केजरीवाल ने कहा, राजनीति को दरकिनार कर प्रदूषण का स्थायी समाधान मिलकर तलाशें केंद्र और पंजाब, हरियाणा एवं दिल्ली की सरकारें.
- दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण से शनिवार से पहले राहत नहीं
- दिल्ली में आॅड-ईवेन योजना 13 नवंबर से लागू होगी: परिवहन मंत्री
- राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने दिल्ली में निर्माण, कचरा जलाने पर प्रतिबंध लगाया
- जानलेवा धुंध से निपटने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट ने आपात निर्देश जारी किए
- प्रदूषण से निपटने को सर्वव्यापक दृष्टिकोण की ज़रूरत: संयुक्त राष्ट्र अधिकारी
- प्रदूषण पर भाजपा और कांग्रेस राजनीति न करें: आम आदमी पार्टी
- कांग्रेस ने कहा, मोदी एवं केजरीवाल सरकार दूसरों पर ठीकरा फोड़ना करे बंद
- पर्यावरण मंत्रालय ने गठित की उच्चस्तरीय समिति
नई दिल्ली: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण के जानलेवा स्तर के मद्देनज़र केंद्र और दिल्ली, पंजाब एवं हरियाणा की सरकारों को बृहस्पतिवार को नोटिस भेजा है.
आयोग ने जीवन एवं स्वास्थ्य के अधिकार के उल्लंघन के समान इस ख़तरे से निपटने के लिए उचित क़दम नहीं उठाने को लेकर प्राधिकारियों की निंदा की.
पैनल ने विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों और तीनों राज्यों की सरकारों से हालात से निपटने के लिए उठाए जा रहे एवं प्रस्तावित प्रभावशाली क़दमों की दो सप्ताह के भीतर रिपोर्ट मांगी है.
आयोग ने एक बयान में कहा, सरकार ज़हरीली धुंध के कारण अपने नागरिकों को मरने के लिए नहीं छोड़ सकती.
पर्यावरण, स्वास्थ्य एवं राजमार्ग के केंद्रीय मंत्रालयों के सचिवों के साथ ही राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, पंजाब और हरियाणा की सरकारों के मुख्य सचिवों को नोटिस जारी किए गए हैं. आयोग ने कहा कि उसने दिल्ली और एनसीआर में जानलेवा प्रदूषण को गंभीरता से लिया है.
एनएचआरसी ने कहा, यह स्पष्ट है कि संबंधित प्राधिकारियों ने इस समस्या से निपटने के लिए वर्षभर उचित क़दम नहीं उठाए जो क्षेत्र के निवासियों के जीवन एवं स्वास्थ्य के अधिकार के उल्लंघन के समान है.
आयोग ने कहा कि वह स्वास्थ्य सचिवों से उम्मीद करता है कि वे प्रदूषण से प्रभावित लोगों का उपचार करने के लिए सरकारी अस्पतालों एवं अन्य एजेंसियों की तैयारी और लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए उठाए जाने वाले क़दमों के बारे में जानकारी दें.
आयोग ने कहा कि केंद्र और राज्यों में एजेंसियों द्वारा प्रभावशाली क़दम उठाए जाने की तत्काल आवश्यकता है. साथ ही पर्यावरणीय कानूनों के उचित क्रियान्वयन की आवश्यकता है.
आयोग ने यह भी कहा, इस संबंध में विशेषज्ञों द्वारा उचित अध्ययन किए जाने और दीर्घकालीन एवं लघुकालीन क़दमों समेत उनकी सिफारिशें के उचित क्रियान्वयन की आवश्यकता है. लोगों की एहतियातन मेडिकल जांच कराए जाने की भी आवश्यकता है.
एचएचआरसी ने कहा कि लगभग हर समाचार पत्र और टीवी चैनल इस विषय पर खबरें प्रसारित कर रहे हैं. शहर में ज़हरीली धुंध ख़ासकर जब सर्दी का मौसम आने वाला होता है, तब आने वाली एक वार्षिक स्वास्थ्य समस्या बन गई है.
