किसानों को कुचलने वाला वीडियो वायरल, परिजन बोले- ऑटोप्सी रिपोर्ट के बाद ही होगा अंतिम संस्कार

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी ज़िले में बीते तीन अक्टूबर को में प्रदर्शनकारी किसानों को वाहन से कुचलने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है. इस दर्दनाक वीडियो को लेकर तमाम राजनीतिक दलों के अलावा भाजपा सांसद वरुण गांधी ने भी नाराज़गी ज़ाहिर की है. इस बीच पीड़ितों के परिवारों से मिलने जा रहीं प्रिंयका गांधी समेत 11 नेताओं के ख़िलाफ़ शांतिभंग का केस दर्ज किया गया है.

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लखीमपुर खीरी जिले में हुई हिंसा के दौरान वाहनों से कुचल मार दिए गए किसानों के शव के साथ उनके परिजन. (फोटो: पीटीआई)

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी ज़िले में बीते तीन अक्टूबर को में प्रदर्शनकारी किसानों को वाहन से कुचलने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है. इस दर्दनाक वीडियो को लेकर तमाम राजनीतिक दलों के अलावा भाजपा सांसद वरुण गांधी ने भी नाराज़गी ज़ाहिर की है. इस बीच पीड़ितों के परिवारों से मिलने जा रहीं प्रिंयका गांधी समेत 11 नेताओं के ख़िलाफ़ शांतिभंग का केस दर्ज किया गया है.

लखीमपुर खीरी जिले में हुई हिंसा के दौरान वाहनों से कुचल मार दिए गए किसानों के शव के साथ उनके परिजन. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में प्रदर्शनकारी किसानों को वाहन से कुचलने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद एक बार फिर से राज्य एवं केंद्र की भाजपा सरकार की काफी आलोचना तेज हो गई है.

बीते सोमवार को ‘ट्रैक्टर फॉर ट्विटर’ नामक हैंडल से ये वीडियो ट्वीट किया गया था, जिसमें ये देखा जा सकता है कि शांतिपूर्ण ढंग से जा रहे किसानों को पीछे से आ रही दो गाड़ियों ने कुचल दिया.

इस घटना में बीते सोमवार को आठ लोग मारे गए थे, जिसमें से चार किसान और एक फ्रीलांसर पत्रकार शामिल हैं.

मृतक किसानों के परिजनों ने कहा है कि जब तक उन्हें ऑटोप्सी रिपोर्ट नहीं मिल जाती है, वे अंतिम संस्कार नहीं करेंगे.

एनडीटीवी के मुताबिक, पुलिस ने इस वीडियो की सत्यता का पता लगाने के लिए अभी जांच नहीं की है. इसमें ये स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि आखिर कौन एसयूवी गाड़ी चला रहा है, लेकिन वीडियो का एक-एक फ्रेम (दृश्य) रोंगटे खड़े करने वाला है.

इस दर्दनाक वीडियो को लेकर तमाम राजनीतिक दलों के अलावा भाजपा सांसद वरुण गांधी ने भी गहरी नाराजगी जाहिर की है.

गांधी ने उत्तर प्रदेश प्रशासन से लखीमपुर खीरी में किसानों को कथित तौर पर गाड़ी से कुचले जाने के मामले को संज्ञान में लेकर दोषियों को तत्काल गिरफ्तार करने की मांग की.

उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘लखीमपुर खीरी में किसानों को गाड़ियों से जान-बूझकर कुचलने का यह वीडियो किसी की भी आत्मा को झकझोर देगा. पुलिस इस वीडियो का संज्ञान लेकर इन गाड़ियों के मालिकों, इनमें बैठे लोगों और इस प्रकरण में संलिप्त अन्य व्यक्तियों को चिह्नित कर तत्काल गिरफ्तार करे.’

उन्होंने ट्वीट के साथ एक वीडियो भी संलग्न किया है, जिसमें एक गाड़ी किसानों को कुचलती हुई जाती दिखाई दे रही है.

वरुण गांधी ने बीते सोमवार को लखीमपुर खीरी की घटना को ‘हृदय-विदारक’ करार देते हुए घटना में ‘शहीद’ हुए किसानों को श्रद्धांजलि अर्पित की थी. उन्होंने इस प्रकरण में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सख्त कार्यवाही की मांग की थी.

गौरतलब है कि लखीमपुर खीरी जिले के तिकोनिया क्षेत्र में बीते तीन अक्टूबर को उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य द्वारा केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के पैतृक गांव के दौरे के विरोध को लेकर भड़की हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी.

इस मामले में मिश्रा के बेटे आशीष समेत कई लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है.

प्रदर्शनकारी किसानों ने आरोप लगाया है कि केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा की एसयूवी से किसानों को कुचला गया है. हालांकि मंत्री ने इन आरोपों को खारिज किया है.

