एल्गार परिषद मामला: आनंद तेलतुम्बड़े को मां से मिलने के लिए दो दिन की अनुमति

एल्गार परिषद मामले में विचाराधीन क़ैदी के रूप में सामाजिक कार्यकर्ता आनंद तेलतुम्बड़े नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद हैं. पिछले साल 13 नवंबर को गढ़चिरौली में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए 26 नक्सलियों में उनके भाई कथित नक्सली नेता मिलिंद भी शामिल थे. भाई की मौत के मद्देनज़र आनंद तेलतुम्बड़े ने मां से मिलने की अनुमति मांगी थी.

आनंद तेलतुम्बड़े. (फोटो: पीटीआई)

एल्गार परिषद मामले में विचाराधीन क़ैदी के रूप में सामाजिक कार्यकर्ता आनंद तेलतुम्बड़े नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद हैं. पिछले साल 13 नवंबर को गढ़चिरौली में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए 26 नक्सलियों में उनके भाई कथित नक्सली नेता मिलिंद भी शामिल थे. भाई की मौत के मद्देनज़र आनंद तेलतुम्बड़े ने मां से मिलने की अनुमति मांगी थी.

आनंद तेलतुम्बड़े. (फोटो: पीटीआई)

मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने एल्गार परिषद-माओवादी संपर्क मामले के एक आरोपी सामाजिक कार्यकर्ता आनंद तेलतुम्बड़े को उनके भाई एवं कथित नक्सली नेता मिलिंद तेलतुम्बड़े की मौत के मद्देनजर दो दिनों के लिए अपनी मां से चंद्रपुर (महाराष्ट्र) में मिलने की बुधवार को अनुमति दे दी.

तेलतुम्बड़े एल्गार परिषद मामले में फिलहाल विचाराधीन कैदी के रूप में नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद हैं. अप्रैल 2020 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर तेलतुम्बड़े ने आत्मसमर्पण कर दिया था, जिसके बाद एनआईए ने उन्हें 14 अप्रैल 2020 को गिरफ्तार किया था.

जस्टिस एसबी शुक्रे और जस्टिस जीए सनप ने आठ मार्च और 10 मार्च के बीच मां से मिलने को लेकर तेलतुंबड़े की याचिका स्वीकार कर ली.

तेलतुंबड़े ने वरिष्ठ अधिवक्ता मिहिर देसाई की ओर से दायर याचिका में अपने भाई मिलिंद तेलतुम्बड़े की मौत के मद्देनजर मां से मिलने की अनुमति मांगी थी.

पिछले साल 13 नवंबर को गढ़चिरौली में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए 26 नक्सलियों में मिलिंद भी शामिल थे. हिंसक गतिविधियों में कथित संलिप्तता के लिए मिलिंद पर 50 लाख रुपये का इनाम घोषित था.

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने तेलतुंबड़े की याचिका का यह कहते हुए विरोध किया था कि मिलिंद तेलतुम्बड़े माओवादी नेता थे और गैर-कानूनी गतिविधियों में शामिल थे.

एनआईए के वकील संदेश पाटिल ने अदालत को बताया, ‘मामले की गंभीरता यह है कि मृतक (मिलिंद) घात लगाकर किए गए हमले में मारा गया था.’

इस पर पीठ ने कहा, ‘मौत तो मौत है, वह आरोपी हो सकते हैं, वह (मिलिंद) गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं, लेकिन वह मौजूदा याचिकाकर्ता (आनंद) के भाई थे. मानव जीवन की क्षति तो हुई ही है.’

अदालत ने कहा कि तेलतुम्बड़े अपनी मां से आठ मार्च और 10 मार्च के बीच मिल सकते हैं, लेकिन पुलिस के पहरे में. पुलिस अभिरक्षा पर आने वाला खर्च राज्य सरकार वहन करेगी.

पीठ ने कहा, ‘याचिकाकर्ता (आनंद तेलतुम्बड़े) आठ मार्च और 10 मार्च के बीच अपनी मां से चंद्रपुर में मिल सकते हैं. मां से मिलने के उद्देश्य की पूर्ति के लिए उन्हें पुलिस बंदोबस्त में इस तरह ले जाया जाए कि वह चंद्रपुर आठ बजे की सुबह या कम से कम दोपहर तक पहुंच जाए और वहां से 10 मार्च को उपयुक्त समय पर वापस लाया जाए. यदि 10 मार्च को कुछ समय उपलब्ध हो तो उस दिन भी उन्हें मां से मिलाया जा सकता है.’

पीठ ने कहा कि तेलतुम्बड़े को 11 मार्च को तलोजा जेल लाया जाएगा.

पिछले साल दिसंबर में उनके भाई मिलिंद तेलतुम्बड़े की मौत के बाद अपनी 90 वर्षीय मां से मिलने के लिए जमानत दिए जाने का अनुरोध किया था, जिसे विशेष एनआईए अदालत ने खारिज कर दिया था.

हाईकोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता की ओर से दायर दो अन्य याचिकाओं पर एनआईए को नोटिस जारी किए. इन याचिकाओं में गैर-कानूनी गतिविधि (निरोधक) अधिनियम (यूएपीए) के कुछ प्रावधानों को चुनौती दी गई है.

अदालत इन याचिकाओं पर अगले माह सुनवाई करेगी.

गौरतलब है कि तेलतुम्बड़े और अन्य आरोपियों के खिलाफ यह मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे के शनिवारवाड़ा में एल्गार परिषद के कार्यक्रम से जुड़ा है.

पुलिस का दावा है कि कार्यक्रम के दौरान भड़काऊ बयानों के कारण इसके अगले दिन पुणे के बाहरी इलाके कोरेगांव-भीमा में हिंसा भड़की थी.

पुलिस का यह भी दावा है कि इस कार्यक्रम को माओवादियों का समर्थन हासिल था. बाद में इस मामले की जांच एनआईए को सौंप दी गई थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)