अगरतला में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, भारत में रहने वाले सभी हिंदू हैं तो उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा, जीवन पद्धति है हिंदुत्व.
अगरतला/पणजी: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत इन दिनों पांच दिवसीय त्रिपुरा यात्रा पर हैं. बीते रविवार को त्रिपुरा की राजधानी अगरतला स्थित स्वामी विवेकानंद मैदान में एक जन समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘भारत में रहने वाले सभी लोग हिंदू हैं और भारत में मुस्लिम भी हिंदू हैं.’
वे आगे कहते हैं, ‘हिंदुत्व का अर्थ सभी समुदायों को संगठित करना है. हम हिंदुत्व की बात करते हैं जो हिंदूवाद से अलग है.’ शुक्रवार से पांच दिन के त्रिपुरा दौरे पर गए भागवत पूर्वोत्तर के इस राज्य में संघ के संगठन के कामकाज की समीक्षा करेंगे.
जन समारोह में भागवत ने कहा, ‘हमें किसी से कोई बैर नहीं है. हम सभी का कल्याण चाहते हैं. सभी को जोड़ने का सूत्र हिंदुत्व है.’ भारत को हिंदुओं की धरती बताते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि दुनियाभर से प्रताड़ित हिंदू इस देश में आकर शरण लेते हैं.
उन्होंने कहा, ‘हिंदू सत्य में विश्वास रखते हैं, लेकिन दुनिया शक्ति का सम्मान करती है. संगठन में शक्ति होती है. संगठित होना स्वाभाविक नियम है.
देश के विभाजन का ज़िक्र करते हुए भागवत ने कहा कि हिंदुत्व की भावना कमज़ोर होने की वजह से 1947 में भारत विभाजित हो गया था.
वाम मोर्चा के शासन वाले त्रिपुरा में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं और भाजपा पूर्वोत्तर में अपनी पैठ बढ़ाने के लिए गंभीर रूप से प्रयासरत है. असम, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में भाजपा की सरकारें हैं.
जीवन पद्धति है हिंदुत्व, प्राचीन काल से चली आ रही है: उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने बीते शनिवार को कहा कि कुछ ऐसे लोग हैं जो हिंदुत्व को जीवन पद्धति की बजाय संकीर्णी धार्मिक अवधारणा के तौर पर देखते हैं.
वह गोवा में इंडिया फाउंडेशन की ओर से आयोजित इंडिया आइडियाज़ कॉन्क्लेव 2017 में बोल रहे थे.
कॉन्क्लेव में उन्होंने कहा, ‘हमारे सिस्टम का दुर्भाग्य है कि कुछ लोग हिंदू के मतलब को संकीर्ण धार्मिक अवधारणा के तौर पर देखते हैं.’
नायडू ने कहा, ‘यह हिंदू इस देश के लोगों की वर्षों से जीवन पद्धति की पहचान है. प्राचील काल से हमें जो मिला है वो भारतीयता है. जिसको कुछ लोग हिंदुत्व कहते हैं, इसमें किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए.’
उपराष्ट्रपति ने कहा कि तमाम हमलों के बावजूद भारतीय सभ्यता अस्तित्व में बनी हुई है और अब भी फल-फूल रही है.
इससे पहले बीते सात दिसंबर को विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के पूर्व अध्यक्ष अशोक सिंघल पर आधारित पुस्तक के विमोचन के मौके पर हुए कार्यक्रम में आयोजित कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम को लेकर बयान दिया था.
उनका कहना था, ‘वंदे मातरम कहने पर आपत्ति क्यों है? वंदे मातरम मतलब मां तुझे सलाम. क्या समस्या है? अगर मां को सलाम नहीं करेंगे तो क्या अफ़ज़ल गुरु को सलाम करेंगे?’
जनसत्ता की रिपोर्ट के अनुसार, कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति ने हिंदुत्व पर सुप्रीम कोर्ट के साल 1995 में दिए गए आदेश का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि हिंदू धर्म नहीं, बल्कि जीने का तरीका है.
वेंकैया नायडू ने कहा था, ‘हिंदू धर्म एक संकुचित संकल्पना नहीं है, यह भारत का एक व्यापक सांस्कृतिक अर्थ है. हिंदू धर्म भारत की संस्कृति और परंपरा है, जो कई पीढ़ियों से गुज़रा है. नायडू ने भारतीयों के अहिंसक प्रकृति के लिए हिंदू धर्म को कारण बताया.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)