भाजपा नेता संबित पात्रा ने बीते 30 जनवरी को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का एक फ़र्ज़ी वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें उन्हें कृषि कानूनों के समर्थन में बोलते हुए देखा गया था. एक फैक्ट चेक से पता चला है कि पात्रा ने मूल वीडियो के विभिन्न हिस्सों से वाक्यों को जोड़कर बनाई गई एक संपादित क्लिप को साझा किया था.
नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने पुलिस को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता संबित पात्रा के खिलाफ सोशल मीडिया पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का एक फर्जी वीडियो पोस्ट करने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया, जिसमें उन्हें कृषि कानूनों के समर्थन में बोलते हुए देखा गया था.
तीस हजारी कोर्ट के मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ऋषभ कपूर ने आम आदमी पार्टी की नेता और विधायक आतिशी की शिकायत को स्वीकार करते हुए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की संबंधित धाराओं के तहत भाजपा प्रवक्ता पात्रा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है.
विधायक आतिशी ने यह कहते हुए अदालत का रुख किया था कि पुलिस ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने से इनकार कर दिया है.
भाजपा नेता संबित पात्रा ने 30 जनवरी को एक ट्वीट में वीडियो पोस्ट किया था, लेकिन बाद में इसे हटा दिया था. फैक्ट चेकिंग वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर ने मंगलवार को इस ट्वीट का आर्काइव वर्जन पोस्ट किया है.
ANI, What do you mean "Allegedly" posting a doctored video?? He did post the doctored video and deleted after many days. Here is the Archive link of deleted tweet. : https://t.co/NsQSsxYIWM
Also here is Altnews fact check.https://t.co/yRkjuL88NI https://t.co/NTxitW6w7x— Mohammed Zubair (@zoo_bear) November 23, 2021
समाचार वेबसाइट स्क्रोल डॉट इन के अनुसार, ऑल्ट न्यूज़ द्वारा किए गए एक फैक्ट चेक से यह भी पता चला है कि मूल वीडियो में केजरीवाल ने कृषि कानूनों के खिलाफ बात की थी और पात्रा ने मूल वीडियो के विभिन्न हिस्सों से वाक्यों को जोड़कर बनाई गई एक संपादित क्लिप को साझा किया था.
अदालत में याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता अधिवक्ता ऋषिकेश और मोहम्मद इरशाद ने कहा कि आरोपी (संबित पात्रा) ने धोखाधड़ी और जान-बूझकर मूल वीडियो को जाली बनाया और सोशल मीडिया पर झूठा, मनगढ़ंत और छेड़छाड़ किए गए वीडियो को अपलोड किया, जिसका उद्देश्य शिकायतकर्ता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ समाज के सदस्यों को उकसाना था.
याचिका में कहा गया है कि चूंकि शिकायत में स्पष्ट रूप से संज्ञेय अपराध का खुलासा हुआ है, इसलिए शिकायत प्राप्त करने वाले पुलिस अधिकारियों का यह परम कर्तव्य है कि वे कानून के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज करें.
याचिका के अनुसार, यह एक स्थापित कानून है कि जब भी संज्ञेय अपराध के बारे में पुलिस अधिकारी के सामने जानकारी रखी जाती है, तो उक्त पुलिस अधिकारी के पास तुरंत प्राथमिकी दर्ज करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता है.
इससे पहले भी संबित पात्रा के खिलाफ ट्विटर पर भ्रामक जानकारी पोस्ट करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है.
बीते 18 मई को उस समय विवाद खड़ा हो गया था जब भाजपा ने कांग्रेस पर कोरोना महामारी के दौरान देशवासियों में भ्रम फैलाने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को धूमिल करने का आरोप लगाते हुए कहा था कि इस संकट काल में विपक्षी दल की ‘गिद्धों की राजनीति’ उजागर हुई है.
एक ‘कोविड-19 टूलकिट’ का हवाला देते हुए भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने आरोप लगाया था कि कोरोना के समय जब पूरा देश महामारी से लड़ रहा है तो कांग्रेस ने अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए भारत को पूरे विश्व में ‘अपमानित और बदनाम’ करने की कोशिश की है.
इसके बाद फैक्ट चेकिंग वेबसाइट ऑल्ट न्यूज ने अपनी एक रिपोर्ट में खुलासा किया था कि भाजपा के बड़े नेता जिस टूलकिट को शेयर कर रहे हैं, उसे कांग्रेस के जाली लेटरहेड पर बनाया गया है.
तब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने लेटरहेड को कथित रूप से जाली बनाने के लिए उनके एक ट्वीट को मैनिपुलेटेड मीडिया (तोड़-मरोड़ कर पेश किए गए) का लेबल दिया था.
उस समय केंद्र सरकार ने कोविड-19 के मुद्दे को लेकर केंद्र पर निशाना साधने के लिए कांग्रेस के कथित टूलकिट के साथ ‘मैनिपुलेटेड मीडिया की श्रेणी’ टैग चलाने पर ट्विटर से आपत्ति जताई थी.
इस ट्वीट के संबंध में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में पुलिस ने उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी. हालांकि जून में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ पुलिस जांच पर रोक लगा दी थी. सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने स्टे को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था.