दिल्ली की वायु गुणवत्ता बृहस्पतिवार रात को गंभीर श्रेणी में पहुंच गई, क्योंकि लोगों ने सरकार के प्रतिबंधों का घोर उल्लंघन करते हुए दिवाली पर जमकर पटाखे जलाए. शुक्रवार सुबह घने कोहरे की मोटी परत छाई रही, जिसके कारण कई हिस्सों में निवासियों को गले में जलन और आंखों में पानी आने की दिक्कतों से जूझना पड़ा.
नई दिल्ली: दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में दिवाली पर खूब पटाखे जलाए जाने के बाद शुक्रवार को सुबह घने कोहरे की मोटी परत छाई रही, जिसके कारण कई हिस्सों में निवासियों को गले और आंखों में जलन के साथ आंखों में पानी आने की दिक्कतों से जूझना पड़ा.
प्राधिकारियों ने बताया कि शुक्रवार को पराली जलाए जाने से उठने वाले धुएं के कारण हालात और बिगड़ सकते हैं.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने वाले महीन कण यानी ‘पीएम-2.5’ की 24 घंटे की औसत सांद्रता बढ़कर शुक्रवार को सुबह नौ बजे 410 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर हो गई, जो 60 माइकोग्राम प्रति घन मीटर की सुरक्षित दर से करीब सात गुना अधिक है. बीते गुरुवार शाम छह बजे इसकी औसत सांद्रता (concentration) 243 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर थी.
पीएम-10 का स्तर शुक्रवार को सुबह करीब पांच बजे 500 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के आंकड़ें को पार कर गया और सुबह नौ बजे यह 511 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था.
ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (जीआरएपी) के अनुसार, अगर पीएम-2.5 और पीएम-10 का स्तर 48 घंटों या उससे अधिक समय तक क्रमश: 300 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और 500 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक रहता है तो वायु गुणवत्ता ‘आपात’ श्रेणी में मानी जाती है.
दिल्ली में कम तापमान और सुबह कोहरा छाए रहने से प्रदूषक तत्वों के एकत्रित होने के कारण वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) सुबह आठ बजे बढ़कर 451 (गंभीर श्रेणी) दर्ज किया गया.
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के वरिष्ठ वैज्ञानिक आरके जीनामणि ने कहा, ‘दिल्ली-एनसीआर में शुक्रवार को सुबह घना कोहरा छाने के कारण इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और सफदरजंग हवाई अड्डे पर सुबह 5:30 बजे दृश्यता कम होकर 200 से 500 मीटर के दायरे तक रह गई. शहर के कई हिस्सों में दृश्यता कम होकर 200 मीटर तक रह गई.’
दिल्ली में वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्रों ने एक्यूआई गंभीर श्रेणी में दर्ज किया. दिल्ली की वायु गुणवत्ता बृहस्पतिवार रात को गंभीर श्रेणी में पहुंच गई, क्योंकि लोगों ने सरकार के प्रतिबंधों का घोर उल्लंघन करते हुए दिवाली पर जमकर पटाखे जलाए.
पड़ोसी शहरों फरीदाबाद (454), ग्रेटर नोएडा (410), गाजियाबाद (438), गुड़गांव (473) और नोएडा (456) में वायु गुणवत्ता शुक्रवार को सुबह गंभीर श्रेणी में दर्ज की गई.
उल्लेखनीय है कि शून्य से 50 के बीच के एक्यूआई को अच्छा, 51 से 100 को संतोषजनक, 101 से 200 के बीच को मध्यम, 201 से 300 के बीच को खराब, 301 से 400 के बीच को बहुत खराब और 401 से 500 के बीच को गंभीर श्रेणी में माना जाता है.
राष्ट्रीय राजधानी के कई हिस्सों और उसके उपनगरों में लोगों ने सुबह सिर में दर्द, गले में जलन और आंखों में पानी आने की शिकायतें की. चिंतित नागरिकों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर आतिशबाजी की तस्वीरें और वीडियो साझा किए और पटाखों पर प्रतिबंध को ‘मजाक’ बताया.
ट्विटर पर एक यूजर ने लिखा, ‘दिल्ली को कायदे से कल सुबह बंद रहना चाहिए और सरकार का पटाखों पर प्रतिबंध इस साल का सबसे बड़ा मजाक साबित हुआ है. किसी को परवाह नहीं है, इस बीच मेरे परिवार के ज्यादातर लोगों को गंभीर सूखी खांसी या सिर में दर्द है. दिल्ली का एक्यूआई 700 के पार है और रात अभी शुरू भी नहीं हुई है.’
दिल्ली में कई लोगों ने बीते गुरुवार की रात को खूब पटाखे जलाए जाने की शिकायत की, जबकि पटाखे जलाने पर एक जनवरी 2022 तक पूर्ण प्रतिबंध है. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के शहरों नोएडा, फरीदाबाद और गुड़गांव में देर रात तक आतिशबाजी होती रही.
हरियाणा सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में अपने 14 जिलों में सभी तरह के पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल रोक लगाई हुई है. उत्तर प्रदेश सरकार ने मध्यम या बेहतर वायु गुणवत्ता वाले इलाकों में दो घंटों के लिए दिवाली पर हरित पटाखों के इस्तेमाल की मंजूरी दी थी.
विशेषज्ञों ने बताया कि हवा न चलने, कम तापमान और पटाखों से होने वाले जहरीले उत्सर्जन, पराली जलाने और स्थानीय स्रोतों के कारण वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में पहुंच गई.
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान एजेंसी ‘सफर’ ने बताया कि दिल्ली में पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण का हिस्सा बढ़कर बृहस्पतिवार को 25 प्रतिशत पर पहुंच गया और इसके शुक्रवार तक 35 प्रतिशत तथा शनिवार तक 40 प्रतिशत पर पहुंचने की संभावना है.
उसने बताया कि केवल सात नवंबर की शाम से राहत मिलते की उम्मीद है, लेकिन वायु गुणवत्ता बहुत खराबी श्रेणी में ही रहेगी.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक सफर के संस्थापक-परियोजना निदेशक गुफरान बेग ने कहा कि शुक्रवार की सुबह पीएम-2.5 प्रदूषण तेजी से बढ़ा और एक्यूआई 500 का आंकड़ा भी पार कर गया.
पिछले साल, दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने की हिस्सेदारी पांच नवंबर को 42 प्रतिशत पर पहुंच गई थी. साल 2019 में दिल्ली के पीएम-2.5 प्रदूषण में इसकी हिस्सेदारी एक नवंबर को 44 फीसदी थी.
दिल्ली के पीएम-2.5 में पराली जलाने का योगदान पिछले साल दिवाली के दिन 32 फीसदी था, जबकि 2019 में यह 19 फीसदी था.
पिछले महीने 27 अक्टूबर को दिल्ली सरकार ने पटाखे फोड़ने के खिलाफ जागरूकता अभियान के तहत ‘पटाखे नहीं दिये जलाओ’ अभियान शुरू किया था. इसके अनुसार पटाखे जलाते पाए जाने पर संबंधित आईपीसी के प्रावधानों और विस्फोटक अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा सकती है.
सरकार के अनुसार, पटाखा विरोधी अभियान के तहत अब तक 13,000 किलोग्राम से अधिक अवैध पटाखों को जब्त किया गया है और 33 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)