यूपीए काल में दी गई सब्सिडी का भुगतान कर रहे हैं करदाता: निर्मला सीतारमण

लोकसभा में वर्ष 2021-22 की पूरक अनुदान मांगों के दूसरे बैच पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह टिप्पणी की. इस बीच कांग्रेस, टीएमसी, द्रमुक, राकांपा सहित विपक्षी दलों ने अर्थव्यवस्था, महंगाई, बेरोज़गारी पर केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था अवरोधों से जूझ रही है, हर जगह संकट की स्थिति है और सरकार अवास्तविक लक्ष्यों के लिए आंकड़े बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रही है.

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निर्मला सीतारमण. (फोटो: पीटीआई)

लोकसभा में वर्ष 2021-22 की पूरक अनुदान मांगों के दूसरे बैच पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह टिप्पणी की. इस बीच कांग्रेस, टीएमसी, द्रमुक, राकांपा सहित विपक्षी दलों ने अर्थव्यवस्था, महंगाई, बेरोज़गारी पर केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था अवरोधों से जूझ रही है, हर जगह संकट की स्थिति है और सरकार अवास्तविक लक्ष्यों के लिए आंकड़े बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रही है.

निर्मला सीतारमण. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: कांग्रेस पर निशाना साधते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीते सोमवार को कहा कि आज के करदाता, एक दशक से अधिक समय पहले यूपीए कार्यकाल में दी गई सब्सिडी का भुगतान कर रहे हैं.

लोकसभा में बीते सोमवार को वर्ष 2021-22 की पूरक अनुदान मांगों के दूसरे बैच पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने कहा, ‘मैं यह कहना चाहती हूं कि आज के करदाता यूपीए सरकार द्वारा एक दशक से अधिक समय पहले उपभोक्ताओं को दी गई सब्सिडी के लिए भुगतान कर रहे हैं, और वे अगले पांच वर्षों (2026 तक) तक ऑयल बॉन्ड के लिए भुगतान करना जारी रखेंगे.’

ऑयल बॉन्ड के संदर्भ में वित्त मंत्री ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2008 में अपने संबोधन में माना था कि ऑयल बॉन्ड आने वाली पीढ़ी पर बोझ पड़ेगा. उन्होंने कहा कि जो उस वक्त गलत हुआ था उसकी भरपाई अब यह सरकार कर रही है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोरोना वायरस महामारी से उत्पन्न हालात में अर्थव्यवस्था के बड़े विषयों पर ध्यान देने की सरकार की प्रतिबद्धता का उल्लेख करते हुए लोकसभा में कहा कि बैंकों ने नीरव मोदी, मेहुल चोकसी, विजय माल्या जैसे ऋण चूककर्ता की संपत्तियां बेचकर 13,109 करोड़ रुपये वसूल किए तथा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने पिछले सात वर्ष में समझौते एवं अन्य उपायों से 5.49 लाख करोड़ रुपये की वसूली की.

उन्होंने कहा, ‘बैंक सुरक्षित हैं, बैंकों में जमाकर्ताओं के पैसे सुरक्षित हैं. अर्थव्यवस्था से जुड़े बड़े विषयों पर ध्यान दिया जा रहा है.’

वित्त मंत्री ने कहा कि राज्यों के पास पर्याप्त नकदी है और केवल दो राज्यों का नकदी संतुलन नकारात्मक है.

वित्त मंत्री के जवाब के बाद लोकसभा ने वर्ष 2021-22 की पूरक अनुदान मांगों के दूसरे बैच एवं संबंधित विनियोग विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी. इसमें 3,73,761 करोड़ रुपये के सकल अतिरिक्त व्यय को अधिकृत करने के लिए संसद की मंजूरी मांगी गई है. इसमें 62 हजार करोड़ रुपये एयर इंडिया की शेष आस्तियां एवं देनदारियों से संबंधित हैं.

इस दौरान विपक्षी सदस्य लखीमपुर खीरी हिंसा मामले को लेकर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त करने की मांग सहित कुछ अन्य विषयों पर सदन में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे.

सीतारमण ने बताया कि सरकार ई-जीओएम (अधिकार संपन्न मंत्रियों के समूह) के माध्यम से खाद्य तेल एवं अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों से जुड़ी समस्याओं पर विचार करेगी.

उन्होंने बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने पिछले सात वर्ष में समझौते एवं अन्य उपायों से 5.49 लाख करोड़ रुपये की वसूली की. उन्होंने कहा कि जो लोन डिफॉल्टर्स देश छोड़कर चले गए हैं, उनसे पैसा वसूला गया है और इसलिए आज बैंक सुरक्षित हैं.

