देश में बैंक जालसाज़ी के 100 से अधिक मामले लंबित, नहीं मिल रही जांच की मंज़ूरी: भाजपा सांसद

भाजपा सांसद सुशील मोदी ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि देश में बैंक जालसाजी के करीब 50,000 करोड़ रुपये के 100 से अधिक मामले लंबित हैं और और राज्य सरकारें जांच के लिए अनुमति नहीं दे रही हैं. उन्होंने कहा कि अकेले मुंबई में 13,000 करोड़ रुपये से अधिक के बैंक जालसाज़ी के मामले लंबित हैं.

भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी. (फोटो: पीटीआई)

भाजपा सांसद सुशील मोदी ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि देश में बैंक जालसाजी के करीब 50,000 करोड़ रुपये के 100 से अधिक मामले लंबित हैं और और राज्य सरकारें जांच के लिए अनुमति नहीं दे रही हैं. उन्होंने कहा कि अकेले मुंबई में 13,000 करोड़ रुपये से अधिक के बैंक जालसाज़ी के मामले लंबित हैं.

भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: बैंक जालसाजी के मामले बड़ी संख्या में लंबित होने पर राज्यसभा में चिंता जताते हुए मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी के एक सदस्य ने सरकार से इस मुद्दे पर तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की.

उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान भाजपा सदस्य सुशील मोदी ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि देश में बैंक जालसाजी के करीब 50,000 करोड़ रुपये के 100 से अधिक मामले लंबित हैं और राज्य सरकारें जांच के लिए अनुमति नहीं दे रही हैं.

उन्होंने कहा, ‘यस बैंक के पांच मामले डेढ़ साल से लंबित हैं और इनकी राशि 3,364 करोड़ रुपये है. यस बैंक इनकी जांच की सिफारिश कर चुका है. इसी तरह से भारतीय स्टेट बैंक के 3,046 करोड़ रुपये के मामले लंबित हैं.’

उन्होंने दावा किया कि अकेले मुंबई में 13,000 करोड़ रुपये से अधिक के बैंक जालसाजी के मामले लंबित हैं और महाराष्ट्र सरकार इसकी जांच के लिए सीबीआई को अनुमति नहीं दे रही है.

सुशील मोदी ने सरकार से इस मुद्दे पर तत्काल हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया ताकि बैंक जालसाजी के मामलों की जांच हो सके.

इस टिप्पणी का शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी और संजय राउत ने विरोध किया. टीएमसी सदस्य भी विरोध में खड़े हो गए.

भारतीय जनता पार्टी के लेफ्टिनेंट जनरल (अवकाशप्राप्त) डॉ. डीपी वत्स ने देश में चिकित्सा शिक्षकों की कमी का मुद्दा उठाया.

उन्होंने कहा कि संकाय, सुविधा और चिकित्सा संबंधी अवसंरचना मेडिकल जगत के बुनियादी स्तंभ हैं. उन्होंने कहा कि यूक्रेन में उत्पन्न हालात के कारण वहां चिकित्सा पाठ्यक्रम में अध्ययनरत छात्रों को वापस लाया गया है.

उन्होंने कहा कि तमाम परिस्थितियों को देखते हुए चिकित्सा शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की उम्र बढ़ाई जानी चाहिए.

भाजपा के रामविचार नेताम ने छत्तीसगढ़ में खनन प्रभावित क्षेत्र के विकास के लिए प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र विकास कोष से दी जाने वाली राशि का कथित तौर पर समुचित उपयोग नहीं किए जाने का मुद्दा उठाया.

शून्यकाल में कांग्रेस के राजामणि पटेल ने मध्य प्रदेश के विंध्य क्षेत्र में वहां की प्रतिभाओं के विकास के लिए कला, साहित्य एवं सांस्कृतिक अकादमी बनाए जाने की मांग की.

भाजपा के जीवीएल नरसिंह राव ने पूर्ववर्ती विजय नगर साम्राज्य के राजा कृष्णदेव राय के 558वें जन्म दिवस समारोह से जुड़ा मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि विभिन्न संस्कृतियों को पर्याप्त महत्व देने वाले राजा कृष्णदेव राय का जन्म दिवस समारोह धूमधाम से मनाया जाना चाहिए.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, नरसिंह राव ने कहा, ‘देश में ऐसा कोई नहीं है जो श्री कृष्णदेवराय के बारे में नहीं जानता हो. ऐसे लोग बहुत कम मिलते हैं जो श्री कृष्णदेवराय के महत्व को नहीं जानते हैं. श्री कृष्णदेवराय विजयनगर साम्राज्य के सम्राट थे, जिन्होंने 1509 से 1529 तक शासन किया था.’

राव ने केंद्र सरकार से विशेष आयोजनों की एक श्रृंखला आयोजित करके इस अवसर का जश्न मनाने का अनुरोध किया – जिसमें पौराणिक राजा पर लिखी गईं नई साहित्यिक रचनाएं, टेलीविजन धारावाहिक, फिल्में बनाना, संग्रहालयों की स्थापना और आंध्र प्रदेश में एक मूर्ति स्थापित करना शामिल है.

वहीं, राजद सासंद मनोज कुमार झा ने बीड़ी उद्योग से जुड़े श्रमिकों का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि भारत में बीड़ी उद्योग असंगठित, अनियंत्रित है और यह बीड़ी रोलिंग प्रक्रिया में कार्यरत श्रमिकों के लिए गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है.

उन्होंने कहा कि श्रम मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट 2020-21 के अनुसार, भारत में 50 लाख पंजीकृत बीड़ी श्रमिक हैं और उनमें से अधिकांश महिलाएं हैं.

उन्होंने आगे कहा कि ये महिलाएं अस्वच्छ परिस्थितियों में काम करती हैं, जिससे तपेदिक, अस्थमा, एनीमिया, चक्कर आना, पोस्टुरल और आंखों की समस्याओं जैसे स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करती हैं. इससे उन्हें फेफड़ों और ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा होता है.

झा ने कहा कि श्रम और रोजगार मंत्रालय को महिला बीड़ी कामगारों को दिए जाने वाले समर्थन की कम पहुंच के कारणों को समझने के लिए एक अध्ययन करना चाहिए और तदनुसार उनके नीतिगत दृष्टिकोण को फिर से तैयार करना चाहिए.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)