लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता आनंद तेलतुम्बड़े ने पिछले महीने सुरक्षाबलों के साथ एक मुठभेड़ में उनके भाई मिलिंद तेलतुम्बड़े की मौत के बाद अपनी 90 वर्षीय मां से मिलने के लिए ज़मानत दिए जाने का अनुरोध किया था.
मुंबई: राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की एक विशेष अदालत ने बुधवार को एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले के एक आरोपी कार्यकर्ता आनंद तेलतुम्बड़े को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया.
आनंद ने पिछले महीने सुरक्षा बलों के साथ एक मुठभेड़ में अपने भाई मिलिंद तेलतुम्बड़े की मौत के बाद अपनी मां से मिलने के लिए जमानत दिए जाने का अनुरोध किया था.
आनंद अप्रैल 2020 में एल्गार परिषद मामले में गिरफ्तारी के बाद से नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद हैं. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर तेलतुम्बड़े ने आत्मसमर्पण कर दिया था, जिसके बाद एनआईए ने उन्हें 14 अप्रैल को गिरफ्तार किया था.
विशेष अदालत के न्यायाधीश डीई कोठालीकर ने उनकी अस्थायी जमानत अर्जी खारिज कर दी.
आनंद ने 23 नवंबर को दायर याचिका में कहा था कि उन्हें पता चला है कि उनके भाई मिलिंद तेलतुम्बड़े गढ़चिरौली में मारे गए. मिलिंद भी इस मामले के वांछित आरोपियों में से एक थे.
बीते 13 नवंबर को गढ़चिरौली में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए 26 नक्सलियों में मिलिंद भी शामिल थे. हिंसक गतिविधियों में कथित संलिप्तता के लिए मिलिंद पर 50 लाख रुपये का इनाम घोषित था.
आनंद ने कहा कि उनकी मां की उम्र 90 वर्ष से अधिक है और शोक के ऐसे मौके पर घर में उनकी उपस्थिति से सबको ढांढस मिलेगा. याचिका में उन्होंने 15 दिन की जमानत का अनुरोध किया था.
मालूम हो कि इससे पहले जुलाई में सामाजिक कार्यकर्ता आनंद तेलतुम्बड़े की जमानत अर्जी को विशेष एनआईए अदालत ने खारिज कर दिया था.
तेलतुम्बड़े ने सीआरपीसी की धारा 167(2) के तहत 13 जुलाई को इस आधार पर जमानत मांगी थी कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत अनिवार्य 90 दिन के अंदर उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाई.
इस बीच, मामले के एक अन्य आरोपी सुरेंद्र गाडलिंग ने जेल के अंदर प्लास्टिक की कुर्सी और मेज उपलब्ध कराने का अनुरोध हुए एक याचिका दायर की है. गाडलिंग ने एक व्यक्तिगत शेविंग किट रखने की अनुमति देने का अनुरोध किया है.
अदालत ने जेल अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है और मामले की सुनवाई आठ दिसंबर को तय की है.
गौरतलब है कि तेलतुम्बड़े और अन्य आरोपियों के खिलाफ यह मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे के शनिवारवाड़ा में एल्गार परिषद के कार्यक्रम से जुड़ा है.
पुलिस का दावा है कि कार्यक्रम के दौरान भड़काऊ बयानों के कारण इसके अगले दिन पुणे के बाहरी इलाके कोरेगांव-भीमा में हिंसा भड़की.
पुलिस का यह भी दावा है कि इस कार्यक्रम को माओवादियों का समर्थन हासिल था. बाद में इस मामले की जांच एनआईए को सौंप दी गई थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)