आयोग ने कहा कि इसमें दिल्ली-एनसीआर में और इसके आसपास चल रहे निर्माण कार्यों के साथ उड़ने वाले धूल के कण, वाहन, ख़ासकर डीजल से चलने वाले ट्रक और भारी वाहन, पंजाब और हरियाणा में किसानों के फसलों की पराली जलाने के कारण हुए प्रदूषण, मानवीय नियंत्रण के बाहर शांत हवा की स्थिति और अत्यधिक नमी समेत कई कारणों का ज़िक्र किया गया है.
आयोग ने कहा कि शहर में भारी वाहनों का प्रवेश रोकने के लिए और राजमार्गों को जोड़ने के लिए वैकल्पिक सड़कों के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है लेकिन इस संबंध में अभी तक कोई प्रभावशाली क़दम नहीं उठाया गया.
प्रदूषण यहां खतरनाक स्तर पर पहुंच गया और क्षेत्र में धुंध छाई रही जिसके कारण सरकार को रविवार तक स्कूलों को बंद करने, निर्माण गतिविधियां रोकने और शहर में ट्रकों के प्रवेश पर रोक लगाने की घोषणा करनी पड़ी.
एनसीआर में ग़ाज़ियाबाद और नोएडा सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं. रिपोर्ट के अनुसार वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) चेताने वाले स्तर पर पहुंच गया है.
एनएचआरसी ने कहा कि कुछ यंत्रों ने कुछ स्थानों पर 999 का अधिकतम एक्यूआई दर्ज किया. आयोग ने यह भी कहा, यह भी ज़िक्र किया गया कि दुनिया के सबसे प्रदूषित राजधानी शहर में वायु गुणवत्ता इस क़दर ख़राब हो गई है कि यह एक दिन में कम से कम 50 सिगरेट पीने के समान है.
आयोग ने कहा, एक समाचार वेबसाइट ने रिपोर्ट दी कि हालात इतने खराब हैं कि दिल्ली के कुछ हिस्सों में वायु गुणवत्ता सूचकांक ने 1000 का आंकड़ा छू लिया है.
दिल्ली में जानलेवा धुंध से निपटने के लिए उच्च न्यायालय ने आपात निर्देश जारी किए
राष्ट्रीय राजधानी में जारी धुंध के कहर के बीच दिल्ली उच्च न्यायालय ने वातावरण में धूल की मात्रा कम करने के लिए पानी का छिड़काव करने सहित अन्य कई निर्देश दिए हैं, ताकि वायु की गुणवत्ता सुधारी जा सके.
गुरुवार को हालात को आपात स्थिति बताते हुए न्यायमूर्ति एस. रविंद्र भट और न्यायमूर्ति संजीव सचदेव की पीठ ने सरकार से कहा कि कृत्रिम वर्षा करवाने के लिए वह क्लाउड सीडिंग के विकल्प पर विचार करे, ताकि वातावरण में मौजूद धूल और प्रदूषकों की मात्रा पर तुरंत काबू पाया जा सके.
अदालत ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि वह शहर में जहां तक संभव हो विनिर्माण कार्यों को प्रतिबंधित करने पर विचार करे और अल्पावधि क़दमों के रूप में आॅड-ईवेन फॉर्मूला लागू करे.
पीठ ने कहा, आज हम जिस स्थिति को झेल रहे हैं, लंदन उससे पहले गुज़र चुका है. वह इसे पी सूप फॉग (काला धुंध) कहते हैं. यह जानलेवा है. फसलों की पराली जलना इसमें प्रत्यक्ष खलनायक है, लेकिन अन्य बड़े कारण भी हैं.
पीठ ने कहा कि यह धुंध वाहनों, विनिर्माण और सड़क की धूल और पराली जलाने से उत्पन्न प्रदूषण का जानलेवा मिश्रण है.
1952 में लंदन को अपनी चपेट में लेने वाला यह पी सूप धुंध अक्सर बहुत मोटा, पीले-हरे-काले रंग का होता है और प्रदूषक तत्वों तथा सल्फर डाईऑक्साइड जैसी ज़हरीली गैसों से मिलकर बनता है.
