उत्तराखंड में 20 सीटों पर जीत और 20 अन्य पर बढ़त के साथ भारतीय जनता पार्टी राज्य में लगातार दूसरी बार सरकार बनाने के लिए तैयार है. वहीं उत्तराखंड में कांग्रेस के चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत ने हार स्वीकारते हुए कहा कि उनके लिए यह नतीजे बेहद चौंकाने वाले हैं.
देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए जारी मतगणना में 20 सीटों पर जीत और 20 अन्य पर बढ़त के साथ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राज्य में लगातार दूसरी बार सरकार बनाने का इतिहास रचने की कगार पर है.
चुनाव आयोग वेबसाइट पर शाम 6.20 तक अपडेट हुए आंकड़ों के अनुसार, राज्य की 70 विधानसभा सीटों में से 20 सीटें सत्ताधारी भाजपा के पक्ष में गए हैं जबकि 20 अन्य पर पार्टी बढ़त बनाए हुए है. कांग्रेस को 11 सीटें मिली हैं, जबकि बसपा एक सीट पर जीत के साथ एक पर आगे है. दो सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशी आगे हैं.
BJP is forming govt with 2/3 majority. New records are being made since PM Modi became PM. I am thankful to party and central leadership for giving an opportunity to a person like me of a humble background: Uttarakhand CM Pushkar Singh Dhami pic.twitter.com/jV9zAbE3hy
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) March 10, 2022
वर्ष 2000 में अस्तित्व में आए प्रदेश के इतिहास में किसी भी पार्टी ने लगातार दो बार सरकार नहीं बनायी है और भाजपा और कांग्रेस बारी-बारी से सत्ता में आती रही हैं.
सत्ता विरोधी लहर के दम पर प्रदेश की सत्ता में लौटने का दावा कर रही मुख्य विपक्षी कांग्रेस के तीन प्रत्याशियों को अब तक की मतगणना के अनुसार जीत हासिल हुई है जबकि 16 अन्य पर वह अपने प्रतिद्वंदियों पर बढ़त बनाए हुए है.
दो सीटों पर निर्दलीय तथा दो अन्य पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उम्मीदवार आगे चल रहे हैं.
हालांकि, इस चुनाव में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अपनी विधानसभा सीट खटीमा को बरकरार रखने में विफल नजर आने से भाजपा की खुशियों पर ग्रहण लगता दिखाई दे रहा है.
कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष भुवन कापड़ी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को शिकस्त दे दी है.
खटीमा विधानसभा क्षेत्र के अंतिम राउंड की मतगणना पूरी हो गई है, जहां कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष भुवन चंद कापड़ी ने भाजपा के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को 6,579 मतों के अंतर से हराया.
उधर, उत्तराखंड में कांग्रेस के महासचिव और प्रदेश चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत भी अपनी सीट बचाने में असफल रहे. लालकुआं सीट पर भाजपा के मोहन सिंह बिष्ट ने उन्हें दस हजार से अधिक मतों से हराया है.
हरीश रावत ने हार स्वीकारते हुए पार्टी की पराजय की ज़िम्मेदारी ली है. उन्होंने कहा, ‘शायद हमारे प्रयासों में कुछ कमी रह गई जो हम उत्तराखंड के लोगों का विश्वास नहीं जीत सके. हम निश्चित थे कि लोग बदलाव के लिए वोट करेंगे लेकिन शायद हमारे प्रयास में ही कुछ कमी रह गई. मैं ये स्वीकार करता हूं और इस हार की जिम्मेदारी लेता हूं.’
उन्होंने आगे जोड़ा, ‘हमारी कैंपेन की रणनीति अपर्याप्त थी और अभियान समिति के अध्यक्ष के रूप में मैं यह बात स्वीकार करता हूं. लोगों ने बहुत अच्छा काम किया और मैं उन्हें धन्यवाद देना चाहता हूं. मैं लोगों का विश्वास नहीं जीत सका लेकिन मैं अपनी बेटी और जीतने वाले सभी उम्मीदवारों को बधाई देना चाहता हूं.’
