पंजाब के बाद पश्चिम बंगाल दूसरा राज्य है, जहां विधानसभा में बीएसएफ का अधिकारक्षेत्र बढ़ाने के केंद्र के फ़ैसले के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित किया गया. प्रस्ताव में कहा गया है कि बीएसएफ का अधिकारक्षेत्र बढ़ाना देश के संघीय ढांचे के खिलाफ़ है क्योंकि क़ानून व्यवस्था राज्य सूची का विषय है.
कोलकाता: पश्चिम बंगाल विधानसभा ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का अधिकारक्षेत्र बढ़ाने के केंद्र के फैसले के खिलाफ मंगलवार को विपक्षी भाजपा के हंगामे के बीच एक प्रस्ताव पारित किया.
कांग्रेस शासित पंजाब के बाद तृणमूल कांग्रेस के शासन वाला पश्चिम बंगाल दूसरा राज्य हो गया है, जहां विधानसभा में इस तरह का प्रस्ताव लाया गया और पारित किया गया.
राज्य के संसदीय कार्य मंत्री पार्थ चटर्जी ने सदन की प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियमावली की नियम संख्या 169 के तहत प्रस्ताव पेश किया. इसके समर्थन में 112 सदस्यों ने मतदान किया, जबकि 63 ने विरोध किया.
प्रस्ताव में कहा गया है कि सदन का मानना है कि बीएसएफ का अधिकारक्षेत्र बढ़ाना देश के संघीय ढांचे के खिलाफ है क्योंकि कानून व्यवस्था राज्य सूची का विषय है.
इसमें कहा गया है कि अधिसूचना बीएसएफ एक्ट के प्रावधानों को पार करती है जिससे राज्य पुलिस और बीएसएफ के बीच समन्वय का मुद्दा आएगा.
चटर्जी ने कहा, ‘हम मांग करते हैं कि फैसला फौरन वापस लिया जाए क्योंकि बीएसएफ के अधिकारक्षेत्र में विस्तार करना देश के संघीय ढांचे पर सीधा हमला है.’
उन्होंने कहा, ‘बल के तौर पर बीएसएफ के हम कहीं से भी खिलाफ नहीं है, लेकिन अन्य लोग हैं जो सीमा के नजदीक रहने वाले लोगों को प्रताड़ित करते हैं. यह राज्य के एक हिस्से पर नियंत्रण करने की केंद्र की कोशिश है.’
उल्लेखनीय है कि भारतीय जनता पार्टी नीत केंद्र सरकार ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) अधिनियम में संशोधन किया है, जिसके बाद यह सुरक्षा बल पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में अंतरराष्ट्रीय सीमा से 15 किमी के दायरे तक के बजाय अब 50 किमी अंदर तक तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी की कार्रवाई कर सकता है.
वहीं, पाकिस्तान की सीमा से लगते गुजरात के क्षेत्रों में यह दायरा 80 किलोमीटर से घटाकर 50 किलोमीटर कर दिया गया है तथा राजस्थान में 50 किलोमीटर तक की क्षेत्र सीमा में कोई बदलाव नहीं किया गया है.
चटर्जी ने हैरानी जताई कि यदि बीएसएफ 15 किमी के दायरे में घुसपैठ और अवैध गतिविधियां रोकने में अक्षम है तो वह 50 किमी के दायरे में ऐसा कर पाने में कैसे सफल होगा.
सदन में तृणमूल कांग्रेस विधायक उदयन गुहा के भाषण के दौरान हंगामा देखने को मिला. दरअसल उन्होंने सीमावर्ती इलाकों में तलाशी के नाम पर महिलाओं को अनुचित तरीके से स्पर्श करने का कुछ बीएसएफ कर्मियों पर आरोप लगाया.
उन्होंने सदन में कहा, ‘हमने देखा है कि किस तरह के अत्याचार बीएसएफ लोगों पर करता है. एक बच्ची, जिसने देखा है कि उसकी मां को तलाशी की आड़ में अनुचित तरीके से छुआ जाता है, जब वह खेत से लौटेगी तब वह कभी देशभक्त नहीं रह सकती, फिर चाहे आप उनके सामने कितनी ही बार ‘भारत माता की जय’ के नारे क्यों नहीं लगा लें. ये घटनाएं असामाजिक तत्वों को जन्म देती है.’
भाजपा विधायकों ने गुहा की टिप्पणी का विरोध किया और इसे सदन के रिकॉर्ड से हटाये जाने की मांग की. हालांकि, विधानसभा अध्यक्ष विमान बनर्जी ने गुहा की टिप्पणी को हटाने से इनकार कर दिया.
