इतिहासकारों का राजनीतिक विचारधारा या धर्म के प्रति झुकाव नहीं होना चाहिए: गुहा

इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने कहा, इतिहास सामाजिक विज्ञान और साहित्य का मिश्रण है और वह कभी एक आयामी नहीं हो सकता.

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इतिहासकार रामचंद्र गुहा. (फोटो साभार: फेसबुक)

इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने कहा, इतिहास सामाजिक विज्ञान और साहित्य का मिश्रण है और वह कभी एक आयामी नहीं हो सकता.

इतिहासकार रामचंद्र गुहा. (फोटो साभार: फेसबुक)
इतिहासकार रामचंद्र गुहा. (फोटो साभार: फेसबुक)

पणजी: प्रसिद्ध इतिहासकार रामचंद्र गुहा का कहना है कि इतिहासकारों का किसी भी राजनीतिक विचारधारा या धर्म के प्रति झुकाव नहीं होना चाहिए.

गुहा ने बीते गुरुवार को यहां शुरू हुए गोवा कला एवं साहित्य महोत्सव के आठवें संस्करण में अहम भाषण देते हुए अतिवाद के चार रूप बताए जो इतिहास को आकार देते हैं.

उन्होंने कहा, इनमें व्यवस्था, संदर्भ सामग्री, विचारधारा और राष्ट्रीयता का अतिवाद आता है.

गुहा ने विचारधारा की उग्रता के बारे में कहा, इतिहासकारों का किसी भी राजनीतिक विचारधारा या धर्म के प्रति झुकाव नहीं हो सकता.

उन्होंने उदाहरण दिया कि कैसे एक मार्क्सवादी इतिहासकार अपनी राजनीतिक विचारधारा के कारण असली इतिहासकार नहीं है.

गुहा ने व्यवस्था के अतिवाद के बारे में बताते हुए चिपको आंदोलन को लेकर अपने अध्ययन का हवाला दिया. उन्होंने कहा, इतिहास सामाजिक विज्ञान और साहित्य का अच्छा मिश्रण है और वह कभी एक आयामी नहीं हो सकता.

उन्होंने संदर्भ सामग्री के अतिवाद के बारे में कहा कि इतिहासकारों को केवल सरकारी दस्तावेज़ों तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए.

गुहा ने कहा कि इसके बजाय उन्हें अन्य सामग्री, अख़बार पढ़ने चाहिए जो उनकी सामाजिक इतिहास की समझ बढ़ाते हैं.

गुहा ने कहा कि इतिहास ने हमें पढ़ाया कि कोई भी स्थायी विजेता या असफल नहीं होता.

इससे पहले ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस में ट्रांसलेशंस की संपादक मिनी कृष्णन ने पत्रकार और लेखिका गौरी लंकेश को श्रद्धांजलि देते हुए दिवंगत पत्रकार की उस सिफारिश की तारीफ की कि बच्चों को पांचवीं कक्षा तक उनकी मातृभाषा में पढ़ाया जाना अनिवार्य होना चाहिए.