पीठ ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया है कि वह सुनिश्चित करे कि सड़कों पर ट्रैफिक जाम न लगे और ड्यूटी करने वाले सभी पुलिसकर्मियों को मास्क उपलब्ध करवाया जाए.
अदालत ने केंद्रीय पर्यावरण सचिव को निर्देश दिया कि वह अगले तीन दिन में दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों के साथ बैठक करें और वायु प्रदूषण को तत्काल कम करने की योजना बनाए.
वरिष्ठ अधिवक्ता और न्यायमित्र कैलाश वासुदेव ने अदालत से कहा कि शहर में वायु की गुणवत्ता सुधारने के लिए तत्काल क़दम उठाने की ज़रूरत है, पीठ ने उक्त क़दम सुझाए. अदालत ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की ओर से प्रस्तावित क़दमों को भी ध्यान में रखा है.
राजनीति को दरकिनार कर प्रदूषण का स्थायी समाधान तलाशें केंद्र और राज्य सरकार: केजरीवाल
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि राजनीतिक मतभेदों को दरकिनार करते हुए केंद्र, हरियाणा, पंजाब और दिल्ली सरकार को एकसाथ मिलकर हर साल उच्च प्रदूषण के लिए ज़िम्मेदार पराली जलाने की समस्या का स्थायी समाधान तलाशना चाहिए.
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार इस स्थिति से निपटने के लिए जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं करना चाहती जिससे कि दिल्लीवालों के लिए कई समस्याएं खड़ी हो जाए.
बृहस्पतिवार को केजरीवाल ने कहा कि ट्रकों का प्रवेश, निर्माण गतिविधि पर रोक और आॅड-ईवेन फॉर्मूला शुरू करना प्रदूषण के उच्च स्तर के लिए समाधान नहीं है.
केजरीवाल ने कहा, राजनीति को दरकिनार करते हुए केंद्र, हरियाणा, पंजाब और दिल्ली को एकसाथ मिलकर पराली जलाने की समस्या का समाधान तलाशना चाहिए, जिसके चलते हर साल इस समय प्रदूषण उच्च स्तर पर पहुंच जाता है.
उन्होंने कहा, मैं हरियाणा और पंजाब दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बैठक की मांग कर रहा हूं, लेकिन मुझे कोई जवाब नहीं मिला है.
उन्होंने कहा कि किसानों पर जुर्माना लगा देना ही कोई समाधान नहीं है. मुख्यमंत्री ने यह भी संकेत दिया कि अगर पड़ोसी राज्य ऐसा करते हैं तो दिल्ली सरकार भी पराली जलाने से रोकने के लिए कुछ आर्थिक योगदान कर सकती है.
उन्होंने कहा, पंजाब और हरियाणा को एक प्रौद्योगिकी विकसित करनी चाहिए और पराली जलाने से रोकने के लिए लोगों को वित्तीय सहायता देनी चाहिए.
दिल्ली में आॅड-ईवेन योजना 13 नवंबर से लागू होगी: परिवहन मंत्री
दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने बुहस्पतिवार को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में आगामी 13 नवंबर से पांच दिनों के लिए आॅड-ईवेन योजना लागू की जाएगी.
शहर में प्रदूषण के ख़तरनाक स्थिति तक पहुंच जाने के बाद यह क़दम उठाने का फैसला किया गया है.
आॅड-ईवेन योजना के तहत एक दिन वे निजी वाहन चलेंगे जिनकी पंजीकरण प्लेट की आख़िरी संख्या सम होगी तथा दूसरे दिन उन वाहनों के चलने की इज़ाजत होगी जिनकी संख्या विषम होगी.
साल 2016 में एक जनवरी से 15 जनवरी और 15 अप्रैल से 30 अप्रैल तक आॅड-ईवेन योजना दो चरण में लागू की गई थी.
एनजीटी ने दिल्ली में निर्माण, कचरा जलाने पर प्रतिबंध लगाया
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली और पड़ोसी राज्यों में ख़राब वायु गुणवत्ता से निपटने के लिए निर्माण और औद्योगिक गतिविधियों तथा ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध के साथ कई निर्देश जारी किए. एनजीटी ने हालात पर काबू पाने में नाकामी के लिए दिल्ली सरकार और नगर निकायों को फटकार लगाई.
