बिहार: शराबबंदी के बाद से 3.5 लाख मामले दर्ज, अदालतों में केस और जेलों में क़ैदियों की भरमार

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इन दिनों शराबबंदी को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए राज्यव्यापी यात्रा पर हैं. नीतीश यह यात्रा ऐसे समय में कर रहे हैं, जब हाल ही में चीफ जस्टिस एनवी रमना ने किसी क़ानून का मसौदा तैयार करने में दूरदर्शिता की कमी के उदाहरण के रूप में बिहार के शराबबंदी क़ानून का हवाला दिया है.

नीतीश कुमार. (फोटो: रॉयटर्स)

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इन दिनों शराबबंदी को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए राज्यव्यापी यात्रा पर हैं. नीतीश यह यात्रा ऐसे समय में कर रहे हैं, जब हाल ही में चीफ जस्टिस एनवी रमना ने किसी क़ानून का मसौदा तैयार करने में दूरदर्शिता की कमी के उदाहरण के रूप में बिहार के शराबबंदी क़ानून का हवाला दिया है.

नीतीश कुमार. (फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्लीः बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराबबंदी को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए अपने राज्यव्यापी ‘समाज सुधार अभियान यात्रा’ के दौरान शराबबंदी का विरोध करने वालों की आलोचना की है.

उन्होंने कहा कि जो लोग शराब पीते हैं और जिन्हें बिहार आने में दिक्कत है, क्योंकि यहां शराब नहीं मिलती तो ऐसे लोगों को बिहार आने की जरूरत नहीं है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, नीतीश कुमार शराबबंदी को लेकर यह जागरूकता यात्रा ऐसे समय में कर रहे हैं, जब 26 दिसंबर को ही सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना ने किसी कानून का मसौदा तैयार करने में दूरदर्शिता की कमी के उदाहरण के रूप में बिहार के शराबबंदी कानून का हवाला दिया था.

सीजेआई रमना ने कहा था कि इस कानून की वजह से अदालतों में मुकदमों का अंबार लग गया है और एक-एक जमानत याचिका की सुनवाई में सालभर लग रहा है.

नीतीश ने कहा कि बिहार मद्य निषेध उत्पाद कानून 2016 के लागू होने के बाद से अदालतों में मामलों की बाढ़ आ गई है और जेलों में भीड़ बढ़ गई है.

रिपोर्ट के अनुसार, राज्य पुलिस के रिकॉर्ड से पता चलता है कि इस साल अक्टूबर तक इस कानून के तहत 3,48,170 मामले दर्ज किए गए और 4,01,855 गिरफ्तारियां की गईं.

इन मामलों से जुड़ीं लगभग 20,000 जमानत याचिकाएं निपटान के लिए पटना हाईकोर्ट और अन्य जिला अदालतों के समक्ष लंबित हैं.

पटना हाईकोर्ट ने जनवरी 2020 और नवंबर 2021 के बीच शराबबंदी के मामलों में 19,842 जमानत याचिकाओं का निपटारा किया. इस अवधि के दौरान कुल 70,673 जमानत याचिकाओं का निपटान अदालत ने किया.

इस साल नवंबर तक इस तरह के मामलों में 6,880 जमानत याचिकाएं अभी भी पटना हाईकोर्ट के समक्ष लंबित हैं, जबकि कुल जमानत याचिकाओं की संख्या 37,381 है.

जेल सूत्रों के मुताबिक, कुल मिलाकर बिहार की 59 जेलों में लगभग 47,000 कैदियों की रखने की क्षमता है. हालांकि, इन जेलों में मौजूदा समय में लगभग 70,000 कैदी हैं, जिनमें से लगभग 25,000 के खिलाफ शराबबंदी कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है.

इस साल नवंबर की शुरुआत में गोपालगंज और बेतिया में जहरीली शराब की घटनाओं के बाद से बिहार पुलिस ने शराबबंदी का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ अभियान तेज कर दिया है.

इस साल अकेले नवंबर में ही कथित तौर पर लगभग 10,000 लोगों ने कानून का उल्लंघन किया है, जिस वजह से राज्य की जेलों में अत्यधिक भीड़ हो गई हैं.

पटना की बेउर सेंट्रल जेल में लगभग 24,00 कैदियों को रखने की क्षमता है, लेकिन मौजूदा समय में यहां 56,00 कैदियों को रखा गया है.

जेल अधीक्षक ने कहा, ‘शराबबंदी कानून के तहत हर तीसरा या चौथा कैदी आरोपी है. 2017 से ही यही रुझान रहा है. 2019 और 2020 में जमानतें मिलने से कुछ राहत मिली, लेकिन शराबबंदी कानून का उल्लंघन करने वालों की संख्या जेलों में फिर से बढ़ रही है.’

बिहार के अतिरिक्त पुलिस निदेशक (मुख्यालय) जितेंद्र सिंह गंगवार ने बताया, ‘शराब कानून के संबंध में आईजी (जेल) जानकारी साझा कर सकते हैं.’

हालांकि, आईजी मिथिलेश मिश्रा उपलब्ध नहीं थे.

गृह विभाग से जुड़े एक सूत्र ने कहा, ‘शराब से जुड़े मामलों में दोषसिद्धि दर एक फीसदी से भी कम है, लेकिन शराबबंदी कानून के तहत मामलों के तीव्र निपटान के लिए लगभग 75 विशेष अदालतों स्थापित की जा रही हैं.’

इस बीच नीतीश कुमार ने राज्य में शराबबंदी कानून के लिए अपनी मौजूदा यात्रा के दौरान 24 दिसंबर को गोपालगंज में कहा था, ‘गोपालगंज अदालत ने 2016 के जहरीली शराबकांड मामले में इस साल मार्च में नौ लोगों को मृत्युदंड की सजा दी गई, जो शराब पीने वालों और शराब बेचने वाले कारोबारियों के लिए बड़ा सबक है कि पियोगे तो मरोगे.’