नफ़रत फैलाने के लिए भाजपा का हथियार बना फेसबुक, जेपीसी जांच हो: कांग्रेस

कांग्रेस के सोशल मीडिया विभाग के प्रमुख रोहन गुप्ता ने कहा कि कई रिपोर्ट आ चुकी हैं कि फेसबुक के ज़रिये फैलाए जा रहे नफ़रत भरे संवाद और सामग्री, फ़र्ज़ी ख़बरों को रोकने के लिए कारगर प्रयास नहीं किए गए. इस तरह की सामग्री कम होने की बजाय बढ़ गई है. हमारी फेसबुक से मांग है कि वह इसकी स्वतंत्र जांच कराए.

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कांग्रेस के सोशल मीडिया विभाग के प्रमुख रोहन गुप्ता ने कहा कि कई रिपोर्ट आ चुकी हैं कि फेसबुक के ज़रिये फैलाए जा रहे नफ़रत भरे संवाद और सामग्री, फ़र्ज़ी ख़बरों को रोकने के लिए कारगर प्रयास नहीं किए गए. इस तरह की सामग्री कम होने की बजाय बढ़ गई है. हमारी फेसबुक से मांग है कि वह इसकी स्वतंत्र जांच कराए.

(फोटोः रॉयटर्स)

नई दिल्ली: कांग्रेस ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि देश में नफरत फैलाने के लिए फेसबुक भाजपा का हथियार बन गया है.

इस मुद्दे को उजागर करने के लिए आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में पार्टी ने अमेरिकी टेक कंपनी द्वारा चुनावों में कथित हेरफेर की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की जांच की मांग की.

कांग्रेस के सोशल मीडिया विभाग के प्रमुख रोहन गुप्ता ने संवाददाताओं से कहा, ‘देश में फेसबुक का इस्तेमाल 36 करोड़ लोग करते हैं. आज भारत में नफरत फैलाने के लिए फेसबुक भाजपा का हथियार बन चुका है. बनाकर फेसबुक को हथियार, भाजपा ने किया नफरत का व्यापार.’

उन्होंने कहा, ‘कई रिपोर्ट आ चुकी हैं कि फेसबुक के जरिये फैलाए जा रहे नफरत भरे संवाद (हेट स्पीच) और सामग्री, फर्जी खबरों को रोकने के लिए कारगर प्रयास नहीं किए गए. इस तरह की सामग्री कम होने की बजाय बढ़ गई है.’

उन्होंने आरोप लगाया, ‘हिंदी भाषी प्रदेशों में सिर्फ नौ प्रतिशत बजट हेट स्पीच पर अंकुश लगाने के लिए इस्तेमाल किया. फेसबुक अपना इस्तेमाल होने दे रहा है. यह सिर्फ संयोग नहीं, बल्कि भाजपा का प्रयोग है.’

उन्होंने कहा कि फेसबुक से मांग है कि वह पूरे मामले की स्वतंत्र जांच कराए. गुप्ता ने कहा, ‘हमने फेसबुक के मालिकों को पत्र लिखा है कि वे अपनी आंतरिक रिपोर्ट की उपेक्षा नहीं करें, ठोस कार्रवाई करें.’

रोहन गुप्ता ने मार्क जुकरबर्ग से फेसबुक इंडिया के कामकाज के बारे में आंतरिक जांच करने और निष्कर्ष जनता के लिए उपलब्ध कराने के लिए कहा.

उन्होंने मार्क जुकरबर्ग को संबोधित पत्र में कहा, ‘इस संगठन के प्रमुख के रूप में यह आपकी जिम्मेदारी है कि हमारे लोगों के साथ विश्वासघात करने वालों को उनके कार्यों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाए.’

कांग्रेस ने उनसे भारत में फेसबुक और वॉट्सऐप के माध्यम से फैलाए जा रहे हेट स्पीच और फर्जी खबरों के आरोपों की स्वतंत्र जांच कराने के लिए भी कहा.

उन्होंने लिखा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि फेसबुक 36 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ताओं वाले देश में आपके उपयोगकर्ताओं के जीवन और सुरक्षा पर अपने व्यावसायिक हितों का पक्ष लेना जारी रखता है.’

वहीं, कांग्रेस के डेटा विश्लेषण विभाग के प्रमुख प्रवीण चक्रवर्ती ने कहा, ‘इस मुद्दे की जांच के लिए जेपीसी का गठन होना चाहिए. संसद की स्थायी समिति को फेसबुक के लोगों को तलब करना चाहिए ताकि इसकी जांच हो सके, जैसे अमेरिका और ब्रिटेन जैसे लोकतंत्र में हुआ है.’

उन्होंने कहा कि फेसबुक और वॉट्सऐप पर नफरत से जुड़ी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए कानून बनने चाहिए.

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘हमारे देश की एकता पर हमला करने की कोशिश की जा रही है और सभी को इसे समझना होगा और मिलकर लड़ना होगा.’

गुप्ता ने कहा, ‘हम फेसबुक से मांग करते हैं कि पिछले दो वर्षों में फेसबुक के माध्यम से फैलाए जा रहे हेट स्पीच पर एक स्वतंत्र जांच होनी चाहिए और फेसबुक ने अभद्र भाषा की पहचान के लिए अपना बजट क्यों कम किया और इस मुद्दे पर खुद के कर्मचारी द्वारा आंतरिक रूप से उठाए गए मुद्दों पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई.’

कांग्रेस के टेक्नोलॉजी और डेटा सेल के प्रमुख चक्रवर्ती ने कहा कि यह मुद्दा बहुत गंभीर है और सभी को मिलकर इससे लड़ना होगा.

एक आंतरिक रिपोर्ट बयान का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत में एक औसत फेसबुक उपयोगकर्ता ने अपने फेसबुक एकाउंट में मृत लोगों की अधिक तस्वीरें देखी हैं, जितना कि उन्होंने फेसबुक पर अपने पूरे जीवनकाल में देखा था.’

चक्रवर्ती ने कहा, ‘दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में एक अमेरिकी प्रौद्योगिकी कंपनी द्वारा हेरफेर किया जा रहा है. यह अब कांग्रेस या भाजपा या यहां तक ​​कि राजनीति के बारे में नहीं है. यह हमारे लोकतंत्र की पवित्रता के बारे में है. यह भारत और भारतीयों के बारे में है. क्या हम विदेशी प्रौद्योगिकी कंपनियों द्वारा अपने समाज के इस तरह के नियंत्रण को स्वीकार करने जा रहे हैं.’

चक्रवर्ती ने कहा, ‘इस मुद्दे की जांच के लिए एक जेपीसी का गठन किया जाना चाहिए, जैसा कि हमने पहले कहा था. संसदीय स्थायी समिति को इसकी जांच के लिए फेसबुक और अन्य अधिकारियों को बुलाना चाहिए.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)