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, अगले आदेश तक निर्माण गतिविधियां नहीं होंगी. दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण फैलाने वाली सभी औद्योगिक इकाइयों को भी 14 नवंबर तक चलने की अनुमति नहीं होगी.
अधिकरण ने 10 साल से ज़्यादा पुराने डीज़ल वाले ट्रकों के प्रवेश पर भी पाबंदी लगा दी और कहा कि बाहर से या दिल्ली के भीतर गाड़ियों को निर्माण सामग्री ढोने की अनुमति नहीं होगी.
एनजीटी ने प्राधिकारों से कहा कि काम नहीं करने के लिए बैठकें करने, पत्र लिखने और ज़िम्मेदारी एक-दूसरे पर डालने का बहाना नहीं बनाया जा सकता.
पीएम (सूक्ष्म कण) 10 और पीएम 2.5 की निर्धारित सीमा के उल्लंघन का उल्लेख करते हुए पीठ ने प्रदूषण फैलाने वाली निर्माण और औद्योगिक गतिविधियों पर 14 नवंबर तक के लिए रोक लगा दी.
पीठ ने कहा, आप अधिकारी अस्पताल जाइए और देखिए कि लोगों को किस तरह की दिक्कतें हो रही है. आप लोगों की जान के साथ खेल रहे हैं. इस तरह के संकट के समय मूकदर्शक बने प्राधिकारों और पक्षों की उपेक्षा से जीने का अधिकार जोख़िम में पड़ गया है.
एनजीटी ने प्राधिकारों और नगर निकायों को ऐसी जगहों पर पानी का छिड़काव करने को कहा है जहां पर पीएम 10 की मात्रा प्रति घन मीटर 600 माइक्रोग्राम से अधिक पाई गई है.
पीठ ने प्राधिकारों से वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए ईपीसीए के निर्देशों को लागू करने को कहा . नगर निकायों से टीम का गठन कर सुनिश्चित करने को कहा गया है कि दिल्ली-एनसीआर में अपशिष्टों को नहीं जलाया जाए.
एनजीटी ने वायु गुणवत्ता ख़राब होने के बावजूद राजधानी में निर्माण और औद्योगिक गतिविधियां बंद करने के लिए आदेश जारी नहीं करने पर बुधवार को राज्य सरकार और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को फटकार लगाई थी.
प्रदूषण से निपटने को सर्वव्यापक दृष्टिकोण की ज़रूरत: संयुक्त राष्ट्र अधिकारी
दिल्ली के पर छायी धुंध जैसे पर्यावरण प्रदूषण से निपटने के लिए पटाखों पर प्रतिबंध और सड़कों पर वाहनों की संख्या नियंत्रित करने जैसे उपायों से कहीं अधिक एक सर्वव्यापक दृष्टिकोण की ज़रूरत है. यह बात संयुक्त राष्ट्र के एक शीर्ष अधिकारी ने बृहस्पतिवार को कही.
वायु प्रदूषकों का स्तर बुधवार को नुकसानदेह स्तर पर पहुंच गया क्योंकि पूरे क्षेत्र में घना भूरे रंग की धुंध छायी हुई थी जिसको देखते हुए सरकार ने स्कूलों को रविवार तक बंद करने की घोषणा कर दी, निर्माण गतिविधियों पर रोक के साथ ही शहर में ट्रकों का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया.
संयुक्त राष्ट्र के रेज़ीडेंट कोआॅर्डिनेटर यूरी अफानसिव ने कहा, दिल्ली में मौजूदा धुंध जैसी पर्यावरणीय स्थिति से केवल कारों की संख्या कम करके या पटाखों पर प्रतिबंध लगाने भर से नहीं निपटा जा सकता. इसके लिए एक सर्वव्यापक दृष्टिकोण होना चाहिए.
