संक्रमित सुई से एड्स की चपेट में आने वाले हर सौ भारतीय में 35 पंजाब के: आरटीआई

एक आरटीआई आवेदन के जवाब में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन ने बताया कि 2011-12 से 2020-21 के बीच पंजाब में 15,924 लोग असुरक्षित सुइयों के इस्तेमाल के कारण एचआईवी संक्रमित हुए. वहीं, देश में पिछले 10 साल के दौरान संक्रमित सुइयों के चलते 45,864 लोग एड्स के मरीज़ बन गए.

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

एक आरटीआई आवेदन के जवाब में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन ने बताया कि 2011-12 से 2020-21 के बीच पंजाब में 15,924 लोग असुरक्षित सुइयों के इस्तेमाल के कारण एचआईवी संक्रमित हुए. वहीं, देश में पिछले 10 साल के दौरान संक्रमित सुइयों के चलते 45,864 लोग एड्स के मरीज़ बन गए.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

इंदौर: देश में पिछले 10 साल के दौरान संक्रमित सुइयों के इस्तेमाल से कुल 45,864 लोग एड्स के मरीज बन गए और ऐसे करीब 35 प्रतिशत मामले अकेले पंजाब में सामने आए हैं.

नीमच निवासी आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने बताया कि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) ने उन्हें सूचना का अधिकार कानून के तहत यह जानकारी दी है.

उन्होंने दिए गए ब्योरे के हवाले से बताया कि 2011-12 से 2020-21 के बीच पंजाब में 15,924 लोग असुरक्षित सुइयों के इस्तेमाल के कारण एचआईवी से संक्रमित हुए.

नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के सेंटर फॉर कम्युनिटी मेडिसिन के प्रोफेसर के रूप में पदस्थ डॉ. संजय के. राय नाको की ओर से देश भर में एड्स की स्थिति पर नजर रखते हैं.

उन्होंने बताया, ‘नशेड़ियों द्वारा अपने शरीर में असुरक्षित सुइयों वाले इंजेक्शन लगाकर मादक पदार्थ लेने की प्रवृत्ति एचआईवी संक्रमण के कारणों में शुमार है. इस प्रवृत्ति के चलते पंजाब में हाल के बरसों में एड्स के मरीज बढ़े हैं.’

राय ने बताया, ‘अक्सर देखा गया है कि नशेड़ियों का समूह मादक पदार्थ लेने के दौरान आपस में एक ही इंजेक्शन का बार-बार इस्तेमाल करता है जिससे एड्स का खतरा बढ़ जाता है.’

गौड़ को आरटीआई कानून से मिले ब्योरे के मुताबिक पिछले 10 सालों के दौरान दिल्ली में 5,841, उत्तर प्रदेश में 5,569, मिजोरम में 4,906, मणिपुर में 2,594, मध्य प्रदेश में 1,768, हरियाणा में 1,062, महाराष्ट्र में 916, छत्तीसगढ़ में 874, कर्नाटक में 586, पश्चिम बंगाल में 566, गुजरात में 554, त्रिपुरा में 537, राजस्थान में 501, उत्तराखंड में 491, असम में 467, नागालैंड में 465, चंडीगढ़ में 407, आंध्रप्रदेश में 379, बिहार में 340, ओडिशा में 279, तमिलनाडु में 227, मेघालय में 206, केरल में 151, तेलंगाना में 87, हिमाचल प्रदेश में 56, झारखंड में 44, जम्मू-कश्मीर में 37, गोवा में 15, अरुणाचल प्रदेश में आठ, सिक्किम में तीन और दमन और दीव एवं पुडुचेरी में दो-दो लोग संक्रमित सुइयों के इस्तेमाल के कारण एड्स की चपेट में आए.

आरटीआई कानून के तहत बताया गया कि 2011-12 से 2020-21 के बीच दो केंद्र शासित राज्यों-अंडमान-निकोबार द्वीप समूह और दादरा-नगर हवेली में संक्रमित सुइयों के इस्तेमाल से एचआईवी संक्रमण का एक भी मामला सामने नहीं आया.