बजरंग दल के कार्यकर्ता हर्ष की 20 फरवरी की रात को डोड्डापेट थाना क्षेत्र में हत्या कर दी गई थी. उनके अंतिम संस्कार के दौरान हिंसा भड़क उठी थी और पत्थरबाज़ी एवं आगजनी की घटना हुई थी. पुलिस ने मामले के दस संदिग्धों पर यूएपीए लगाते हुए कहा है कि हत्या के पीछे किसी बड़ी साज़िश का संदेह है.
बेंगलुरुः कर्नाटक पुलिस ने राज्य के शिवमोगा में 20 फरवरी को बजरंग दल के कार्यकर्ता की हत्या के मामले में गिरफ्तार 10 लोगों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की धाराएं लगाई हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, आपराधिक पृष्ठभूमि के 27 साल के हर्ष हिंदू की हत्या के आरोप में आरोपियों के खिलाफ यूएपीए के तहत आरोप लगाने को मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंपे जाने की भूमिका के रूप में देखा जा रहा है.
राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘हत्या के पीछे किसी बड़ी साजिश का संदेह है.’
बता दें कि यूएपीए के प्रावधान आमतौर पर उन मामलों में लागू होते हैं, जहां देश की अखंडता को निशाना बनाकर साजिश किए जाने का संदेह हो.
यूएपीए के तहत सामान्य मामलों में संदिग्ध को 30 दिनों तक पुलिस हिरासत में रखा जा सकता है और चार्जशीट 90 दिनों के बजाय 180 दिन में दाखिल की जा सकती है. इस कानून के तहत जमानत मिलना मुश्किल है.
ऐसा कहा जा रहा है कि हर्ष की हत्या उन लोगों ने की है, जिनके साथ उनका 2016 से कथित तौर पर झगड़ा चल रहा था.
इस मामले में गिरफ्तार किए गए 10 लोगों में से एक मोहम्मद काशिफ (30) 2017 में हर्ष के साथ जेल में थे. इस घटना को अंजाम देने में शामिल कई अन्य आरोपियों पर मारपीट, चोरी और डकैती के कई मामले दर्ज हैं.
सूत्रों का कहना है कि यह हत्या छह महीने पहले अदालत परिसर में हर्ष और हमलावरों में से एक के बीच हुई झड़प का नतीजा हो सकती है.
हालांकि, पुलिस एक बड़ी साजिश की जांच कर रही है, विशेष रूप से यह ध्यान में रखते हुए कि यह हत्या हिजाब प्रतिबंध विवाद के बीच में हुई है.
हर्ष कथित तौर पर शिवमोगा के कुछ कॉलेजों में हिजाब पर प्रतिबंध के समर्थन में विरोध प्रदर्शनों में शामिल थे. वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का कहना है, ‘आरोपी स्थानीय अपराधी हैं और संदेह हैं कि उन्होंने खुद ही हत्या की योजना बनाई और इसे अंजाम दिया.’
शिवमोगा की विधायक और मंत्री केएस ईश्वरप्पा और केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे ने एनआईए जांच की मांग की है. कर्नाटक के गृहमंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने शुक्रवार को कहा कि राज्य पुलिस अपनी जांच जारी रखेगी.
राज्य पुलिस ने पूर्व में दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं के हत्या के कुछ मामलों में यूएपीए के प्रावधानों को लागू किया है.
2016 में जब कांग्रेस सरकार सत्ता में थी तो पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के बेंगलुरु के जिला अध्यक्ष की गिरफ्तारी के बाद आरएसएस के कार्यकर्ता आर रुद्रेक्ष की हत्या के मामले में यूएपीए लगाया गया था.
2015 में मैसूर पुलिस ने छह हत्याओं में कथित संलिप्तता का पता लगने के बाद पीएफआई से संबद्ध आबिद पाशा के खिलाफ यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया था.
2020 में मुस्लिमों की भावनाएं आहत करने के लिए एक सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर बेंगलुरु मे हुए दंगों के संबंध में दर्ज 67 मामलों में से दो मामलों में यूएपीए की धाराएं लगाई गई थीं. इन जिन मामलों में यूएपीए की धाराएं लगाई गई थीं, उसकी जांच बाद में एनआईए को सौंप दी गई थी.
बता दें कि 20 फरवरी की रात को डोड्डापेट थाना क्षेत्र में हर्ष की हत्या कर दी गई थी. वह उस रात अपने दोस्तों के साथ खाना खाने बाहर गए थे. आरोपी कथित तौर पर उसका इंतजार कर रहे थे और उसकी हत्या कर दी.
पुलिस सूत्रों का कहना है, ‘यह सुनियोजित हत्या थी. बचकर भाग निकलने के सभी रास्ते ब्लॉक कर दिए गए थे.’
बता दें कि हर्ष जिले के सीगेहट्टी में दर्जी का काम करते थे. उनके अंतिम संस्कार के दौरान हिंसा भड़क उठी थी और पत्थरबाजी एवं आगजनी की घटना हुई थी, जिसमें एक फोटो पत्रकार और महिला पुलिसकर्मी समेत तीन लोग घायल हो गए थे.