भारत में यूएनडीपी के रेज़ीडेंट रिप्रेज़ेंटेटिव अफानसिव ने इससे पहले दो दिवसीय प्रदर्शनी ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया का उद्घाटन किया जिसका विषय संयुक्त राष्ट्र विकास लक्ष्य और स्वच्छ भारत है.
उन्होंने कहा, किसानों द्वारा पराली जलाने का मुद्दा है. यदि कोई सड़कों पर कारों की संख्या घटाने की भी बात करता है, फिर भी कारों की गुणवत्ता के बारे में चर्चा होनी चाहिए कि क्या उनमें कैटेलिक कन्वर्टर हैं. एक सर्वव्यापी दृष्टिकोण की ज़रूरत है.
कैटेलिक कन्वर्टर उत्सर्जनों को रासायनिक रूप से कम हानिकारक पदार्थों में बदलने का काम करते हैं.
उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्कूली बच्चों और अन्य युवाओं को परिवर्तन के एंबैसेडर के रूप में बड़ी भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित किया.
उन्होंने उनसे आग्रह किया कि वे अपने अभिभावकों को इसके लिए समझाायें कि वे प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के बारे में बात करें.
प्रदूषण पर भाजपा और कांग्रेस राजनीति न करें: आम आदमी पार्टी
आम आदमी पार्टी ने प्रदूषण जनित धुंध के संकट से घिरी दिल्ली को इस समस्या से मुक्त कराने में भाजपा और कांग्रेस पर परस्पर सहयोग करने के बजाय राजनीति करने का आरोप लगाया है.
आप की दिल्ली इकाई के संयोजक गोपाल राय ने बृहस्पतिवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भाजपा और कांग्रेस इस समस्या के लिए दिल्ली वालों को ज़िम्मेदार ठहरा कर अपनी ज़िम्मेदारी से मुंह मोड़ते हुए राजनीति करने की कोशिश कर रहे हैं.
दिल्ली सरकार में मंत्री राय ने कहा कि प्रदूषण जनित धुंध की चपेट में अकेली दिल्ली ही नहीं घिरी है. इसका दायरा उत्तर प्रदेश में लखनऊ से लेकर समूचे पंजाब और हरियाणा सहित पाकिस्तान के लाहौर तक फैला है.
राय ने कहा कि ऐसे में यह समस्या सिर्फ दिल्ली की न होकर अन्य पड़ोसी राज्यों की सामूहिक समस्या है. भाजपा शासित हरियाणा और कांग्रेस शासित पंजाब में पराली जलाने पर रोक न लगना इसकी मूल वजह है.
उन्होंने कहा कि ऐसे में हरियाणा और पंजाब सरकार को दिल्ली सरकार के साथ समन्वय कायम कर इस समस्या से निपटना चाहिए. जबकि हो यह रहा है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस संकट के समन्वित समाधान के लिए पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों से लगातार संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन साझा कार्रवाई होना तो दूर, कोई संपर्क नहीं हो पाया है.
उन्होंने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार मौन है, केंद्रीय पर्यावरण मंत्री दिल्ली में नहीं है. ऐसे में आप सभी संबद्ध राज्य सरकारों, केंद्र सरकार और भाजपा तथा कांग्रेस से अपील करती है कि इस समस्या के समाधान की दिशा में राजनीति छोड़कर मिलकर प्रयास करें.
कांग्रेस ने कहा, मोदी एवं केजरीवाल सरकार दूसरों पर ठीकरा फोड़ना करे बंद
दिल्ली में वायु प्रदूषण के बेहद ख़तरनाक स्तर पर पहुंच जाने के लिए कांग्रेस ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार एवं दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार को ज़िम्मेदार ठहराते हुए कहा कि इन दोनों को पड़ोसी राज्यों के किसानों सहित दूसरों पर ठीकरा फोड़ना बंद कर देना चाहिए.
पार्टी ने कहा कि इन दोनों सरकारों को बताना चाहिए कि उसने प्रदूषण को रोकने के लिए अब तक क्या कदम उठाए.