एनडीटीवी के मुताबिक मृतक किसानों के परिजनों ने कहा है कि जब तक उन्हें ऑटोप्सी रिपोर्ट की कॉपी नहीं मिल जाती है, वे अंतिम संस्कार नहीं करेंगे.

ट्रिब्यून के मुताबिक, आशीष मिश्रा एवं अन्य के खिलाफ दायर केस के अलावा प्रदर्शनकारी किसानों पर भी जवाबी एफआईआर दायर की गई है.

पहली एफआईआर भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) और धारा 147 (दंगा) के तहत दर्ज की गई है.

अखबार के अनुसार, यह प्राथमिकी एक भाजपा कार्यकर्ता के परिवार की शिकायत पर आधारित है, जो कथित तौर पर हिंसा में मारा गया था. इसमें अमनदीप सिंह सिंधु, महेंद्र सिंह, जेजेंद्र सिंह विर्क और कुछ अज्ञात लोगों के नाम दर्ज हैं.

इस बीच कई विपक्षी नेता बीते सोमवार को पीड़ितों के परिवारों से मिलने के लिए निकले थे, लेकिन उन्हें रास्ते में रोक दिया गया. शुरू में तो नेताओं को हिरासत में रखा गया था, लेकिन अब उनके खिलाफ शांति भंग करने का मामला दर्ज किया गया है.

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी, दीपेंद्र हुड्डा तथा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू समेत 11 नेताओं के खिलाफ दंड प्रक्रिया संहिता के तहत मामला दर्ज किया गया है.

सीतापुर के उप जिलाधिकारी (एसडीएम) प्यारे लाल मौर्य ने मंगलवार को बताया कि कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी समेत 11 नेताओं के खिलाफ चार अक्टूबर को सीआरपीसी की धारा 151 (कोई पुलिस अधिकारी, जिसे किसी संज्ञेय अपराध की परिकल्पना का पता है और ऐसी परिकल्पना करने वाले व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के आदेश और वारंट के बिना गिरफ्तार कर सकता है), 107 और 116 (मजिस्ट्रेट को यह जानकारी प्राप्त होती है कि किसी व्यक्ति द्वारा सार्वजनिक शांति भंग होने की संभावना है) के तहत मामला दर्ज किया गया है.

एसडीएम ने कहा, ‘ये निवारक धाराएं हैं, एक बार हमें आश्वासन मिलता है कि उनके द्वारा शांति उल्लंघन नहीं होगा, तो इसे हटा दिया जाएगा.’

लखीमपुर खीरी कांड के पीड़ितों से मिलने जाते वक्त रास्ते में चार अक्टूबर सुबह पांच बजे सीतापुर में हिरासत में ली गईं कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी अब भी पुलिस अभिरक्षा में हैं.

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि पुलिस को प्रियंका समेत पांच नेताओं को हिरासत में लिए काफी समय हो गया है.

इससे पहले मंगलवार की सुबह प्रियंका ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित एक ट्वीट में कहा, ‘मोदी जी आपकी सरकार ने बगैर किसी आदेश और मुकदमे के मुझे पिछले 28 घंटे से हिरासत में रखा है.’

प्रियंका ने ट्वीट के साथ उस वीडियो को भी साझा किया है, जिसमें एक लग्जरी गाड़ी किसानों को रौंदती हुई जा रही है.

कांग्रेस महासचिव ने पूछा है, ‘अन्नदाता को कुचल देने वाला ये व्यक्ति अब तक गिरफ्तार नहीं हुआ. क्यों?’

अजय कुमार लल्लू लल्लू ने आरोप लगाया कि प्रियंका को अब तक अपने वकीलों से मिलने नहीं दिया गया. किसी को 24 घंटे से ज्यादा समय तक पुलिस हिरासत में रखना गैरकानूनी है. मगर प्रशासन के कान पर जूं नहीं रेंग रही है. प्रशासन ने उन्हें हिरासत में लेने की कोई कानूनी वजह भी नहीं बतायी है.

बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने लखीमपुर खीरी हिंसा में मारे गए चार किसानों के परिवारों को 45-45 लाख रुपये की वित्तीय मदद और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का ऐलान किया है.

राज्य सरकार ने इसके साथ ही बीते सोमवार को घोषणा की कि हाईकोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश मामले की जांच करेंगे. इसके साथ ही घायल किसानों को दस-दस लाख रुपये की मुआवजा राशि दी जाएगी.

वहीं भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने इस मामले को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार के वरिष्ठ नेताओं से बात की और फिर प्रदर्शनकारियों से बात की और उन्हें घर जाने के लिए कहा. उन्होंने वादा किया कि न्याय किया जाएगा.

टिकैत ने कहा, ‘वीर शहीदों का बलिदान, याद करेगा हिंदुस्तान’.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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