उनके बयान की निंदा करते हुए भाजपा विधायक श्रीरूपा मित्रा चौधरी ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस विधायक की टिप्पणी पूरी तरह से अस्वीकार्य और अवांछित है.
उन्होंने कहा, ‘इस तरह की टिप्पणी न सिर्फ अस्वीकार्य है बल्कि हमारे सुरक्षा बलों का अपमान भी है. सुरक्षा बल हमारे राष्ट्र का गौरव हैं. ये टिप्पणियां तृणमूल कांग्रेस विधायक की मानसिकता को प्रदर्शित करती है.’
भाजपा विधायक मिहिर गोस्वामी द्वारा गुहा की टिप्पणी पर आपत्ति जताये जाने के बाद उन्होंने कहा कि उनका (गोस्वामी का) एक पैर फ्रैक्चर रहा है और दूसरा भी टूट जाएगा. विधानसभा अध्यक्ष ने बयान की निंदा की और दोनों विधायकों से संयम बरतने को कहा.
गुहा के आरोप पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बीएसएफ के अतिरिक्त महानिदेशक वाईबी खुरैना ने बाद में कहा कि बीएसएफ महिला प्रहरियों को सीमावर्ती इलाकों में महिलाओं की तलाशी लेने के लिए तैनात किया गया है.
उन्होंने कहा, ‘इस तरह की टिप्पणी बल का मनोबल गिराने वाली है. प्रवेश द्वारों पर महिलाओं की तलाशी लेने के लिए पूर्वी कमान में करीब 2,397 महिला प्रहरी हैं.’
बीएसएफ अधिकारी ने कहा कि बल इस तरह की (तलाशी संबंधी) हरकतों को कतई बर्दाश्त नहीं करता है.
विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि बीएसएफ जैसे बल के खिलाफ इस्तेमाल की गई भाषा पूरी तरह से अस्वीकार्य है. उन्होंने कहा कि भाजपा विधायक दल केंद्र से बीएसएफ का अधिकारक्षेत्र 80 किमी तक विस्तारित करने का अनुरोध करेगा.
राज्य विधानसभा में विपक्षी कांग्रेस और वाम मोर्चा का हालांकि प्रतिनिधित्व नहीं है, लेकिन उन्होंने भी बीएसएफ का अधिकारक्षेत्र बढ़ाने के कदम का विरोध किया है.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को अलग-अलग पत्रों में वाम मोर्चा अध्यक्ष बिमान बोस और प्रदेश कांग्रेस प्रमुख अधीर रंजन चौधरी ने उनसे केंद्र के फैसले का विरोध करने का आग्रह किया है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सीमा बल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने टीएमसी विधायक के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि बीएसएफ के जवानों ने तलाशी के दौरान महिलाओं को ‘अनुचित तरीके से’ छुआ, ये आरोप पूरी तरह से निराधार हैं.
बीएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अर्धसैनिक बल एक पेशेवर बल है जिसने नियमों और विनियमों का पालन करके हमेशा अनिवार्य कर्तव्यों का पालन किया है.
उन्होंने कहा, ‘बीएसएफ में ‘महिला प्रहरी’ (महिला कर्मी) हैं जो महिलाओं की तलाशी लेती हैं. बीएसएफ कर्मियों के महिलाओं को गलत तरीके से छूने के आरोप पूरी तरह से निराधार हैं.’
बीएसएफ को 4,096 किलोमीटर लंबी भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा की रक्षा के लिए अपने प्राथमिक जनादेश के तहत पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती इलाकों में बड़े पैमाने पर तैनात किया गया है.
इससे पहले बीते 11 नवंबर को पंजाब विधानसभा ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का अधिकारक्षेत्र बढ़ाने के केंद्र के फैसले के खिलाफ सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया था. विधानसभा ने केंद्र के इस कदम को ‘संघीय ढांचे पर हमला’ करार देते हुए इसे वापस लेने की मांग की थी.
प्रस्ताव में कहा था, ‘भारत के संविधान के अनुसार, कानून और व्यवस्था बनाए रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है और इस उद्देश्य के लिए पंजाब सरकार पूरी तरह से सक्षम है. केंद्र सरकार द्वारा बीएसएफ के अधिकारक्षेत्र का विस्तार करने का निर्णय पंजाब की पुलिस और लोगों के प्रति अविश्वास की अभिव्यक्ति है. यह उनका अपमान है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)