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा कि प्रधानमंत्री मोदी पेरिस में जाकर जलवायु परिवर्तन से निपटने के उपाय लागू करने की तो बात करते हैं, किन्तु उन्हें यह बताना चाहिए कि वह दिल्ली में इन उपायों को कब लागू करेंगे.
उन्होंने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण के रूप में काले और जहर के जो बादल छाये हुए हैं, उनसे निजात पाने के लिए केंद्र एवं दिल्ली की सरकार क्या कर रही है.
उन्होंने कहा कि दिल्ली में आज प्रदूषण की जो स्थिति है उसके लिए केंद्र एवं राज्य की सरकार ज़िम्मेदार है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार एवं केजरीवाल सरकार को हरिणाया एवं पंजाब के किसानों सहित अन्य के सिर पर ठीकरा फोड़ने के बजाय यह बताना चाहिए कि उन्होंने इस दिशा में क्या कदम उठाए.
सुरजेवाला ने कहा कि केंद्र सरकार को बताना चाहिए कि किसान अपने खेतों में पराली नहीं जलाए इसके लिए उन्हें क्या प्रोत्साहन दिया गया. उन्हें कौन से यंत्र मुहैया कराए गए. उन्होंने कहा कि कोई भी मेहनतकश किसान अपने खेत पर पराली नहीं जलाना चाहता.
सुरजेवाला ने कहा कि सरकार बताए कि उसने फसल की भूसी से बिजली बनाने की दिशा में कौन से कदम उठाए ताकि पराली जलाने की समस्या से निजात मिल सके. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार हर दिन 50-60 किमी सड़क बनवाने का दावा करती है. किन्तु उसे यह बताना चाहिए कि दिल्ली के बाहरी क्षेत्र को घेरने वाले 300 किमी लंबे पैरीफेरल एक्सप्रेस का काम अभी तक पूरा क्यों नहीं हुआ.
उन्होंने कहा कि केंद्र एवं दिल्ली की सरकार को यह भी बताना चाहिए कि वाहनों एवं निर्माण कार्य से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए उन्होंने क्या किया. उन्होंने कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण में वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण का करीब 45 प्रतिशत और निर्माण कार्यों से होने वाले प्रदूषण का करीब 25 प्रतिशत योगदान है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल द्वारा पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के साथ इस मुद्दे पर बातचीत की पेशकश किए जाने के बारे में पूछने पर सुरजेवाला ने कहा कि इस बैठक से पार्टी को कोई आपत्ति नहीं है. किन्तु इस बैठक में ठोस उपायों पर चर्चा होनी चाहिए. यह बैठक महज फोटो खिंचवाने के अवसर में तब्दील नहीं होनी चाहिए.
प्रदूषण से शनिवार से पहले राहत नहीं
राष्ट्रीय राजधानी में बृहस्पतिवार को लगातार तीसरे दिन प्रदूषण आपातकाल रहा और शहर के नीले आसमान पर उजले बादलों की जगह धुंध के ज़हरीले बादल छाए रहे. यह स्थिति अगले 48 घंटे बने रहने की आशंका है.
अतिसूक्ष्म कण पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर अनुमति की सीमा से कई गुना ज़्यादा बना रहा जिसके कारण लोग ज़हरीली हवा में सांस लेने के लिए मजबूर हैं जिससे लोगों को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कहा कि प्रदूषकों का स्तर मिले जुले प्रभाव के कारण बढ़ रहा है जिसके तहत प्रदूषण प्रतिकूल मौसम स्थितियों के कारण किसी फैलाव के अभाव में बढ़ रहा है.
बोर्ड के सदस्य सचिव ए. सुधाकर ने समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा कि वायु में प्रदूषण करने वाले तत्व पहले ही घुल चुके हैं और शायद ही कोई फैलाव हुआ हो. ऐसी स्थिति में, जो कुछ भी जुड़ रहा है वह कुल मिलाकर वर्तमान स्तरों को बढा रहा है इसलिए प्रदूषण को आपातकाल श्रेणी में रखा गया है.
शीर्ष प्रदूषण नियामक ने राष्ट्रीय राजधानी में दिन के लिए वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में 500 के पैमाने पर 486 स्तर दर्ज किया. फरीदाबाद, गाजियाबाद, नोएडा और गुड़गांव में भी एक्यूआई आपातकालीन श्रेणी में है.