राज्यों की वित्तीय स्थिति के बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीने में 86.4 प्रतिशत राशि हस्तांतरित की गई है, जो वर्ष 2019-20 के दौरान प्रदान की गई.

उन्होंने कहा कि राज्यों को कोविड आपदा से निपटने के लिए आपात मदद के तौर पर 15 हजार करोड़ रुपये से अधिक की अतिरिक्त राशि दी गई है.

उन्होंने बताया कि 30 नवंबर 2021 तक राज्यों का कुल नकदी की स्थिति बेहतर रही है और यह करीब 3.08 लाख करोड़ रुपये है.

वित्त मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार किसानों के विषयों को गंभीरता से देखती है, ऐसे में पूरक मांग में उर्वरक सब्सिडी के मद में 58 हजार करोड़ रुपये रखे गए हैं .

उन्होंने कहा कि उर्वरकों का अंतरराष्ट्रीय कीमतों काफी अधिक हैं और सरकार नहीं चाहती कि किसानों को परेशानी हो. सीतारमण ने कहा कि पूरक मांग का बड़ा हिस्सा एयर इंडिया से संबंधित मद में जा रहा है.

चर्चा के दौरान कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, राकांपा सहित विपक्षी दलों ने अर्थव्यवस्था, महंगाई, बेरोजगारी के मुद्दे पर लोकसभा में सरकार को घेरते हुए कहा था कि अर्थव्यवस्था अवरोधों से जूझ रही है, हर जगह संकट की स्थिति है और सरकार अवास्तविक लक्ष्यों के लिए आंकड़े बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रही है.

विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि सरकार एअर इंडिया सहित कई सरकारी कंपनियों को बेच रही है, जो जन सरोकारों के विपरीत है.

दस्तावेज के अनुसार, इसमें 62 हजार करोड़ रुपये उस कंपनी में डालने के संबंध में है जो एअर इंडिया के निजीकरण के बाद उसकी शेष आस्तियां एवं देनदारियां रखेगी.

वर्ष 2021-22 की पूरक अनुदान मांगों के दूसरे बैच के तहत 3,73,761 करोड़ रुपये के सकल अतिरिक्त व्यय को अधिकृत करने के लिए संसद की मंजूरी मांगी गई है. इसमें से निवल नकद व्यय के प्रस्तावों से संबंधित कुल व्यय 2,99,243 करोड़ रुपये है और सकल अतिरिक्त व्यय 74,517 करोड़ रुपये है, जिसे मंत्रालयों/विभागों की बचत और बढ़ती हुई प्राप्तियों/वसूलियों से समतुल्य किया जायेगा.

इस राशि में उर्वरक सब्सिडी के लिए 58,430 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च, वाणिज्य विभाग की अतिरिक्त योजना के लिए 2,000 करोड़ रुपये का खर्च तथा व्यय विभाग द्वारा विभिन्न निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं के तहत 53,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च शामिल हैं.

दस्तावेज के अनुसार, नागर विमानन मंत्रालय को 62,057 करोड़ रुपये दिये जाएंगे जो इक्विटी के रूप में एअर इंडिया एसेट होल्डिंग कंपनी (एआईएएचएल) को एअर इंडिया के बकाये और देनदारियों एवं पूर्व की सरकार के गारंटी प्रदत्त उधारी के भुगतान के लिए होगा.

गौरतलब है कि सरकार ने एअर इंडिया, एअर इंडिया एक्सप्रेस एवं एआईएसएटीएस की बिक्री के लिए अक्तूबर में टाटा सन्स के साथ 18 हजार करोड़ रुपये में शेयर खरीद समझौता किया था.

दस्तावेज के अनुसार, उर्वरक सब्सिडी के तहत घरेलू एवं आयातित फॉस्फेट और पोटाश संबंधी उर्वरक के लिए 43,430 करोड़ रुपये और यूरिया सब्सिडी योजना के तहत 15 हजार करोड़ रुपये दिया जायेगा.

खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग को खाद्य भंडारण एवं गोदाम संबंधी विभिन्न योजना के खर्च को पूरा करने के लिए अतिरिक्त 49,805 करोड़ रुपये दिये जाएंगे.

वाणिज्य विभाग को सब्सिडी संबंधी व्यय को पूरा करने के लिए 2,400 करोड़ रुपये दिये जाएंगे. इसके अलावा रक्षा एवं गृह मंत्रालय के अतिरिक्त खर्च को पूरा करने के लिए क्रमश: 5,000 करोड़ रुपये और 4,000 करोड़ रुपये दिये जाएंगे.

गौरतलब है कि वर्ष 2021-22 के बजट में सरकार ने 34.83 लाख करोड़ रुपये के कुल खर्च का अनुमान व्यक्त किया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)