समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार द्वारा तीन कृषि क़ानून वापस लिए जाने के निर्णय को वोट के लिए लिया गया फ़ैसला बताया और कहा कि सैकड़ों किसानों की मौत के आगे झूठ की माफ़ी नहीं चलेगी.
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीन विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा के बाद समाजवादी पार्टी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि ‘काले कानूनों की वापसी अहंकार की हार है, यह किसानों की जीत है.’
उन्होंने कहा, ‘लोकतंत्र की जीत है जनता इन्हें माफ नहीं करेगी, इन्हें साफ करने का काम करेगी जनता आने वाले समय में.’
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार के इस निर्णय को चुनाव को देखते हुए लिया गया फैसला बताया और कहा कि जिस तरह से जनता सड़कों पर आ गई, हो सकता है उसकी वजह से घबराकर सरकार को ये फैसला वापस लेना पड़ा हो.
यादव ने सवाल उठाया कि मोदी सरकार भविष्य में, यानी कि चुनाव के बाद, इस तरह का कानून नहीं लाएगी, इसका आश्वासन कौन देगा.
अखिलेश यादव ने कहा कि पूरे किसान प्रदर्शन के दौरान जिन शब्दों का इस्तेमाल किया गया, कोई कल्पना भी नहीं कर सकता है कि अन्नदाता के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया जा सकता है.
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) November 19, 2021
कृषि कानूनों की वापसी को लेकर उन्होंने कहा, ‘मैं इसका पूरा श्रेय देश भर के किसानों को दे रहा हूं. किसानों की मदद करनी चाहिए. समाजवादी पार्टी की मांग है कि केंद्र सरकार एमएसपी के लिए कानून लाए.’
एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा ‘देश के सभी किसानों को मैं बधाई देना चाहता हूं जिनके संघर्ष और आंदोलन के परिणाम स्वरूप आज तीनों काले कानून वापस लिए गए हैं. काले कानून की वापसी अहंकार की हार हैं. यह किसानों की जीत है, लोकतंत्र की जीत है. सैकड़ों किसानों की मौत के आगे झूठ की माफी नहीं चलेगी.’
सपा अध्यक्ष ने कहा ‘जिन लोगों ने माफी मांगी है वह लोग हमेशा के लिए राजनीति छोड़ने का भी वचन दें. जिस तरह तीन काले कानून वापस हुए हैं, उससे साफ है कि सरकार डर गई हैं,और वोट के लिए कानून वापस हुए हैं.’
यादव ने कहा, ‘सरकार की नजर में किसान किसान नहीं है, किसानों को कितना अपमानित किया गया, क्या क्या नहीं सुनना पड़ा. जिन शब्दों का इस्तेमाल किया गया, कोई कल्पना भी नहीं कर सकता कि अन्नदाता के लिए यह शब्द भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं, वह भारतीय जनता पार्टी ने इस्तेमाल किए. उनके सहयोगी और साथियों ने हर मौके पर किसानों को अपमानित किया है. इसकी सामूहिक जिम्मेदारी होती हैं इसलिए सरकार को इस्तीफा देना चाहिये.’
यादव ने कहा कि नोटबंदी करने से क्या अर्थव्यवस्था आज सुधर गई . उन्होंने कहा कि वह फैसला भी गलत था.
उन्होंने कहा, ‘यह जरूरी नहीं है कि चुनाव के बाद फिर ऐसा कोई कानून नहीं आएगा. सरकार में ऐसे लोग हैं. इसका भरोसा कौन दिलायेगा कि भविष्य में ऐसे कानून नहीं आयेंगे जिससे किसानों को संकट में डाला जाये. और अगर इनकी (सरकार की) नीयत साफ होती तो आज किसानों को खाद के लिए लाइन में नही लगना पड़ता.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)