सुधाकर ने कहा कि उत्तर पश्चिमी हवाएं अब भी राजधानी के पर से बह रही हैं जो धुंध से भरी हवाओं को शहर में ला रही हैं. उन्होंने कहा, आपातकालीन स्थिति कम से कम एक दिन जारी रहेगी. हम शनिवार को दोपहर के बाद कुछ सुधार की उम्मीद कर रहे हैं.
पर्यावरण मंत्रालय ने गठित की उच्चस्तरीय समिति
पर्यावरण मंत्रालय ने दिल्ली और उसके आसपास प्रदूषण ख़तरनाक स्तर पर पहुंचने के मद्देनज़र वायु प्रदूषण के समाधान का सुझाव देने और इसकी निगरानी के लिए एक उच्चस्तरीय समिति गठित की है.
मंत्रालय ने प्रभावित राज्य सरकारों से प्रदूषण से निपटने के लिये ग्रेडेड रिसपॉन्स क्शन प्लान (जीआरएपी) को भी लागू करने को कहा है.
एक आधिकारिक वक्तव्य में कहा गया कि इस योजना में सड़कों और निर्माण से जुड़े धूल, कचरा जलाने, बिजली संयंत्र और औद्योगिक उत्सर्जन और वाहनों की आवाजाही पर नियंत्रण शामिल है.
पर्यावरण सचिव की अध्यक्षता वाली सात सदस्यीय समिति अल्पकालिक और दीर्घकालिक क़दमों पर गौर करेगी. योजना तैयार करने और विभिन्न उपायों को लागू करने के लिए नियमित अंतराल पर इसकी बैठक होगी.
यह फैसला पर्यावरण सचिव सीके मिश्रा के केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और उच्चतम न्यायालय के आदेश पर बने पर्यावरण प्रदूषण रोकथाम एवं नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) के अधिकारियों के साथ बैठक करने के बाद किया गया. यह बैठक हालात का आकलन करने और भावी कार्रवाई की योजना बनाने के लिए आयोजित की गई थी.
वक्तव्य में कहा गया कि समिति के अन्य सदस्यों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सचिव, नीति आयोग के अतिरिक्त सचिव, दिल्ली के मुख्य सचिव, सीपीसीबी अध्यक्ष और विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी के एक प्रतिनिधि शामिल हैं.
वक्तव्य में कहा गया कि यह भी फैसला किया गया कि अन्य निर्देशों के अलावा ईंट भट्ठों, हॉट मिक्स संयंत्रों और पत्थर के टुकड़े करने के काम को बंद किए जाने का सख्ती से पालन शामिल है. साथ ही सार्वजनिक परिवहन के फेरे बढ़ाने और सड़कों पर पानी का छिड़काव और मशीन से उसकी सफाई भी किया जाना शामिल है.
वक्तव्य में कहा गया कि निर्माण, पेट कोक और फर्नेस ऑयल के इस्तेमाल पर प्रतिबंध को सुनिश्चित करना है. इसके लिए संबंधित कार्यान्वयन करने वाली एजेंसियों को जवाबदेह बनाया जाएगा. वक्तव्य में कहा गया, सीपीसीबी से हालात की लगातार निगरानी करने को कहा गया है.
दिल्ली में प्रदूषण के पिछले कुछ दिनों में ख़तरनाक स्तर पर पहुंचने के मद्देनज़र सरकार ने रविवार तक स्कूलों को बंद करने, निर्माण गतिविधियों को रोकने और शहर में ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध की घोषणा की थी.
वक्तव्य में कहा गया कि बैठक में यह भी फैसला किया गया कि मंत्रालय, सीपीसीबी और ईपीसीए द्वारा जारी निर्देशों का सभी संबंधित एजेंसियां कार्यान्वयन सुनिश्चित करें और हालात का आकलन करने के लिए नियमित रूप से हॉटस्पॉट का दौरा करें.
(समाचार एजेंसी भाषा से सहयोग के साथ)