For me, the results are very surprising. I cannot understand that after such massive inflation, if this was the public's mandate, what is the definition of public welfare & social justice?…I can't understand people saying 'BJP zindabaad' after this: Congress leader Harish Rawat pic.twitter.com/WePuDfFagF
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) March 10, 2022
उन्होंने भाजपा की जीत पर आश्चर्य भी जताया, उन्होंने कहा, ‘मेरे लिए यह नतीजे बेहद चौंकाने वाले हैं. मैं समझ नहीं पता कि इतनी अधिक महंगाई के बावजूद अगर लोगों का यह जनादेश है तो लोक कल्याण और सामाजिक न्याय की परिभाषा क्या है? … इसके बाद लोगों का भाजपा जिंदाबाद कहना मेरी समझ से परे है.’
देहरादून जिले के रायपुर से भाजपा के उमेश शर्मा काउ ने एक बार फिर 30,052 मतों से अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के हीरा सिंह बिष्ट को हराकर न केवल अपनी सीट बरकरार रखी बल्कि प्रदेश में सबसे बड़ी जीत भी हासिल की. पिछले चुनाव में भी काउ ने 36000 मतों से प्रदेश में सबसे बड़ी जीत हासिल की थी.
आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार अजय कोठियाल भी अपनी सीट नहीं बचा पाए हैं.
प्रदेश की 70 विधानसभा सीटों पर एक चरण में 14 फरवरी को हुए मतदान के लिए वोटों की गिनती बृहस्पतिवार सुबह आठ बजे शुरू हुई. राज्य में 65 फीसदी से अधिक लोगों ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था.
उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस दोनों प्रमुख दलों के अलावा उत्तराखंड क्रांति दल, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवारों सहित कुल 632 उम्मीदवारों की राजनीतिक तकदीर का फैसला होना है.
कुछ एक्जिट पोल में भाजपा या कांग्रेस को उत्तराखंड में बहुमत मिलने का अनुमान जताया गया है लेकिन ज्यादातर में दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों के बीच कांटे की टक्कर या त्रिशंकु विधानसभा की संभावना व्यक्त की थी.
दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों की निगाहें अपने बागियों पर टिकी थीं जिन्होंने टिकट नहीं मिलने पर बगावत कर पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ा. इस बार भाजपा के करीब 13 बागी और कांग्रेस के छह बागी चुनाव मैदान में थे.
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और रणनीतिकार कैलाश विजयवर्गीय के रविवार को यहां पहुंचने के बाद अलर्ट मोड में आई कांग्रेस के भी कई नेता यह सुनिश्चित करने के लिए यहां पहुंच गए हैं कि नतीजे घोषित होने के बाद उसका कुनबा बिखरे नहीं.
विजयवर्गीय ने यहां पहुंचने के तत्काल बाद पार्टी के एक अन्य रणनीतिकार और पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से मुलाकात की. वह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, प्रदेश पार्टी अध्यक्ष मदन कौशिक और प्रदेश में पार्टी के चुनाव प्रभारी प्रहलाद जोशी सहित अन्य नेताओं के साथ भी प्रदेश में भाजपा की सरकार बनाने में मदद के लिए एक पुख्ता रणनीति बनाने के लिए कई बैठकें कर चुके हैं.
2016 में हरीश रावत नीत सरकार के खिलाफ विधायकों की बगावत के समय भी विजयवर्गीय राज्य की राजनीति में काफी सक्रिय थे.
कांग्रेस खेमा भी मतगणना और उसके बाद की स्थिति को लेकर सतर्क है और केंद्रीय पार्टी पर्यवेक्षक दीपेंद्र हुडडा, उत्तराखंड में पार्टी मामलों के प्रभारी देवेंद्र यादव, प्रदेश चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गणेश गोदियाल आदि प्रमुख नेताओं ने सरकार बनाने के लिए अपनाई जाने वाली रणनीति को लेकर मंगलवार को मंथन किया.
इसके अलावा पार्टी चुनाव पर्यवेक्षक मोहन प्रकाश और एमबी पाटिल के बीच भी बुधवार को इसे लेकर एक बैठक हुई.
पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 70 में से 57 सीटें जीतकर ऐतिहासिक जनादेश हासिल किया था जबकि कांग्रेस महज 11 सीटों पर सिमट गई थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)