इससे पहले इस महीने की शुरुआत में हरिद्वार की एक अदालत ने दिसंबर 2021 में शहर में आयोजित हुए विवादास्पद धर्म संसद में मुस्लिम समुदाय के ख़िलाफ़ नफ़रत भरे भाषण देने और उनके नरसंहार का आह्वान करने के मामले में यति नरसिंहानंद को ज़मानत दे दी थी.
नई दिल्ली: धर्म संसद में मुस्लिमों के खिलाफ नफरत भरे भाषण दिए जाने के मामले में जमानत मिलने के बाद उत्तराखंड में हरिद्वार की एक स्थानीय अदालत ने बीते 15 फरवरी को कट्टरपंथी हिंदुत्ववादी नेता यति नरसिंहानंद को महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में जमानत दे दी.
हरिद्वार सत्र न्यायालय के न्यायाधीश भारत भूषण पांडेय ने 19 जनवरी को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम), हरिद्वार की अदालत द्वारा दिए गए पहले के फैसले को पलटते हुए उनकी रिहाई का आदेश दिया, जहां उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया गया था. नरसिंहानंद 16 जनवरी से न्यायिक हिरासत में हैं.
हिंदुत्ववादी नेता के वकील के अनुसार, चूंकि नरसिंहानंद को पहले ही हरिद्वार धर्म संसद मामले में जमानत मिल चुकी है, इसलिए उन्हें जेल से रिहा किया जाना तय है.
सोशल मीडिया पर उनकी टिप्पणी के वायरल होने के बाद व्यापक रूप से निंदा की गई थी. इसके बाद उन पर आईपीसी की धारा 295A (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य, जिसका उद्देश्य किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को उसके धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करना है) और धारा 509 (एक महिला की मर्यादा का अपमान करने के लिए शब्द, इशारा या कार्य) के तहत आरोप लगाया गया था. एफआईआर दर्ज करने के बाद उन्हें 16 जनवरी को न्यायिक हिरासत में ले लिया गया था.
इसके तुरंत बाद नरसिंहानंद ने जमानत के लिए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, हरिद्वार की अदालत का रुख किया था. हालांकि सीजेएम मुकेश आर्य ने 19 जनवरी को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी.
उनकी जमानत याचिका को खारिज करते हुए आर्य ने कहा था, ‘सीआरपीसी की धारा 41ए नोटिस (एक पुलिस अधिकारी के सामने पेश होने का नोटिस) जारी होने के बावजूद सोशल मीडिया के माध्यस से वह (नरसिंहानंद) कथित तौर पर बार-बार सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने और सामाजिक सद्भाव/माहौल खराब करने के लिए टिप्पणी कर रहे हैं और इससे क्षेत्र में गंभीर अपराध किए जाने की प्रबल संभावना है.’
बाद में नरसिंहानंद ने अपनी जमानत याचिका के साथ हरिद्वार सत्र न्यायालय का रुख किया था, जहां उन्हें 15 फरवरी को जमानत मिल गई.
इससे पहले इस महीने की शुरुआत में हरिद्वार की एक अदालत ने बीते साल दिसंबर में शहर में आयोजित हुए विवादास्पद धर्म संसद में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफरत भरे भाषण देने और उनके नरसंहार का आह्वान करने के मामले में यति नरसिंहानंद को जमानत दे दी थी.
कट्टर हिंदुत्ववादी नेता यति नरसिंहानंद इस धर्म संसद के आयोजक थे. नरसिंहानंद उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद स्थित डासना मंदिर के पुजारी हैं, जो अपने बयानों को लेकर पहले भी विवादों में रहे हैं.
हरिद्वारा धर्म संसद में यति नरसिंहानंद ने मुस्लिम समाज के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी करते हुए कहा था कि वह ‘हिंदू प्रभाकरण’ बनने वाले व्यक्ति को एक करोड़ रुपये देंगे.
हरिद्वार धर्म संसद मामले में पुलिस की नाकामी पर जनता के आक्रोश के बाद उत्तराखंड पुलिस ने वसीम रिजवी, जिसे अब जितेंद्र नारायण त्यागी के नाम से जाना जाता है, को बीते 13 जनवरी को गिरफ्तार किया था. यह इस मामले में पहली गिरफ्तारी थी.
बहरहाल, हरिद्वार ‘धर्म संसद’ मामले में 15 लोगों के खिलाफ दो प्राथमिकी दर्ज की गई हैं. इस आयोजन का वीडियो वायरल होने पर मचे विवाद के बाद 23 दिसंबर 2021 को इस संबंध में पहली प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसमें सिर्फ जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी को नामजद किया गया था. इस्लाम छोड़कर हिंदू धर्म अपनाने से पहले त्यागी का नाम वसीम रिजवी था.
प्राथमिकी में 25 दिसंबर 2021 को बिहार निवासी स्वामी धरमदास और साध्वी अन्नपूर्णा उर्फ पूजा शकुन पांडेय के नाम जोड़े गए. पूजा शकुन पांडेय निरंजनी अखाड़े की महामंडलेश्वर और हिंदू महासभा के महासचिव हैं.
इसके बाद बीते एक जनवरी को इस एफआईआर में यति नरसिंहानंद और रूड़की के सागर सिंधुराज महाराज का नाम शामिल किया गया था.
बीती दो जनवरी को राज्य के पुलिस महानिदेशक ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का भी गठन किया था. उसके बाद बीते तीन जनवरी को धर्म संसद के संबंध में 10 लोगों के खिलाफ दूसरी एफआईआर दर्ज की गई थी.
दूसरी एफआईआर में कार्यक्रम के आयोजक यति नरसिंहानंद गिरि, जितेंद्र नारायण त्यागी (जिन्हें पहले वसीम रिज़वी के नाम से जाना जाता था), सागर सिंधुराज महाराज, धरमदास, परमानंद, साध्वी अन्नपूर्णा, आनंद स्वरूप, अश्विनी उपाध्याय, सुरेश चव्हाण और प्रबोधानंद गिरि को नामजद किया गया है.
बता दें कि नरसिंहानंद के खिलाफ महिलाओं पर अभद्र टिप्पणी करने के आरोप पहले भी लगते रहे हैं. उनके ऊपर सितंबर 2021 के भी तीन मामले लंबित हैं.
इस महीने की शुरुआत में रुचिका नाम की एक महिला की शिकायत के आधार पर यति नरसिंहानंद के खिलाफ एक और एफआईआर दर्ज की गई थी. दरअसल नरसिंहानंद ने एक समुदाय विशेष की महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी.
महिला का आरोप है कि कुछ सोशल मीडिया पोस्ट में नरसिंहानंद ने चार जनवरी को एक समुदाय की महिलाओं के खिलाफ अपमानजक टिप्पणी की थी.