किसान संसद ने कहा, देश भर के 184 किसान संगठन बिना न्यूनतम समर्थन मूल्य के एक भी बोरा अनाज बिकने नहीं देंगे.
नई दिल्ली: किसान आंदोलन के क्रम दिल्ली में हुई दो दिवसीय किसान मुक्ति संसद में सरकार के प्रति खासा गुस्सा देखने को मिला. देश भर के 184 किसान संगठनों के साझा मंच ‘अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति’ की ओर से किसान संसद में स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि अब देश में एक भी कर्जदार किसान की कुर्की नहीं होने देंगे.
उन्होंने कहा, अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति ने तय किया है कि अब हम लोग एक बोरा अनाज न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे बिकने नहीं देंगे. सरकार ने इसकी घोषणा कर रखी है, ये किसानों का हक़ है, कम से कम इसे तो दे दो. देश के 184 किसान संगठन मिलकर सुनिश्चित करेंगे कि किसान की लूट नहीं होगी.’
किसान संसद की ओर से चुनौती देते हुए योगेंद्र यादव ने कहा, ‘अब हम सुनिश्चित करेंगे कि एक भी किसान की कुर्की नहीं होगी. हम ये नहीं होने देंगे. किसान का फोटो इश्तेहार में लगाते हैं, जिसपर क़र्ज़ है उस किसान का नाम दीवारों पे लिख देते हैं. ये नहीं होने दिया जाएगा. पूरे देश में किसान को बदनाम करना, उसका नाम उछालना, उसकी पगड़ी उछालना, टोपी उछालना, ये बंद होगा. अगर हिम्मत है तो सबसे पहले अनिल अंबानी का नाम लो, हिम्मत है तो अडानी का नाम लो. हिम्मत है तो विजय माल्या का फोटो लगाओ देश भर में, उसके बाद किसी किसान पे आना.’
‘हमें भी कागज़-पत्री का खेल समझ में आ गया है’
योगेंद्र यादव ने कहा, किसान यहां सिर्फ विरोध करने नहीं, बल्कि विकल्प देने आया है. किसान लोकसभा और राज्यसभा से कह रहा है कि पिछले 70 साल से आपको हमारे लिए क़ानून बनाने का मौका नहीं मिला तो कोई बात नहीं, अब हम आपको क़ानून बनाकर देंगे. किसान की इस ऐतिहासिक संसद में किसान ने अपना क़ानून बनाया है. देश के इतिहास में पहली बार किसान खुद अपने क़ानून का मसविदा लेकर आया है. हम खुले दिमाग के लोग हैं. हम पूरे देश के सामने ये मसविदा पेश करेंगे और इसमें कोई गलती होगी तो हम ठीक कर लेंगे.’
उन्होंने कहा, हम सीखेंगे, संशोधन करेंगे, लेकिन अब किसान को उल्लू नहीं बना सकते हो. किसान को खाली डायलॉग खिला खिला कर उसका पेट नहीं भर सकते. किसान की आंख में धूल नहीं झोंक सकते. अब हमें भी कागज़-पत्री का खेल समझ में आ गया है. हम भी क़ानून बना सकते हैं. हम भी तुम्हें बता सकते हैं कि देश कैसे चलाया जाता है.’
तालियों के बीच उन्होंने कहा, ‘ये महान किसान संसद, ये ऐतिहासिक किसान संसद दो बिल पेश करके, भाषण सुनकर खत्म नहीं हो जाएगी. हमने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था लेकिन वे गुजरात चुनाव में बिजी हैं, उनके पास किसानों का दुख दर्द सुनने का टाइम नहीं है.’
पूरे देश में चलेगा किसान मुक्ति अभियान
समन्वय समिति की ओर से योगेंद्र ने कहा कि ये संसद आज प्रस्ताव रख रही है कि 26 नवंबर यानी संविधान दिवस से लेकर 26 जनवरी यानी संविधान लागू होने के दिन तक पूरे देश में किसान मुक्ति अभियान चलेगा. इसकी शुरुआत गुजरात के बारदौली से होगी, जहां से सरदार पटेल ने किसानों का एक महान आंदोलन शुरू किया था.’ उन्होंने कहा, 26 जनवरी को पूरे देश में किसान मुक्ति दिवस मनाया जाएगा.
उन्होंने कहा, अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति की ओर से ये तमाम प्रस्ताव हम प्रस्तावित कर रहे हैं. उन्होंने कहा, किसान सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए नहीं लड़ रहा, किसान बचेगा तो देश बचेगा.
महिला किसानों द्वारा परिजनों की आत्महत्या की कहानियां सुनाने को लेकर योगेंद्र यादव ने कहा, भारत माता की बात तभी चलती है जब सामने पाकिस्तान हो. मुझे तो धान रोपती हुई औरत में भारत माता दिखती है. आपने जो कुछ बोला, उसके बाद किसी भी समाज को आंसुओं में डूब जाना चाहिए. लानत है इस देश पर जो आपके दुख, आपकी पीड़ा नहीं समझता. आत्महत्या के इतने बड़े आघात को सहने के बाद आपने तिनका तिनका जोड़कर अपना घर फिर से बसाया, मुझे उस औरत में भारत माता नज़र आती है.’
किसानों को देश का मालिक बताते हुए योगेंद्र ने कहा, आज यहां पर इस देश की प्रजा नहीं आई है. यहां पर इस देश के राजा और रानियां यहां आए हैं, अपना हक़ बताने. वे यह याद दिलाने आये हैं कि हम इस देश को बदलने की क्षमता रखते हैं.’
‘सब मालामाल हैं, सिर्फ़ किसान डाउन है’
किसान संसद को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, हमने देश भर किसान मुक्ति यात्रा की. 10 हज़ार किमी की यात्रा में सबकुछ देखा, कहीं किसान को खुश नहीं देखा. कहीं ऐसा किसान नहीं देखा जो छाती ठोंक कर कहे कि अपने बच्चे को किसान बनाऊंगा. कहीं ऐसा युवा नहीं देखा जो कहे कि पापा की तरह मैं भी किसान बनाऊंगा. किसान पूछता है कि ऐसा क्यों है?’
उन्होंने कहा, ‘खेती को लेकर बाकी सारे धंधे चल रहे हैं. बीज का, खाद का, कीटनाशक का सब धंधा चल रहा है. सबकी कंपनियां मालामाल हो रही हैं. सब पैसा बना रही हैं. आढ़ती का काम भी चल रहा है. सिर्फ किसान डाउन है. किसान की आलू का चिप्स बेचने वाले, आटे का पैकेट बेचने वाले, सबका पैसा बन रहा है. सिर्फ किसान डाउन है. किसान पूछता है ऐसा क्यों हो रहा है.’
उन्होंने सरकार को हिदायत देते हुए कहा, किसान जानता है कि ऐसा क्यों हो रहा है. ये कुदरत की वजह से नहीं है. ये सरकार की वजह से है. इसलिए किसान इस देश की तमाम सरकारों से पूछता है कि तुमने पिछले 70 साल से मुझे क्यों ठगा. और किसान आज की इस नरेंद्र मोदी सरकार से पूछता है कि अपनी वादाखिलाफी क्यों की?