्ष की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं.
आप प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने संवाददाताओं से कहा, ‘यह दिखाता है कि नवजोत सिंह सिद्धू दलितों के खिलाफ हैं. एक गरीब बेटा मुख्यमंत्री बना. यह सिद्धू बर्दाश्त नहीं कर सके. यह बहुत दुखद है.’ पंजाब में आप मुख्य विपक्षी दल है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)