कांग्रेस के ‘जी 23’ समूह के नेताओं ने कहा कि पार्टी समान विचारधारा वाली सभी ताक़तों के साथ संवाद की शुरुआत करे ताकि 2024 के लिए विश्वसनीय विकल्प पेश करने का एक मंच बन सके. उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग हालिया चुनावी हार की पटकथा लिखने के ज़िम्मेदार हैं, उन्हें ही चुनाव बाद के हालात के आकलन के लिए नियुक्त किया गया है.
नई दिल्ली: कांग्रेस के ‘जी 23’ समूह के नेताओं ने बुधवार को बैठक करके हालिया विधानसभा चुनाव के नतीजों पर चर्चा की और कहा कि पार्टी के लिए आगे बढ़ने का यही रास्ता है कि सामूहिक और समावेशी नेतृत्व की व्यवस्था हो.
उन्होंने एक बयान में यह भी कहा कि अगले लोकसभा चुनाव के लिए एक भरोसेमंद विकल्प पेश करने के मकसद से समान विचारधारा वाले दलों के साथ बातचीत की शुरुआत की जाए.
राज्यसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद के आवास पर हुई इस बैठक में आजाद के अलावा कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा, मनीष तिवारी, शशि थरूर, शंकर सिंह बाघेला, अखिलेश प्रसाद सिंह, संदीप दीक्षित, विवेक तन्खा, पृथ्वीराज चव्हाण, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, राज बब्बर, मणिशंकर अय्यर, पीजे कुरियन, राजेंद्र कौर भट्टल, कुलदीप शर्मा, प्रिनीत कौर और एमए खान शामिल हुए.
इस बैठक में अय्यर का शामिल होना दिलचस्प है क्योंकि वह गांधी परिवार के खास माने जाते हैं.
बैठक के बाद इन नेताओं ने कहा, ‘हम कांग्रेस पार्टी के सदस्यों ने विधानसभा चुनाव के नतीजों और पार्टी से नेताओं के निकलने को लेकर विचार विमर्श किया.’
उन्होंने कहा, ‘हमारा मानना है कि कांग्रेस के लिए आगे बढ़ने का यही तरीका है कि सामूहिक और समावेशी नेतृत्व की व्यवस्था अपनाई जाए और हर स्तर पर निर्णय हो.’
उनका यह भी कहना है, ‘भाजपा का विरोध करने के लिए जरूरी है कि कांग्रेस पार्टी को मजबूत किया जाए. हम मांग करते हैं कि कांग्रेस समान विचारधारा वाली सभी ताकतों के साथ संवाद की शुरुआत करे ताकि 2024 के लिए विश्वसनीय विकल्प पेश करने के लिए एक मंच बन सके.’
इस समूह के प्रमुख सदस्य एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने हाल ही में एक साक्षात्कार में कहा था कि गांधी परिवार को कांग्रेस का नेतृत्व छोड़ देना चाहिए और किसी अन्य को मौका देना चाहिए.
उनके इस बयान को लेकर कांग्रेस की चांदनी चौक जिला इकाई ने बुधवार को एक प्रस्ताव पारित करके पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के लिए सिब्बल के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का अनुरोध किया. सिब्बल चांदनी चौक निर्वाचन क्षेत्र से सांसद रह चुके हैं.
उधर, कांग्रेस के भीतर बदलाव की मांग कर रहे इस समूह पर गांधी परिवार के करीबी नेताओं ने भी हमले तेज कर दिए हैं.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को आरोप लगाया कि कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक के बाद भी ‘जी 23’ समूह के नेता बार-बार बैठकें करके पार्टी को तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि पूरी कांग्रेस में कोई भी पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को कमजोर नहीं कर सकता तथा पार्टी के सभी लोग उनके साथ हैं.
वहीं, कांग्रेस सांसद रवनीत बिट्टू ने सिब्बल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.
बता दें कि ‘जी 23’ के नेताओं की इस बैठक से तीन दिन पहले गत रविवार को सीडब्ल्यूसी की बैठक हुई थी जिसमें पार्टी नेताओं ने सोनिया गांधी के नेतृत्व में विश्वास जताया था और उनसे आग्रह किया था कि वह कांग्रेस को मजबूत करने के लिए जरूरी कदम उठाएं.
गौरतलब है कि कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं के इस समूह ने अपनी सक्रियता ऐसे समय बढ़ाई है जब पार्टी को हालिया विधानसभा चुनावों में करारी हार का सामना करना पड़ा है.
द हिंदू के मुताबिक, बैठक में नेताओं ने पार्टी द्वारा लिए गए उन बड़े नीतिगत फैसलों पर भी चर्चा की जिनके तहत उत्तर प्रदेश चुनाव में 40 फीसदी टिकट महिलाओं को देना और कांग्रेस कार्यसमिति से चर्चा किए बिना कैप्टन अमरिंदर सिंह को पंजाब के मुख्यमंत्री पद से हटा देना जैसे फैसले शामिल थे.
अगस्त 2020 में पार्टी में बदलाव के लिए लिखे पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले कांग्रेसी नेताओं के ‘जी 23’ समूह में इस बार उन नेताओं के अलावा कुछ नए चेहरे भी शामिल हुए, जैसे कि मणिशंकर अय्यर, लोकसभा सांसद प्रिनीत कौर, गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला और हरियाणा के पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा.
वहीं, बैठक में शामिल एक कांग्रेस नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘हम कांग्रेस तब तक नहीं छोड़ेंगे, जब तक कि हमें बाहर नहीं किया जाता है. हम जोर देते रहेंगे कि पार्टी का लोकतंत्रीकरण होना चाहिए. पार्टी का लोकतंत्रीकरण करने और 2024 में भाजपा के सामने एक विश्वसनीय विकल्प खड़ा करने के लिए हम जनता की राय बनाने के लिए देश भर में यात्राएं करेंगे.’
बहरहाल, जहां एक ओर ‘जी 23’ की बैठक चल रही थी तो दूसरी ओर कांग्रेस ने घोषणा की है कि सोनिया गांधी ने चुनाव बाद के हालात का आकलन करने और सांगठनिक बदलावों का सुझाव देने के उद्देश्य से पांचों चुनावी राज्यों में पांच नेताओं की नियुक्ति की है.
गोवा में राज्यसभा सांसद रजनी पाटिल, मणिपुर में जयराम रमेश, पंजाब में अजय माकन, उत्तर प्रदेश जितेंद्र सिंह और उत्तराखंड में अविनाश पांडे को नियुक्ति किया है.
इस पर ‘जी 23’ के एक नेता ने कहा, ‘बैठक में सर्वसम्मति से इस बात की निंदा की गई कि जो लोग हार की पटकथा लिखने के जिम्मेदार हैं, उन्हें चुनाव बाद के हालात का आकलन करने के लिए नियुक्त किया गया है. जो स्पष्ट दिखाता है कि नेतृत्व वास्तव में पार्टी में सुधार को लेकर गंभीर नहीं है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)